JPSC में पहाड़िया समुदाय की बबीता सिंह ने लहराया परचम, 337वीं रैंक लाकर बिखेरा जलवा
दुमका के छात्रों में सिविल सेवा के प्रति रुझान बढ़ रहा है। हाल ही में JPSC परीक्षा में दुमका की बबीता सिंह जो आदिम जनजाति पहाड़िया समुदाय से हैं ने 337वां रैंक हासिल कर इतिहास रचा है। उनके अलावा रौनक प्रिया रौशन कुमार पाठक जीवेश कुमार उमूल बाहा मुर्मू और सुजीत हेंब्रम ने भी सफलता प्राप्त की है।

राजीव, दुमका। झारखंड की उप राजधानी दुमका के छात्रों में सिविल सेवा में जाने की ललक अब गति पकड़ ली है। हाल के कुछ वर्षों में दुमका के छात्रों ने UPSC जैसी परीक्षाओं में सफलता हासिल कर अपनी प्रतिभा को साबित किया है। शुक्रवार को झारखंड पब्लिक सर्विस कमीशन के 11वीं, 12वीं एवं 13वीं की संयुक्त परीक्षा के परिणाम दुमका के छात्रों के लिए काफी उम्मीदों से भरा है।
खास कर दुमका जिले से आदिम जनजाति पहाड़िया समुदाय की कोई युवती सिविल सेवा की परीक्षा में सफलता हासिल कर एक नए युग की शुरुआत की है। दुमका के लिए यह पहला अवसर है जब कोई पहाड़िया समुदाय की युवती इस स्तर की परीक्षा में सफलता हासिल की है।
अभाव को दी चुनौती
दुमका जिले से आधा दर्जन से अधिक परीक्षार्थियों ने JPSC की परीक्षा में सफलता हासिल की है। इसमें सबसे अहम दुमका की आदिम जनजाति पहाड़िया समुदाय की एक बेटी बबीता सिंह ने अभावों को चुनौती देकर 337वां रैंक हासिल किया है।
दुमका सदर प्रखंड के आदिम जनजाति पहाड़िया बाहुल्य आसनसोल गांव की बबीता सिंह ने झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) की परीक्षा में 337वां रैंक हासिल कर अपने आदिम जनजाति पहाड़िया समुदाय के लिए एक इतिहास रच दिया है।
संभवतः संताल परगना सहित पूरे झारखंड में पहली बार हुआ है कि इस समुदाय की किसी बेटी ने झारखंड प्रशासनिक सेवा में सफलता प्राप्त की है। बबीता की यह उपलब्धि पहाड़िया समाज के लिए भी एक प्रेरणा है।
खुद की मेहनत को दिया सफलता का श्रेय
बबीता के पिता बिंदुलाल सिंह एक प्राइवेट स्कूल में साधारण कर्मचारी हैं और परिवार की आर्थिक स्थिति कभी अच्छी नहीं रही है। जेपीएससी का परिणाम आने पर घर के सदस्यों ने घर में तत्काल मिठाई नहीं रहने पर चीनी खिलाकर बबीता का मुंह मीठा कराया और खुशियां जाहिर की। बबीता ने अपनी सफलता का श्रेय खुद से की गई मेहनत को बताया है।
उन्होंने कहा कि मैट्रिक से लेकर कॉलेज तक की पढ़ाई दुमका में ही पूरी की और एसपी कॉलेज से बीए पास किया। चार भाई-बहनों में सबसे बड़ी है। जब घर वालों ने शादी का दबाव बनाया बबीता ने स्पष्ट तौर पर इससे इंकार करते हुए कहा कि जब तक वह पढ़-लिखकर कुछ बन नहीं जाती तब तक वह शादी नहीं करेगी। ऐसे में उनके सभी भाई-बहनों की शादी हो चुकी है।
