Dhanbad News: 14 साल पहले लापता हुए इंजीनियर सत्यदेव की हुई पहचान, यूपी के संभल में बेहोश मिले
14 साल पहले धनबाद से लापता हुए इंजीनियर सत्यदेव चौबे उत्तर प्रदेश के संभल में मिले। बेहोश पाए जाने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया जहाँ होश आने पर उन्होंने अपना पता बताया। बिहार पुलिस की मदद से परिवार को सूचित किया गया। सत्यदेव धनबाद में नौकरी करते थे और 2011 में लापता हो गए थे। परिवार ने उन्हें जीवित पाकर खुशी जताई।

जागरण संवाददाता, धनबाद/संभल। 14 साल पहले धनबाद से लापता हुए इंजीनियर सत्यदेव चौबे उत्तर प्रदेश के संभल जिले में मिले हैं। वे यहां के कैला देवी क्षेत्र में बेहोश मिले। इसके बाद उन्हें इलाज के लिए स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया। होश आने पर उनके स्वजनों की तलाश की गई और फिर उन्हें सौंप दिया गया।
पुलिस के अनुसार होश में आने के बाद सत्यदेव चौबे ने बताया कि वे बिहार राज्य के भोजपुर जिला अंतर्गत गरहनी थाना धमनियां गांव के निवासी हैं। पुलिस ने बिहार पुलिस से संपर्क कर उपरोक्त पते का सत्यापन किया और सत्यदेव को स्वजनों को खोज निकाला।
इसके बाद स्वजनों को संभल बुलाकर उनके हवाले कर दिया गया। स्वजन ने बताया कि सत्यदेव झारखंड के धनबाद स्थित एक माइनिंग इंजीनियरिंग कालेज से पढ़ाई पूरी करने के बाद धनबाद में ही नौकरी करने लगे थे। वर्ष 2011 में यहां से वे अचानक लापता हो गए।
यह है पूरा मामला
संभल के शोभापुर खालसा गांव के जंगल में 16 जुलाई की रात ग्रामीणों को एक अधेड़ व्यक्ति को लावारिस हालत में पड़ा मिला था। शरीर पर कीड़े रेंग रहे थे। मानसिक स्थिति भी ठीक नहीं थी। ग्रामीणों की सूचना पर पहुंची पुलिस ने उस व्यक्ति को अपने साथ ले गई। उन्हें नहलाकर कपड़े बदलवाए।
प्रारंभिक पूछताछ में वह अपना नाम और पता अलग-अलग बता रहे थे। पुलिस ने उन्हें स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया दिया। तीन दिनों के इलाज के बाद उन्होंने अपना नाम और पता बताया। जिसकी जांच उत्तर प्रदेश पुलिस ने बिहार पुलिस से किया।
बिहार पुलिस ने उनके स्वजनों की पुष्टि की और फिर वीडियो काल पर बातचीत कराया। स्वजनों ने सत्यदेव चौबे की पहचान की। स्वजन वर्षों बाद सत्यदेव से रूबरू हुए और उन्हें जीवित देख सबकी आंखें नम हो गई। स्वजन शनिवार को बिहार पुलिस के साथ संभल के कैलादेवी थाने पहुंचे। यहां सत्यदेव को उन्हें सौंप दिया गया।
काफी नाजुक थी हालत
कैला देवी थाना पुलिस ने बताया कि जब सत्यदेव चौबे को थाना लाया गया था तो उनकी हालत काफी नाजुक थी। वे कुछ भी स्पष्ट नहीं बता पा रहे थे। लगातार देखरेख और बातचीत के प्रयासों से उनकी पहचान हो सकी।
बीते 14 साल वे कहां रहे थे, धनबाद से कैसे पहुंचे समेत अन्य सवालों की जानकारी वे नहीं दे सके। उन्होंने कुछ कागज पर लिखा, लेकिन वो स्पष्ट न होने के कारण पढ़ा नहीं जा सका। फिलहाल स्वजन उन्हें अपने साथ ले गए हैं।
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