गढ़वा में हाथी का आतंक! आदिम जनजाति के युवक को कुचला, ग्रामीणों ने अंतिम संस्कार से किया इंकार
गढ़वा के मेराल थाना क्षेत्र में हाथियों के झुंड ने एक 25 वर्षीय रमेश परहिया को कुचलकर मार डाला। रमेश बाज़ार से लौट रहा था तभी यह घटना हुई। घटना के बाद ग्रामीणों में वन विभाग और प्रशासन के प्रति आक्रोश है। लोगों ने मुआवज़े की मांग करते हुए शव उठाने से रोक दिया।

संवाद सूत्र, मेराल (गढ़वा)। मेराल थाना क्षेत्र के लुप्तप्राय आदिम जनजाति बाहुल्य आबादी वाला बहेरवा गांव में रविवार की रात हाथियों की झुंड ने 25 वर्षीय रमेश परहिया को कुचलकर मार डाला।
जानकारी के अनुसार आदिम जनजाति के रमेश परहिया रविवार की देर शाम, बाजार से सामान खरीद कर जंगली तथा पथरीली रास्ते से अपने घर लौट रहा था। इसी दौरान हाथियों की नजर उस पर पड़ गई। देखते ही देखते हाथियों के झुंड रमेश पर टूट पड़ी तथा कुचलकर उसकी जान ले ली।
किसी प्रकार से आस-पास के लोगों को घटना की जानकारी मिल गई तथा लोगों ने रमेश के परिवार वालों तथा गांव के लोगों को इसकी जानकारी दी। मृतक के स्वजन तथा गांव के लोग घटनास्थल पर पहुंचे तब तक हाथियों के झुंड वहां से निकल चुकी थी।
घटना के बाद जहां मृतक के स्वजन का रो-रो कर बुरा हाल है। वहीं लोगों में प्रशासन तथा वन विभाग के प्रति काफी नाराजगी भी है। घटना की जानकारी मिलने के बाद मेराल थाना के एसआई दिनेश कुमार मुंडा, पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर सोमवार को पहुंचे।
साथ ही वन विभाग के वनरक्षी भी वहां पहुंचे। अधिकारियों तथा वन विभाग के लोगों को देखते ही गांव वालों का गुस्सा फूट पड़ा। गुस्साए लोगों ने रमेश परहिया के शव को उठाने से पुलिस को रोक दिया।आक्रोशित लोग पीड़ित परिवार को तत्काल दो लाख नगद तथा अन्य सहायता उपलब्ध कराने की मांग करने लगे।
स्थानीय लोगों का गुस्सा इस बात पर अधिक था कि हाथियों के उत्पाद की जानकारी मिलने के बाद भी वन विभाग तथा प्रशासन द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, जिसके कारण आज रमेश परहिया की जान चली गई तथा उसके परिवार एवं बच्चे अनाथ हो गए।
जानकारी के अनुसार वन विभाग द्वारा पीड़ित परिवार को तत्काल 50 हजार रुपये नगद दिया जा रहा था, लेकिन लोगों ने इसे लेने से इनकार कर दिया। लोगों का कहना है कि वन विभाग की लापरवाही के कारण यह घटना घटी है।
हाथी के भय से कई लोग पहले भी बेघर हो चुके हैं। इसलिए पीड़ित परिवार को तुरंत दो लाख रुपये उपलब्ध कराया जाए। ताकि उसके बाल बच्चों का भरण-पोषण हो सके।
सोमवार की दोपहर एक बजे तक मेराल थाना की पुलिस तथा वन विभाग के लोग आक्रोशित लोगों को समझाने बुझाने में लगे हुए थे, जबकि रमेश परहिया का शव घटनास्थल पर ही पड़ा हुआ था। ग्रामीण उसके शव को घेर कर बैठे हुए हैं।
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