New Education Policy: ग्रेजुएशन करने वाले छात्र ध्यान दें, बीबीएमकेयू को लेकर सामने आई नई जानकारी
चौथे वर्ष की पढ़ाई शुरू होने जा रही है। सेमेस्टर छह के छात्र ध्यान दें अगर आप इस सेमेस्टर में पढ़ाई छोड़ते हैं तो आपको ऑनर्स डिग्री नहीं मिलेगी। इसके लिए 7.5 सीजीपीए अंकों के साथ सेमेस्टर सात के प्रमुख तीन विषयों में नामांकन लेना होगा। हालांकि विश्वविद्यालय में एनईपी कमेटी की बैठक तो हुई लेकिन कॉलेजों के लिए जरूरी कार्यशाला का आयोजन नहीं हो पाया है।
जागरण संवाददाता, धनबाद। बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय धनबाद का परीक्षा नियंत्रण विभाग यह प्रयास कर रहा है कि स्नातक अथवा स्नातकोत्तर के परीक्षाओं में आने वाले प्रश्नों में कोई गलती न हो।
इसके लिए जरूरी है कि विषयवार शिक्षक ही इन्हें तैयार करें। यह तब संभव है जब मूल्यांकन बोर्ड हो। ताकि सभी विभागाें और कॉलेजों के प्रतिनिधि इसमें शामिल हों और उनकी देखरेख में प्रश्न पत्र तैयार किया जाए।
यदि ऐसा होता है तो बीबीएमकेयू राज्य के पहला ऐसा विश्वविद्यालय बनेगा, जहां परीक्षाओं के लिए प्रश्नपत्र मूल्यांकन बोर्ड तैयार करेगी।
वर्तमान में विश्वविद्यालय के स्तर से स्नातक एवं स्नातकोत्तर की परीक्षाएं संचालित की जा रही हैं। पिछले दिनों गलत प्रश्न पत्र दिए जाने को लेकर कॉलेज से लेकर विश्वविद्यालय तक हंगामा हुआ था।
बाद में परीक्षा को रद कर दिया गया था। प्रश्नपत्रों में हो रही गलती को लेकर कई तथ्य सामने आ रहे हैं। विश्वविद्यालय सूत्रों की मानें तो वर्तमान में तीन तरह के पाठ्यक्रम चल रहे हैं।
इनमें नई शिक्षा नीति और सीबीसीएस पाठ्यक्र शमिल है। साथ ही ओल्ड सेमेस्टर की भी परीक्षा ली जा रही है। ऐसे में प्रश्नपत्रों को तैयार करने में गलती की संभावना रहती है।
वहीं नई शिक्षा नीति आधारित पाठ्यक्रम अब भी सुधार के दौर से गुजर रहा है। स्थिति यह है कि विश्वविद्यालय पोटल पर भी शैक्षणिक सत्र 2022-26 का पाठ्यक्रम उपलब्ध नहीं है, जबकि स्नातक सत्र 2023-27 का पाठ्यक्रम ही मौजूद है।
वहीं प्रश्न पत्र तैयार करते समय भी पोर्टल पर मौजूद पाठ्यक्रम को ही ध्यान में रखा जाता है। ऐसे में अब जरूरी है कि विश्वविद्यालय में मूल्यांकन बोर्ड का गठन किया जाए।
परीक्षा बोर्ड की बैठक में दिया गया प्रस्ताव
- बीबीएमकेयू के परीक्षा नियंत्रक डॉ सुमन कुमार वर्णवाल ने बताया कि बीते दिनों संपन्न हुई परीक्षा बोर्ड की बैठक में यह प्रस्ताव दिया गया था।
- हालांकि, इसपर चर्चा तो हुई, लेकिन कोई ठोस निर्णय नहीं निकल सका। ऐसे में अब आने वाली बैठकों में इस मामले को रखा जाएगा।
अप्रशिक्षित शिक्षकों के बीच बांट दी सरकारी अनुदान की राशि, होगी वसूली
उधर, शिक्षा जगत से जुड़ी एक और खबर सामने आई है। पारसनाथ इंटर कॉलेज इसरी बाजार के अप्रशिक्षित शिक्षकों का सरकारी अनुदान की राशि का वितरण कर दिया गया। इसे सरकारी राशि का गबन बताया जा रहा है।
इसकी शिकायत मिलने पर झारखंड अधिविद्य परिषद के सचिव ने जिला शिक्षा पदाधिकारी, गिरिडीह को पत्र लिखकर मामले की जांच करने का निर्देश दिया है।
पत्र में कहा है कि प्रकाश चंद्र चंदन ने एक परिवाद पत्र उपलब्ध कराया है, जिसमें महाविद्यालय के अप्रशिक्षित शिक्षकों को शासी निकाय की ओर से अनुदान की राशि देने की शिकायत की गई है।
इसे सरकारी गबन बताया गया है। महाविद्यालय के प्रबंधन और प्रशासन के लिए शासी निकाय का गठन किया गया है, जिसमें आप भी एक पदेन सदस्य हैं।
महाविद्यालयों को दी जाने वाली अनुदान की राशि विभाग सीधे जिला शिक्षा पदाधिकारी को भेजता है। आपकी उपस्थिति में शासी निकाय की ओर से अनुदान की राशि का वितरण किया जाता है।
वित्तीय वर्ष 2022-23 के अनुदान के संदर्भ में झारखंड राज्य वित्त रहित शैक्षणिक संस्थान अधिनियम, 2004 की धारा 06 में यथा गठित समिति की बैठक की कार्यवाही की कंडिका तीन के सात और आठ में प्रावधानित है कि किसी भी परिस्थिति में कार्यरत अप्रशिक्षित शिक्षक को अनुदान की राशि का भुगतान नहीं किया जाएगा।
यदि महाविद्यालय के अप्रशिक्षित शिक्षकों को नियम विरुद्ध सरकारी अनुदान की राशि दी गई है तो उनसे इसकी वसूली कर विभाग को वापस करने का निर्देश दिया है।
बताते चलें कि बगोदर के औंरा निवासी प्रकाश चंद्र चंदन ने जैक सचिव को पत्र लिखकर कालेज के अप्रशिक्षित शिक्षकों के बीच अनुदान की राशि वितरित करने की शिकायत की थी।
उन्होंने कहा था कि महाविद्यालय में कार्यरत 20 व्याख्याताओं में से मात्र छह के पास बीएड की डिग्री है। कई वित्तीय वर्षों से महाविद्यालय के अप्रशिक्षित शिक्षकों को सरकारी अनुदान की राशि का नियम के विरुद्ध भुगतान किया जा रहा है।
इस शिकायत के आलोक में पारसनाथ इंटर कालेज का अनुदान रुक गया है और पूर्व में अप्रशिक्षित शिक्षकों को दी गई अनुदान की राशि की वसूली करने का निर्देश जिला शिक्षा पदाधिकारी को दिया गया है।
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