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    हाइवे किनारे के अस्पताल 'बदहाल': कर्मचारियों के साथ डॉक्टर भी ले रहे थे खर्राटे, दवाई के नाम पर मिली सिर्फ रुई

    By Jagran NewsEdited By: Arijita Sen
    Updated: Wed, 28 Dec 2022 10:53 AM (IST)

    दैनिक जागरण की टीम जब इन अस्‍पतालों का मुआयना करने पहुंची तो सारे के सारे दावे झूठे साबित होते नजर आए क्‍योंकि हाइवे किनारे सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्रों में न तो डॉक्‍टरों की टीम है न दवाई व इलाज की पर्याप्‍त व्‍यवस्‍था है।

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    दैनिक जागरण की पड़ताल में खुली अस्‍पतालों की पोल

    जागरण संवाददाता, धनबाद। सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों को कम करने के लिए राज्य सरकार के अधिकारियों और मंत्रियों ने हाल ही में बैठक कर बड़े-बड़े दावे किए थे। साथ ही सभी जिलों के उपायुक्त को अपने जिले में सड़क हादसे में घायल व्यक्तियों के उपचार की बेहतर व्यवस्था करने को कहा था। इसके बाद धनबाद के उपायुक्त संदीप सिंह ने भी सड़क सुरक्षा समिति की बैठक कर स्थिति की समीक्षा की। जिसके बाद राष्ट्रीय राजमार्ग और राज्य मार्ग पर स्थित सभी अस्पताल, स्वास्थ्य केंद्र को चौबीसों घंटे खुले रखने और एक चिकित्सक की प्रतिनियुक्ति वहां किए जाने का आदेश दिया।

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    दैनिक जागरण की टीम ने की पड़ताल

    स्वास्थ्य विभाग ने भी इस पर हामी भरी और सारी व्यवस्थाएं दुरुस्त कर लेने का दावा किया। इस दावे के बाद सोमवार की रात जब दैनिक जागरण की टीम ने राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे स्थित अस्पतालों का जायजा लिया, तो उन्‍हें इस दौरान किसी भी केंद्र में घायलों के इलाज की समुचित व्यवस्था नहीं दिखी।

    गोविंदपुर सीएचसी में रात्रि पाली के चिकित्सक गायब

    टीम सोमवार की रात 10.10 बजे जब गोविंदपुर सीएचसी पहुंची तो वहां सिर्फ दो कर्मचारी ही मिले। एक ने खुद को ड्रेसर व दूसरे ने सुरक्षाकर्मी बताया। यहां रात्रि पाली में डा. रोहित नाथ की ड्यूटी थी, पर वह केंद्र में नहीं थे। फोन करने पर कहा खाना खाने आए हैं, 20 मिनट में पहुंचते हैं।

    चंद्रावती अस्पताल में मिले सिर्फ वार्ड ब्वाय और नर्स

    बरवाअड्डा स्थित चंद्रावती अस्पताल में रात 10.40 बजे पूछताछ करने पर एक वार्ड ब्वाय सामने आया। जब उनसे कहा कि इमरजेंसी है, चिकित्सक को दिखाना है तो उन्होंने पहले नर्स द्वारा देखने की बात कही। कहा-नर्स के देखने के बाद ही चिकित्सक मरीज को देखेंगे।

    तोपचांची का पुराना सीएचसी बंद, अंदर शराब की बोतलें

    तोपचांची के पुराने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भी ताला लगा मिला। केंद्र का स्थानांतरण होने के बाद अधिकारियों ने भी इस पर ध्यान देना बंद कर दिया। आलम यह है कि केंद्र में जहां-तहां शराब की बोतलें फेंकी हुई मिली। वहीं यहां शराबियों का अड्डा बन गया है।

    राजगंज प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में शाम में ही लग गया ताला

    टीम जब राजगंज स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंची तो वहां ताला लटका मिला। इस दौरान बगल से गुजर रहे एक दुकानदार ने बताया कि यहां हर दिन शाम में ही ताला लग जाता है। एक-दो चिकित्सक के भरोसे ही यह केंद्र चल रहा है। उन्होंने बताया कि यहां सिर्फ मरीजों को रेफर किया जाता है।

    तोपचांची सीएचसी के इमरजेंसी में दवा के नाम पर सिर्फ रुई

    तोपचांची के साहू बहियार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र परिसर में जब चिकित्सक के बारे में जानकारी ली गई तो पता चला कि चिकित्सक व कर्मचारी एक कमरे में सो रहे हैं। दरवाजा खटखटाने पर दोनों उठे। यहां होमगार्ड के जवान दुर्योधन महतो और ड्रेसर सुमित कुमार सो रहे थे। उठते ही बताया कि अभी-अभी आंख लगी है। रात्रि सेवा में डा. राजेंद्र प्रसाद है।

    अस्‍पताल की दीवारों पर खून के छींटे

    उन्होंने बताया वह शिशु रोग विशेषज्ञ हैं। डीएमएफटी फंड के तहत वह अनुबंध पर बहाल हुए हैं। इमरजेंसी और सड़क दुर्घटना में जख्मी होने वाले व्यक्तियों को फर्स्ट एड करके एसएनएमएमसीएच भेज देते हैं। दूसरी तरफ इमरजेंसी कक्ष में रुई को छोड़कर कोई दवाई यहां नहीं मिली। यहां दीवारों पर जगह-जगह खून के छींटे दिखे। साफ-सफाई नहीं के बराबर थी। डा. राजेंद्र बताते हैं कि कर्मचारियों की काफी कमी है। इस वजह से थोड़ी परेशानी है। तोपचांची सीएचसी के बरामदे में टीकाकरण का बाक्स जहां-तहां पड़ा है। बाक्स के आइस पैक निकालकर बेतरतीब तरीके से रखे हुए हैं।

    सड़क हादसों ने लील ली कइयों की जिंदगी

    यहां यह गौरतलब है कि जिले में हर साल 375 से ज्‍यादा सड़क हादसे होते हैं। इनमें से अधिकतर हाइवे पर ही होते हैं। इन्‍हीं हादसों में 330 से ज्‍यादा लोगों की मौत होती है। 280 से अधिक लोग घायल होते हैं।

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