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    Kudmi vs Adivasi: किसी को नाराज नहीं करना चाहते, इसलिए खामोश...खामोश..,कुड़मी बनाम आदिवासी की लड़ाई में खुद को दूर रखेगी कांग्रेस

    Updated: Sat, 20 Sep 2025 03:16 PM (IST)

    झारखंड में आदिवासी का दर्जा पाने के लिए आंदोलनरत कुर्मी समुदाय से कांग्रेस ने दूरी बरतने का निर्णय लिया है। अभी तक की गतिविधियों से यही लग रहा है कि पार्टी इस मुद्दे पर किसी का पक्ष लेकर दूसरे पक्ष को नाराज नहीं करना चाहती। दरअसल झारखंड में कांग्रेस के मूल वोटरों में कुड़मी (कुर्मी) और आदिवासी दोनों शामिल हैं। दोनों बिरादरी से कांग्रेस के कई विधायक भी हैं।

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    आदिवासी का दर्जा को लेकर कुर्मियों की लड़ाई तेज हो गई है, लेकिन कांग्रेस ने इससे दूरी बना ली है।

    राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड में आदिवासी का दर्जा पाने के लिए आंदोलनरत कुर्मी समुदाय से कांग्रेस ने दूरी बरतने का निर्णय लिया है।

    अभी तक की गतिविधियों से यही लग रहा है कि पार्टी इस मुद्दे पर किसी का पक्ष लेकर दूसरे पक्ष को नाराज नहीं करना चाहती। दरअसल, झारखंड में कांग्रेस के मूल वोटरों में कुड़मी (कुर्मी) और आदिवासी दोनों शामिल हैं।

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    दोनों बिरादरी से कांग्रेस के कई विधायक भी हैं। खासकर आदिवासियों के बीच से विधायकों की संख्या अधिक है। ऐसे में कांग्रेस किसी एक पक्ष का साथ देकर दूसरे पक्ष को नाराज नहीं करना चाहती है।

    कुड़मी आदिवासी थे और रहेंगे भी - केशव महतो कमलेश

    यही कारण है कि कांग्रेस ने इस मुद्दे पर अभी तक दूरी बरती है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष केशव महतो कमलेश इस मुद्दे पर स्पष्ट तौर पर अपना विचार नहीं रखना चाहते। 

    लेकिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने इतना जरूर कहा कि कुड़मी आदिवासी थे और रहेंगे भी। पूरी लड़ाई शिड्यूल की सूची में जाति को दर्ज कराने की है।

    केंद्रीय नेतृत्व ही तय करेगा पार्टी का स्टैंड

    ऐसे में पार्टी का स्टैंड केंद्रीय नेतृत्व ही तय करेगा। प्रदेश में कुड़मी नेतृत्व के तौर पर उन्हें पेश किया जाता रहा है और इससे कुर्मियों की भावनाएं स्पष्ट दिखती हैं।

    दूसरी ओर, विधायक राजेश कच्छप, भूषण बाड़ा, नमन विक्सल कोंगाड़ी आदि नेता स्पष्ट तौर पर इस आंदोलन का विरोध में तो हैं, लेकिन कोई बयान जारी नहीं कर रहे हैं।

    पार्टी की ओर से कोई मार्गदर्शन नहीं मिलने के कारण विधायकों से लेकर सीनियर नेता तक इस मुद्दे पर अभी चुप्पी साधे हुए हैं।

    अंदर ही अंदर आदिवासी नेतृत्व इस आंदोलन के विरोध में है और यह भी कह रहा है कि ऐसा होने से आदिवासियों की हकमारी हो जाएगी। प्रदेश कांग्रेस प्रभारी के.राजू झारखंड प्रवास पर हैं और तमाम नेता उनकी ओर ही देख रहे हैं।