बबीता बताती हैं कि वह नियमित रूप से पांच से छह घंटे की पढ़ाई करती थीं। उनका मानना है कि लक्ष्य कितनी भी बड़ा हो लेकिन उसे कठिन परिश्रम और लगन से हासिल किया जा सकता है। उन्होंने अपनी पढ़ाई के लिए यू-ट्यूब और गूगल की विभिन्न साइटों की मदद ली है। कहा कि आज के डिजिटल युग में शिक्षा के लिए यह महत्वपूर्ण संसाधन है।
बबीता कुमारी ने अपने समुदाय विशेषकर आदिम जनजाति पहाड़िया समुदाय की शिक्षा के प्रति चिंता है। उनका कहना है कि इस समुदाय में शिक्षा का घोर अभाव है और नशे का प्रचलन भी काफी है। जिससे युवा पीढ़ी शिक्षा से वंचित रह जाती है। बबीता ने अपने समुदाय के लोगों से आह्वान किया है कि उन्हें यह समझना होगा कि शिक्षा ही वह सशक्त हथियार है जिसके बल पर वह सब कुछ हासिल कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि गणित विषय का चयन किया था और दूसरी बार में उन्हें यह सफलता हासिल की है। आदिम जनजाति पहाड़िया समाज के सामाजिक कार्यकर्ता रामजीवन आहड़ी कहते हैं कि बबीता की सफलता आदिम जनजाति समुदाय के लिए एक आशा की किरण है।
पहड़िया बटालियन में सेवारत बसंत सिंह पहाड़िया ने कहा कि बबीता का यह संघर्ष सबके लिए प्रेरणादायी है। सच्ची लगन, कड़ी मेहनत और शिक्षा के प्रति समर्पण ने उसे यह सफलता दिलाई है।
आधा दर्जन से अधिक परीक्षार्थियों ने हासिल की सफलता
JPSC की संयुक्त परीक्षा में दुमका से आधा दर्जन से अधिक परीक्षार्थियों ने सफलता हासिल की है। दुमका के रसिकपुर सोनुवाडंगाल की रहने वाली रौनक प्रिया ने 161वां रैंक लाकर प्रशासनिक सेवा में जाने का मार्ग प्रशस्त किया है। जबकि दुमका के ही जरमुंडी प्रखंड के तालझारी गांव निवासी रौशन कुमार पाठक ने 240वां रैंक लाकर वित्त सेवा में अपने लिए जगह बनाने में सफलता पाई है।
सरैयाहाट प्रखंड के जीवेश कुमार ने अपने पहले ही प्रयास में 184वां रैंक लाकर सफलता हासिल की है। सदर प्रखंड दुमका की उमूल बाहा मुर्मू ने 311 वां रैंक हासिल कर सफलता हासिल की है। उमूल बाहा मुर्मू बीआईटी सिंदरी से बीटेक की पढ़ाई है।
जबकि दुमका के शिकारीपाड़ा प्रखंड के सरायपानी के सुजीत हेंब्रम ने 67वां रैंक हासिल किया है। सुजीत ने यह सफलता दूसरी बार में हासिल किया है। इन सभी छात्रों के बीच समानता यह है कि इन सबकी पारिवारिक पृष्ठभूमि अत्यंत साधारण घर की है। बबीता सिंह के पिता एक प्राइवेट स्कूल के साधारण कर्मचारी हैं।
रौनक प्रिया के पिता प्रेम कुमार दूबे उपायुक्त कार्यालय से बड़ा बाबू के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। जबकि रौशन पाठक के पिता राजेंद्र पाठक पंचायत सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। सरैयाहाट के जीवेश कुमार के पिता रामानंद यादव शिक्षक हैं।
दुमका सदर प्रखंड के सुजीत हेंब्रम के पिता स्व. भुंडा हेंब्रम सहायक प्रिंसिपल के पद पर थे। इन सभी परीक्षार्थियों ने सीमित संसाधनों में अपनी मेहनत के दम पर सिविल सेवा में सफलता हासिल की है। उमूल बाहा मुर्मू के पिता स्टीफन क्रिस्टोफर मुर्मू सेवानिवृत्त बैंक अधिकारी और माता डॉ. मेरी मारग्रेट टुडू की माता डॉ. मेरी मारग्रेट टुडू माडल कॉलेज की प्रिसिंपल है।
