Jamshedpur News: हाथियों के दुश्मन कौन हैं? कोल्हान में तीन दिन में 4 गजराज की मौत ने उठाए सवाल
झारखंड के कोल्हान प्रमंडल में बीते चार दिनों में तीन हाथियों की मौत हुई। पश्चिमी सिंहभूम जिले के सारंडा जंगल में दो हाथियों की मौत हुई जिनमें से एक नक्सली आइईडी विस्फोट में घायल हुई थी। एक अन्य हाथी का शव चाईबासा में मिला जिसकी मौत का कारण अज्ञात है। इन घटनाओं ने जेएनएन कोल्हान क्षेत्र में हाथियों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
जेएनएन, जमशेदपुर। झारखंड के कोल्हान प्रमंडल में बीते चार दिनों में तीन हाथियों की मौत से वन्यजीव प्रेमियों में गहरी निराशा है। पश्चिमी सिंहभूम जिले के सारंडा जंगल में गुरुवार को दो हाथियों की मौत हुई, जबकि इससे पहले एक और हाथी ने दम तोड़ दिया था।
इन घटनाओं ने हाथियों के सामने मौजूद गंभीर खतरों को उजागर किया है, जिनमें नक्सली हिंसा और अज्ञात कारण दोनों शामिल हैं।
पश्चिमी सिंहभूम के सारंडा जंगल में नक्सलियों द्वारा बिछाए गए आइईडी विस्फोट में घायल एक मादा हाथी ने गुरुवार को दम तोड़ दिया।
यह हाथी लगभग 14 वर्ष की थी और पिछले 10-15 दिनों से घायल अवस्था में भटक रही थी। पशु चिकित्सक डॉ. संजय घोलटकर के अनुसार, उसके पिछले पैर में गंभीर चोट थी, जिससे अत्यधिक रक्तस्राव हुआ।
इस घटना से चार दिन पहले इसी क्षेत्र में एक नन्हे हाथी की मौत भी आइईडी विस्फोट के कारण हुई थी, जिससे कुल मिलाकर तीन हाथियों की मौत हुई है।
मृत मादा हाथी को जराइकेला वन विभाग कार्यालय लाया गया है, जहां शुक्रवार को उसका पोस्टमार्टम किया जाएगा।
इसी दिन, चाईबासा के टोंटो प्रखंड में लगभग 45 वर्षीय एक दंतैल हाथी का शव मिला है। बताया जा रहा है कि हाथियों का एक झुंड रात में उत्पात मचाने के बाद सुबह इस मृत हाथी को छोड़कर चला गया।
प्रारंभिक जांच में हाथी के शरीर पर किसी बाहरी चोट के निशान नहीं मिले हैं। मौत के सही कारणों का पता पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही चलेगा।
इन घटनाओं से पहले, नीमडीह में भी एक हाथी की मौत हुई थी, जिसने कोल्हान क्षेत्र में हाथियों की सुरक्षा पर चिंता बढ़ा दी है। यह घटना भी हाथियों के लिए बढ़ते खतरों को दर्शाती है।
कोल्हान में हाथियों के दुश्मन कौन?
कोल्हान प्रमंडल में हाथियों की लगातार हो रही मौतों ने इस सवाल को जन्म दिया है कि आखिर हाथियों के दुश्मन कौन हैं?
नक्सली गतिविधियां- सारंडा जैसे इलाकों में नक्सलियों द्वारा बिछाई गई आइईडी हाथियों के लिए सबसे बड़ा खतरा साबित हो रही हैं। ये विस्फोटक न केवल सुरक्षा बलों को निशाना बनाते हैं, बल्कि निर्दोष वन्यजीवों की जान भी ले रहे हैं।
अज्ञात कारण और प्राकृतिक मौतें- टोंटो में मिले दंतैल हाथी के शव की तरह कई बार हाथियों की मौत के कारण स्पष्ट नहीं होते हैं। ये प्राकृतिक कारण, बीमारी या फिर मानव-हाथी संघर्ष के अप्रत्यक्ष परिणाम हो सकते हैं, जिनकी विस्तृत जांच की आवश्यकता है।
मानव-हाथी संघर्ष- इन वारदात में सीधे तौर पर इसका उल्लेख नहीं है, लेकिन वन क्षेत्रों में मानव आबादी के विस्तार और कृषि गतिविधियों के कारण मानव-हाथी संघर्ष भी हाथियों की मौत का एक बड़ा कारण बनता जा रहा है।
फसलें बचाने या आबादी वाले इलाकों में घुसने पर हाथियों को नुकसान पहुंचाया जाता है।
अवैध शिकार और वन उत्पादों की तस्करी- हालांकि इस मामले में इसका सीधा प्रमाण नहीं है, लेकिन हाथी दांत और अन्य वन्यजीव उत्पादों की तस्करी भी हाथियों के लिए एक सतत खतरा बनी हुई है।
इन लगातार हो रही मौतों को रोकने के लिए वन विभाग और स्थानीय प्रशासन को नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में हाथियों की सुरक्षा के लिए विशेष रणनीति बनाने और हाथियों के लिए सुरक्षित गलियारे सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
इसके अलावा, अज्ञात कारणों से होने वाली मौतों की गहन जांच कर वास्तविक कारणों का पता लगाना भी महत्वपूर्ण है। वन विभाग हाथियों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
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