धनबाद मंडल के 22 स्टेशनों में 7.5 करोड़ की हेराफेरी, रेलवे ने दर्ज कराई 14 FIR; टेंशन में अधिकारी!
धनबाद रेल मंडल के 22 रेलवे स्टेशनों से बैंकों में जमा कराने भेजी गई करोड़ों की रकम रास्ते में ही गायब हो गई। कैश ले जाने वाली कंपनी के लिफ्टरों ने ही रेलवे की करोड़ों की राशि की हेराफेरी की। मामले की जांच में अब तक साढ़े सात करोड़ की हेराफेरी उजागर हुई है। रेलवे ने 14 स्टेशनों से जुड़े मामले में प्राथमिकी दर्ज करा दी है।

तापस बनर्जी, धनबाद। धनबाद रेल मंडल के 22 रेलवे स्टेशन से बैंकों में जमा कराने भेजी गई करोड़ों की रकम रास्ते में ही गायब हो गई। कैश ले जाने वाली कंपनी के लिफ्टरों ने ही रेलवे की करोड़ों की राशि की हेराफेरी की। इसमें स्टेट बैंक की अधिकृत एजेंसी राइटर सेफ गार्ड लिमिटेड (डब्ल्यूएसजी) के एजेंट शामिल थे।
मामला संज्ञान में आने के बाद रेलवे ने जांच शुरू की। रेलवे का वित्त विभाग हेराफेरी की जांच कर रहा है। दो वित्तीय वर्ष की प्रारंभिक जांच में अब तक साढ़े सात करोड़ की हेराफेरी उजागर हुई है।
सीनियर डीसीएम अमरेश कुमार ने बताया कि 22 में से 14 स्टेशन से जुड़े मामले में प्राथमिकी दर्ज करा दी गई है। अन्य आठ स्टेशन के लिए एफआईआर की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। जल्द ही एफआईआर दर्ज हो जाएगी।
वर्ष 2020 से 2024 तक के आंकड़े खंगाल रहा वित्त विभाग
धनबाद रेल मंडल के 22 स्टेशन के टिकट आय की राशि में हुई हेराफेरी को लेकर वित्त विभाग आंकड़े खंगाल रहा है। वर्ष 2020 से 2024 तक के वित्तीय वर्ष का आकलन किया जा रहा है। सिंगरौली, शक्तिनगर, अनपरा, दुद्धी, नगर उंटारी समेत सभी 22 स्टेशन से जुड़ी हेराफेरी की राशि करोड़ों में होने का अनुमान है।
साल 2023 व 2024 में साढ़े सात-आठ करोड़ की हेराफेरी
रेलवे की प्रारंभिक जांच में साल 2023 व 2024 में ही साढ़े सात-आठ करोड़ की हेराफेरी की बात सामने आ चुकी है। 2020 से अब तक की जांच पूरी होने पर हेराफेरी की रकम 25 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है।
एसबीआR ने एजेटों को जारी किए थे आई कार्ड, विशेष नंबर व स्क्रैच कार्ड
धनबाद मंडल के रेलवे स्टेशनों से बैंक तक पैसा पहुंचाने वाले लिफ्टरों को एसबीआई की ओर से अधिकृत एजेंट के तौर पर आइ कार्ड व विशेष नंबर जारी किये गये थे। साथ ही उन्हें स्क्रैच कार्ड भी दिया गया था।
ऐसे की गई करोड़ों की हेराफेरी
पूर्व मध्य रेल ने साल 2016 में स्टेट बैंक आफ इंडिया के साथ करार किया था। इसके तहत छोटे स्टेशन से प्राप्त होनेवाली आय की रकम बैंकों में उनके एजेंट कैश लिफ्टर को सौंप दिया जाता है। कैश लिफ्टर वाणिज्य पर्यवेक्षक से ट्रेजरी रेमिटेंस नोट की तीन प्रतियों के साथ बैंक में रुपये जमा कराने ले जाते हैं। दो प्रति बैंक को तथा तीसरी बैंक की मुहर के साथ रेलवे के वाणिज्य पर्यवेक्षक को लौटा दी जाती है।
जांच में पाया गया कि कैश लिफ्टर ने रुपये ले लिये पर बैंक में पूरी राशि जमा नहीं कराई। बैंक को ट्रेजरी रेमिटेंस नोट की जो प्रतियां दी गईं, उनमें रुपये कम दिखाए गये। दूसरी ओर, रिसिविंग कापी में पूरी रकम दिखाई गई। इसी तरह करोड़ों की हेराफेरी की गई।
क्या किये गए रोकथाम के उपाय?
इलेक्ट्रॉनिक रिसिप्ट के साथ एसएमएस अलर्ट भी
- गड़बड़ी की रोकथाम को पुरानी व्यवस्था बदली गई है। इलेक्ट्रॉनिक रिसिप्ट के साथ एसएमएस अलर्ट भी आने लगा है। कंप्यूटर आधारित तीन इलेक्ट्रानिक रिसिप्ट निकल रहे हैं।
- बैंक, संबंधित स्टेशन के स्टेशन मास्टर और रेलवे के वित्त विभाग को एक-एक इलेक्ट्रानिक रिसिप्ट दिया जा रहा है। रिसिप्ट में राशि का पूरा विवरण है।
- साथ ही एसएमएस अलर्ट भी भेजा जा रहा है। हालांकि, रेलवे इसे भी फुलप्रूफ नहीं मान रही है।
- इलेक्ट्रॉनिक रिसिप्ट और एसएमएस अलर्ट के बाद भी हर दिन सतर्कता बरतने का भी निर्देश दिया गया है।
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