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    Jamshedpur Raid: GST विभाग की छापेमारी से हड़कंप, एक साथ 8 जगहों पर एक्शन; 150 करोड़ के फर्जीवाड़े से जुड़ा है मामला

    माल व सेवा कर (जीएसटी) विभाग ने जमेशदपुर में अलग-अलग आठ प्रतिष्ठानों पर एक साथ छापामारी की है। मामला 150 करोड़ रुपये के बड़े फर्जीवाड़े का है। मिली जानकारी के अनुसार GST का फर्जी बिल बनाकर सरकारी खजाने को चूना लगाने का प्रयास किया गया। इस पूरे मामले का मुख्य सूत्रधार विकास जैसुका उसका भाई राजेश जैसुका और सहयोगी गोलू फिलहाल फरार हैं।

    By Divya Agnihotri Edited By: Divya Agnihotri Updated: Sat, 25 Jan 2025 09:49 AM (IST)
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    जमशेदपुर में GST विभाग की मेगा छापेमारी

    जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। इस्पात नगरी जमशेदपुर और आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में शुक्रवार को माल व सेवा कर (जीएसटी) विभाग ने मेगा छापामारी कर 150 करोड़ रुपये के बड़े फर्जीवाड़े का पर्दाफाश किया है। आठ अलग-अलग प्रतिष्ठानों पर एक साथ हुई इस कार्रवाई ने पूरे इलाके में हड़कंप मचा दिया।

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    इसमें फर्जी बिलिंग के जरिए सरकारी खजाने को चूना लगाने वाले गिरोह का पर्दाफाश हुआ, जिसका मुख्य सूत्रधार विकास जैसुका, उसका भाई राजेश जैसुका और सहयोगी गोलू फिलहाल फरार हैं।

    जीएसटी विभाग की टीम इनकी तलाश में जुट गई है। जांच अभी जारी है और आशंका है कि कर चोरी की रकम 30 करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है।

    ओडिशा की खदानों से जुड़ा है मामला

    जीएसटी विभाग के संयुक्त निदेशक सार्थक सक्सेना के निर्देश पर जीएसटी इंटेलिजेंस विभाग के रौशन मिश्रा के नेतृत्व में 50 सदस्यीय दल ने यह कार्रवाई अंजाम दी। टीम में राजीव रंजन, विराज पांडे समेत रांची और जमशेदपुर के कई अधिकारी शामिल थे। सुरक्षा के मद्देनजर सीआरपीएफ के जवानों को भी तैनात किया गया था।

    जीएसटी बिलों का फर्जीवाड़ा

    प्रारंभिक जांच में खुलासा हुआ है कि फर्जी कंपनियों के नेटवर्क के जरिए 150 करोड़ रुपये के जीएसटी बिलों का फर्जीवाड़ा किया गया।

    हैरान करने वाली बात यह है कि इस फर्जीवाड़े से जुड़ा पैसा ओडिशा की खदानों में निवेश किया गया है। जांच में यह भी सामने आया है कि रिवाह रिसॉर्ट में 150 करोड़ रुपये का काला धन लगाया गया है।

    डिजिटल सबूत जब्त, तीन साल से चल रहा था खेल

    छापेमारी के दौरान तीन कंप्यूटर, चार लैपटॉप और छह मोबाइल फोन जब्त किए गए हैं, जिनमें फर्जीवाड़े से जुड़े अहम डिजिटल सबूत होने की संभावना है। जांच से पता चला है कि यह धांधली पिछले तीन सालों से बेरोकटोक चल रही थी।

    गौरतलब है कि इसी टीम ने पहले ज्ञानचंद जयसवाल, अमित गुप्ता और शिव देवड़ा जैसे व्यवसायियों के ठिकानों पर भी छापेमारी कर उन्हें सलाखों के पीछे पहुंचाया था।

    फरार आरोपियों की तलाश जारी

    इस पूरे फर्जीवाड़े का मास्टरमाइंड जुगसलाई निवासी विकास जैसुका बताया जा रहा है, जबकि उसका भाई राजेश जैसुका और सहयोगी गोलू भी इस घोटाले में शामिल हैं।

    गोलू फर्जी कंपनियों के नाम पर फर्जी बिल बनाकर जीएसटी की चोरी करता था, जिससे सरकारी खजाने को करोड़ों का नुकसान हुआ।

    तीनों आरोपी फिलहाल फरार हैं और जीएसटी विभाग की टीमें उनकी गिरफ्तारी के लिए जगह-जगह छापेमारी कर रही हैं। टीम ने जांच के दौरान कंपनियों से अब तक पांच करोड़ रुपये का कर वसूल किया है। जांच के बाद ही सही आकलन हो सकेगा कि कुल कितने करोड़ की गड़बड़ी की गई है।

    इन प्रतिष्ठानों पर हुई छापेमारी

    1. खाटू श्याम स्टील, जुगसलाई
    2. जैसुका आयरन एंड पावर, जुगसलाई
    3. बाबा श्याम स्टील, जुगसलाई
    4. रिवाह रिसॉर्ट, एनएच-33
    5. खाटू श्याम, जुगसलाई
    6. श्री स्टील, जुगसलाई
    7. विवान इंटरप्राइजेज, जुगसलाई
    8. मातेश्वरी इंजीनियरिंग, आदित्यपुर

    ऑटो में सवार होकर जुगसलाई पहुंची जीएसटी टीम

    छापेमारी के लिए टीम ऑटो रिक्शे में सवार होकर पहुंची ताकि किसी को भनक न लगे। यहां तक कि स्थानीय पुलिस को भी छापेमारी की जानकारी नहीं दी गई।

    यह पूरा मामला ओडिशा में माइनिंग कारोबार, करोड़ों के संदिग्ध लेनदेन और फर्जी जीएसटी बिल से जुड़ा बताया जा रहा है। राजेश जैसुका का स्थानीय व्यापारिक संगठनों से जुड़ाव भी जांच के दायरे में है।

    जांच में गोलू नामक एक युवक की भूमिका भी उजागर हुई है। आरोप है कि गोलू पिछले तीन सालों से विकास और राजेश जैसुका के इशारे पर फर्जी कंपनियों के नाम पर जीएसटी बिल तैयार करके करोड़ों रुपये का फर्जीवाड़ा कर रहा था।

    टीम गोलू की गिरफ्तारी के प्रयास कर रही है और उसकी पूछताछ से इस मामले में और भी खुलासे होने की संभावना है।

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