Sawan 2025: श्रावणी मेले को लेकर प्रशासन सख्त, बासुकीनाथ मंदिर के पास की आठ शराब दुकानें बंद
दुमका से मिली खबर के अनुसार सावन के महीने में कांवरिया झारखंड में प्रवेश करते ही मदिरा का सेवन करते हैं। बिहार में शराबबंदी के कारण यहाँ के कांवरियों की संख्या अधिक होती है। विभाग ने बासुकीनाथ मेला क्षेत्र के आसपास की आठ शराब दुकानों को एक महीने के लिए बंद कर दिया है। शराब पीने से कई कांवरियों की जान भी चली जाती है।

अनूप श्रीवास्तव, दुमका। सावन मास हो और कांवरिया शराब के सेवन से वंचित रह जाए, ऐसा कभी संभव नहीं हुआ है। कांवरिया झारखंड की सीमा में प्रवेश करने के बाद पहले भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं और इसके बाद मदिरा पान का सेवन जरूर करते हैं।
बिहार में शराब बंदी है, इसलिए मदिरा के सेवन में बिहार के कांवरियों की संख्या सबसे अधिक रहती है। यही शराब दुर्घटना का कारण बन जाती है।
एक महीने तक बंद रहेंगी दुकानें
इस बार विभाग ने मदिरा पान पर रोक लगाने के लिए बासुकीनाथ मेला क्षेत्र के आसपास की आठ शराब दुकानों को एक माह के लिए बंद कर दिया है।
दरअसल, बिहार में शराब बंदी होने की वजह से शराब के शौकीन जैसे ही झारखंड की सीमा में कदम रखते हैं तो पहले भोलेनाथ की पूजा करते हैं। देवघर और बासुकीनाथ में पूजा करने के बाद सीधे मदिरा पान की जुगाड़ में लग जाते हैं।
शराब पीने से जाती है कांवरियों की जान
शराब का सेवन करने के बाद उनका अगला पड़ाव पश्चिम बंगाल का तारापीठ होता है। तारापीठ जाने और आने के क्रम में दिल खोलकर शराब पीते हैं। इसी शराब की वजह से हर सावन में करीब आधा दर्जन बिहार के कांवरियों की जान तक चली जाती है।
वहीं, कई लोग हादसे का शिकार होकर अस्पताल पहुंच जाते हैं। हादसों पर विराम लगाने के लिए विभाग ने इस बार आठ दुकानों को एक माह के लिए बंद कर दिया है।
इन जगहों पर नहीं मिलेगी शराब
विभाग की मानें तो बासुकीनाथ की तीन, हंसडीहा की चार और नोनीहाट की एक शराब दुकान को बंद करा दिया गया है। अब इन दुकानों में एक माह तक शराब की बिक्री बंद रहेगी।
इन दुकानों पर शराब के लिए लोगों के साथ कांवरियों की भारी भीड़ जुटती है। इसके अलावा कहीं और रोक नहीं है।
सावन माह को देखते हुए बासुकीनाथ और इसके आसपास क्षेत्र की आठ दुकानों में एक माह तक शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इन दुकानों से कांवरिया शराब खरीदकर आगे का सफर तय करते हैं। -प्रीति नंदन भगत, उत्पाद अधीक्षक, दुमका।
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