Updated: Fri, 25 Apr 2025 03:23 PM (IST)
पूर्वी सिंहभूम में धालभूमगढ़ एयरपोर्ट और अन्य परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण और वन विभाग से एनओसी की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। उपायुक्त अनन्य मित्तल ने समीक्षा बैठक में अधिकारियों को समय पर काम पूरा करने के निर्देश दिए। धालभूमगढ़ एयरपोर्ट के लिए वन भूमि की एनओसी प्रक्रिया पर विशेष जोर दिया गया ताकि विकास कार्यों को गति मिल सके।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। पूर्वी सिंहभूम में धालभूमगढ़ एयरपोर्ट सहित कई परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण और वन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) की प्रक्रिया को गति देने के लिए उपायुक्त अनन्य मित्तल ने वर्चुअल समीक्षा बैठक की।
बैठक में धालभूमगढ़ एयरपोर्ट पर विशेष ध्यान देते हुए सुरदा, राखा, केंदाडीह माइंस, फुलडुंगरी रोड, एचसीएल अस्पताल के जीर्णोद्धार और अन्य योजनाओं पर चर्चा हुई।
उपायुक्त ने वन विभाग, राजस्व, अंचल, अनुमंडल और अन्य विभागों को स्थानीय हितधारकों के साथ समन्वय बनाकर समयबद्ध तरीके से काम पूरा करने का निर्देश दिया। पारदर्शिता और संवेदनशीलता के साथ प्रभावित परिवारों को उचित मुआवजा देने पर भी जोर दिया गया।
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धालभूमगढ़ एयरपोर्ट: सपना हकीकत की ओर
धालभूमगढ़ में प्रस्तावित अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पूर्वी सिंहभूम और आसपास के क्षेत्रों के लिए विकास की नई उड़ान का प्रतीक है। जमशेदपुर से करीब 60 किमी दूर स्थित इस एयरपोर्ट का शिलान्यास 24 जनवरी 2019 को तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास और केंद्रीय उड्डयन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने किया था।
शुरुआत में 100 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत हुआ था, और 2020 तक 72 सीटर विमानों के संचालन का लक्ष्य रखा गया था। हालांकि, वन विभाग की आपत्तियों और एलिफेंट कारिडोर के मुद्दे ने निर्माण कार्य को रोक दिया। बैठक में उपायुक्त ने धालभूमगढ़ एयरपोर्ट के लिए वन भूमि की एनओसी प्रक्रिया को तेज करने पर जोर दिया।
उन्होंने वन विभाग को आवश्यक दस्तावेज और प्रतिवेदन समय पर जमा करने का निर्देश दिया ताकि केंद्र और राज्य सरकार की मंजूरी जल्द मिल सके।
वन विभाग का पेच: 79 हजार पेड़ और 99 हेक्टेयर भूमि
धालभूमगढ़ एयरपोर्ट के लिए सबसे बड़ी चुनौती वन विभाग की शर्तें रही हैं। जुलाई 2024 में झारखंड वन पर्यावरण विभाग ने 99.256 हेक्टेयर वन भूमि देने की शर्त के साथ सशर्त मंजूरी दी थी। इसके बदले में समतुल्य भूमि कहीं और उपलब्ध कराने की बात कही गई थी।
हालांकि, केंद्रीय वन पर्यावरण मंत्रालय ने सितंबर 2024 में 19 बिंदुओं पर स्पष्टीकरण मांगा, जिसमें 79,332 पेड़ काटने के पर्यावरणीय प्रभाव और स्थानीय लोगों को लाभ जैसे मुद्दे शामिल थे। उपायुक्त ने बैठक में इन बिंदुओं पर त्वरित कार्रवाई का निर्देश दिया।
उन्होंने कहा कि ग्राम सभा की प्रक्रिया पूरी कर भूमि चिह्नित की जाए और प्रतिपूरक वनरोपण के लिए उपयुक्त स्थान तलाशा जाए। वन प्रमंडल पदाधिकारी सबा आलम अंसारी को इस प्रक्रिया में तेजी लाने की जिम्मेदारी सौंपी गई।
क्यों जरूरी है धालभूमगढ़ एयरपोर्ट?
धालभूमगढ़ एयरपोर्ट न केवल जमशेदपुर, बल्कि झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के सीमावर्ती इलाकों के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है। यह एयरपोर्ट जमशेदपुर से 55 किमी और धालभूमगढ़ रेलवे स्टेशन से पांच किमी की दूरी पर प्रस्तावित है। इससे टाटा स्टील, टाटा मोटर्स जैसी बड़ी कंपनियों और छोटे-मध्यम उद्यमों को लाभ होगा।
एयरपोर्ट बनने से रांची और कोलकाता पर निर्भरता कम होगी। पहले चरण में 240 एकड़ में 1,745 मीटर का रनवे, टर्मिनल बिल्डिंग, एयर ट्रैफिक कंट्रोल टावर और फायर स्टेशन बनेगा, जो एटीआर-72 जैसे विमानों के लिए उपयुक्त होगा। दूसरे चरण में 545 एकड़ और जमीन लेकर रनवे को 4,400 मीटर तक विस्तारित किया जाएगा।
अन्य परियोजनाओं पर भी नजर
बैठक में धालभूमगढ़ एयरपोर्ट के अलावा सुरदा, राखा और केन्दाडीह माइंस के लिए भूमि अधिग्रहण और एनओसी की प्रगति पर भी चर्चा हुई। फुलडुंगरी रोड के लिए प्रतिपूरक वनरोपण और एचसीएल अस्पताल के जीर्णोद्धार पर भी निर्देश दिए गए।
उपायुक्त ने सभी परियोजनाओं के लिए विधि-व्यवस्था सुनिश्चित करने और प्रभावित परिवारों को समय पर मुआवजा देने पर बल दिया।
पारदर्शिता और समन्वय पर जोर
उपायुक्त अनन्य मित्तल ने सभी विभागों को आपसी तालमेल के साथ काम करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण और वन स्वीकृति से जुड़े कार्यों में पारदर्शिता बरती जाए। प्रभावित परिवारों की चिंताओं का समाधान करते हुए उन्हें उचित मुआवजा और पुनर्वास की सुविधा दी जाए।
बैठक में परियोजना निदेशक आइटीडीए दीपांकर चौधरी, एडीसी भगीरथ प्रसाद, एसडीओ घाटशिला सुनील चंद्र, जिला कल्याण पदाधिकारी शंकराचार्य समद, पथ प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता दीपक सहाय, सीओ धालभूमगढ़ समीर कच्छप, बीडीओ घाटशिला यूनिका शर्मा, सीओ घाटशिला और सीओ मुसाबनी शामिल हुए।
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