Kurmi Tribe Protest: कुड़मि आंदोलनकारियों ने रोक दिया ट्रेनों का पहिया, गोड्डा में घंटों बाधित रहा परिचालन
गोड्डा हंसडीहा रेल खंड पर छोटानागपुरी कुडमी जनजाति परिषद ने रेल परिचालन बाधित किया। पुनसिया के पास हजारों आंदोलनकारियों ने रेल ट्रैक पर प्रदर्शन किया जिससे दुमका गोड्डा और भागलपुर रेल खंड पर ट्रेनों का परिचालन प्रभावित हुआ। सुरक्षा बलों की तैनाती के बावजूद आंदोलनकारियों को हटाने में कठिनाई हुई। आजसू पार्टी ने आंदोलन का समर्थन किया।

जागरण संवाददाता, गोड्डा। छोटानागपुरी कुड़मी जनजाति परिषद की ओर से शनिवार को यहां गोड्डा हंसडीहा रेल खंड में गोड्डा के पुनसिया के पास रेल परिचालन को घंटों बाधित कर दिया गया।
जानकारी के अनुसार दोपहर 12 तक दुमका, गोड्डा और भागलपुर रेल खंड पर सभी ट्रेनों का सामान्य रूप से परिचालन हुआ, लेकिन दोपहर बाद पुनसिया रेल पुल के पास हजारों की संख्या में आंदोलनकारी रेल ट्रैक पर उतर आए।
सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त के बीच वहां आरपीएफ, जैप, डीएपी आदि की तैनाती की गई थी, लेकिन भीड़ के आगे सुरक्षा बलों की नहीं चली। रेल टेका डहर छेका को लेकर विभिन्न रास्ते से कुड़मि ST आंदोलनकारी पुनसिया गांव के सामने रेलवे पुल के पास रेलवे ट्रैक को जाम कर प्रदर्शन करने लगे।
गोड्डा हंसडीहा रेल खंड पर पुनसिया रेल पटरी पर आंदोलन करते कुड़मी समाज के लोग
दोपहर बजे तक वहां आंदोलनकारियों की भीड़ उमड़ने के बाद आंदोलनकारियों को समझाने बुझाने के लिए एसडीओ बैद्यनाथ उरांव, डीएसपी जेपीएन चौधरी, एसडीपीओ अशोक प्रियदर्शी सहित आरपीएफ जवानों ने मोर्चा संभाला।
आंदोलन के कारण देवघर पैसेंजर ट्रेन गोड्डा स्टेशन में खड़ी रही, जबकि गोमती नगर एक्सप्रेस का परिचालन भी प्रभावित हुआ। रेल ट्रैक को खाली कराने ने पुलिस को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी।
आंदोलन से कम से कम चार ट्रेनें जगह जगह रुकी रही। दोपहर बाद आंदोलनकारियों को रेलवे ट्रैक से हटाया गया।
रेल टेका आंदोलन को आजसू पार्टी का मिला समर्थन
छोटानागपुरी कुड़मि जनजाति परिषद के संयोजक सदस्य संजीव कुमार महतो ने बताया कि आजसू पार्टी ने आंदोलन को समर्थन दिया है।
आजसू पार्टी के संथाल परगना प्रमंडल के नेता केदार महतो, देवेंद्र महतो व सुरेश कुमार महतो, रवि महतो, नारायण महतो, राजेश महतो आदि स्थानीय स्तर पर रेल टेका आंदोलन में शामिल हुए।
संजीव महतो ने बताया कि आजादी से कुड़मी जाति एसटी सूची में शामिल थी लेकिन द शेड्यूल ट्राइब आर्डर 1950 में कुड़मि का उल्लेख छोड़ दिया गया।
उसी समय से विभिन्न आदिवासी गैर आदिवासी संगठनों राजनीतिक दलों व सांसद विधायक समाजिक राजनीतिक नेताओं द्वारा उक्त भूल का संशोधन कर कुड़मि को अनुसुचित जनजाति की मान्यता देने के लिए केंद्र सरकार के समक्ष अपनी बात रखी जा रही है।
आज 75 साल बाद भी मामला लटका हुआ है। राज्य सरकार की अनुशंसा और टीआरआई की जांच रिपोर्ट के आधार पर कुड़मि को अनुसुचित जनजाति का दर्जा दिया जाना समय की मांग है।
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