राजगंज डिग्री कॉलेज में प्राचार्य नियुक्ति पर बवाल, आपस में भिड़े शिक्षक; पुलिस ने संभाला मोर्चा
राजगंज डिग्री कॉलेज में नए प्रभारी प्राचार्य की नियुक्ति को लेकर शिक्षकों के बीच तीखी बहस हुई। डॉ. रासु चंद्र महतो की नियुक्ति का एक गुट ने विरोध किया जबकि दूसरे गुट ने प्रो. जीवार्धन महतो को समर्थन दिया। विवाद इतना बढ़ गया कि पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा और प्राचार्य कक्ष को सील कर दिया गया। कॉलेज में वित्तीय अनियमितताओं के भी आरोप लगे हैं।

संवाद सहयोगी, राजगंज। राजगंज डिग्री कॉलेज में शिक्षकों की गुटबाजी खुलकर सामने आ गई है। बुधवार को नए प्रभारी प्राचार्य की नियुक्ति को लेकर जमकर हंगामा हुआ। शिक्षक अपनी मर्यादा को लांघते हुए आपस में भिड़ गए। एक-दूसरे के साथ धक्का-मुक्की की गई।
विश्वविद्यालय द्वारा नियुक्त कॉलेज सचिव अमूल्य सुमन बेक के पत्र को फाड़ दिया गया। मामला इतना बिगड़ गया कि पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा। महत्वपूर्ण कागजातों की सुरक्षा के उद्देश्य से थाना प्रभारी अलीशा कुमारी ने प्राचार्य कक्ष में ताला जड़ दिया।
कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य पीके त्रिवेदी का कार्यकाल का बुधवार को अंतिम दिन था। उनके स्थान पर नई नियुक्ति को लेकर विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि सह डिग्री कॉलेज के सचिव अमूल्य सुमन बेक पहुंचे थे। उन्होंने पीएचडी किए वरीय प्रोफेसर डॉ. रासु चंद्र महतो को प्रभारी प्राचार्य की जिम्मेदारी सौंप दिया।
नियुक्ति का विरोध
जिसके बाद उन्हें माला पहनाकर कुर्सी पर बैठाया गया। इधर शिक्षकों का एक गुट प्राचार्य कक्ष में पहुंच गया और नियुक्ति का विरोध करना शुरू कर दिया। उन लोगों का कहना था कि प्रो. जीवार्धन महतो को प्रभारी बनाया जाए।
हंगामा के बीच प्रतिनिधि अमूल्य कुमार बेक सामने आए। उन्होंने कहा कि जीवार्धन इस पद के लिए योग्य नहीं हैं। रासु चंद का सभी अहर्ताएं पूरी होती है। वरीय होने के साथ उनके पास पीएचडी की डिग्री है। 15 वर्ष का पढ़ाई में अनुभव है, जबकि अन्य किसी शिक्षक के पास पीएचडी की डिग्री नहीं है।
इस दौरान जीवार्धन महतो के पक्ष वाले शिक्षक ने जीबी द्वारा जारी कागजात प्रस्तुत किया। जिसे सचिव ने फर्जी बता दिया। इतने में दूसरा गुट भड़क उठा और विश्वविद्यालय द्वारा निर्गत किए गए सचिव का पत्र को झपटकर फाड़ दिया। जिसके बाद गुरु जी अपना आपा खो बैठे और हाथा पाई पर उतर आए।
इधर सूचना पाकर पुलिस मौके पर पहुंच गई। दोनों पक्षों की बात को सुना। महत्वपूर्ण कागजातों की हेराफेरी की आशंका को देख थाना प्रभारी ने प्राचार्य कक्ष को ताला लगाकर सील कर दिया। इधर नियुक्ति पर भी विराम लग गई।
पांच मई को शाषी निकाय की बैठक होगी। जिसमें प्राचार्य पर मुहर लगाया जाएगा। इस मामले में प्रो. रंजीत सिंह ने कहा कि 12 अप्रैल को शाशी निकाय की बैठक में प्रो. जीवार्धन महतो को अस्थाई प्रभारी प्राचार्य बनाने का निर्णय लिया था। लेकिन सचिव निर्णय को खारिज कर दूसरे को पद पर बैठाने की कोशिश की।
वर्षों से हो रही है वित्तीय अनियमितता
विश्वविद्यालय प्रतिनिधि अमूल्य सुमन बेक ने बताया कि कॉलेज में पिछले नौ वर्षों से वित्तीय अनियमितता बरती जा रही है। शिक्षकों का जबरन वेतन रोक कर रखा गया है। जबकि अन्य को बर्सर के हस्ताक्षर से वेतन दिया जा रहा है। जबकि इसमें सचिव का हस्ताक्षर होना चाहिए।
अनियमितता को लेकर मामला हाईकोर्ट ले गया हूं। ईपीएफ का पैसा जमा नहीं हो रहा है। एक दशक से कॉलेज में एक ईंट जोड़ी नहीं गई है, जिसके कारण संस्था पर खतरा मंडरा रहा है। उन्होंने कहा कि सचिव होने के नाते मैने डॉ. रासु चंद महतो को प्रभारी के पद पर आसीन कराया।
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