इससे पूर्व इसी वर्ष UPSC की घोषित परिणाम में दुमका के रखाबनी निवासी सौरभ कुमार सिन्हा ने 49वां रैंक हासिल कर दुमका का नाम रोशन कर चुके हैं। सौरभ के पिता प्रियाव्रत सिन्हा न्यायालय में कर्मी हैं।
खरसावां: कुचाई के संदीप ने दूसरे प्रयास में जेपीएससी किया क्रेक
कुचाई के मरांगहातु गांव के राकेश बांकिरा के पुत्र संदीप बांकिरा (26) को दूसरे प्रयास में ही झारखंड संयुक्त परीक्षा 2023 पास कर ली है। संदीप ने 308 वां रैंक प्राप्त किया है।
इस परीक्षा में कुल 342 कैंडिडेट्स को सफलता हासिल हुई है। गांव के एक साधारण किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले संदीप की इस सफलता से परिवार के साथ साथ गांव में खुशी का माहौल है।
संदीप ने बताया कि उनके चाचा सोमनाथ बांकिरा भी डिप्टी कलेक्टर हैं। उन्हें देख कर उनके अन्दर भी कुछ करने की इच्छा जागृत हुई।
संदीप बांकिरा ने बताया कि उन्होंने इससे पहले वर्ष 2021 में पहला प्रयास किया था, जिसमें वह सिर्फ 13 अंकों से पिछड़ गये थे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और गांव मरांगहातु में रह कर दोबारा तैयारी शुरु की।
रोजाना 5-6 घंटे की सेल्फ स्टडी के साथ-साथ यूट्यूब से विशेषज्ञों की गाइड लाइन को फॉलो किया। लगन के साथ मेहनत करने के बाद परिणाम भी सामने आये। संदीप बांकिरा ने सफलता के लिए लक्ष्य निर्धारित कर कड़ी मेहनत करने की आवश्यकता है।
खरसावां: नीरज कांडिर ने पहले ही प्रयास में पायी सफलता
सरायकेला-खरसावां जिला के कुचाई प्रखंड के सीमावर्ती कसराउली गांव के साहू कांडिर के पुत्र नीरज कांडिर (28) ने जेपीएससी की झारखंड संयुक्त परीक्षा 2023 में सफलता हासिल की है।
नीरज को इस परीक्षा में 270वां रैंक मिला। एक साधारण किसान परिवार में जन्मे नीरज ने पहले प्रयास में ही कामयाबी हासिल कर ली।
नीरज की इस सफलता में परिवार में खुशी देखी जा रही है। नीरज कांडिर टाटा स्टील, जमशेदपुर के एचएसएल डिपांर्टमेंट में एसिस्टेंट फोरमेन के पदा पर कार्यरत है।
झारखंड सरकार में अफसर बनने की चाहत में नीरज कांडिर टाटा स्टील में नौकरी करते हुए जेपीएससी की तैयारी शुरू की। नीरज ने बताया कि ड्यूटी के बाद घर पर रोजाना कम से कम पांच घंटे का सेल्फ स्टडी करते थे।
जेपीएससी परीक्षा की तैयारी के लिए यूट्यूब वीडियो के साथ साथ अलग अलग किताबों की भी मदद लेते थे। अखबार भी पढ़ते थे। कुचाई बीडीओ साधु चरण देवगम समेत जानकार लोगों से भी गाइड लेते थे।
तैयारी के दौरान खुद को इंटरनेट मीडिया से एक तरह से दूर रखा। पूरा ध्यान अपने लक्ष्य पर केंद्रित कर लगन के साथ मेहनत की, तब जाकर कामयाबी हासिल की।
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