Jharkhand News: चिरकुंडा नदी से खुलेआम हो रही बालू की तस्करी, कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति
चिरकुंडा नदी से बालू तस्करी का मामला उजागर हुआ है जहां तस्कर नदी का सीना चीरकर अवैध रूप से बालू निकाल रहे हैं। प्रशासन सिर्फ खानापूर्ति कर रहा है और कार्रवाई नहीं कर रहा। स्थानीय प्रशासन को सब कुछ पता होते हुए भी कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की जा रही है। तस्कर और उनके गुर्गे अवैध वसूली कर रहे हैं।

जागरण संवाददाता, मैथन। तस्कर चिरकुंडा नदी की सीना चीरकर बालू निकालकर ले जा रहे हैं और स्थानीय प्रशासन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर रहा है। ताजा मामला बुधवार की देर शाम का है। चिरकुंडा नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी विजय कुमार हांसदा व चिरकुंडा थानेदार रामजी राय ने चिरकुंडा नदी के सुंदरनगर घाट में छापेमारी कर चार बालू लदे ट्रैक्टर को जब्त किया। सभी वाहनों को थाने में लाकर रखा गया है।
प्रशासन अच्छी तरह से जानता है कि तस्कर जिस सुंदरनगर घाट से बालू उठाव करवाकर ट्रैक्टर से भेज रहे थे वह क्षेत्र चिरकुंडा नगर परिषद में पड़ता है, जबकि बालू घाट का टेंडर डुमरकुंडा दक्षिण पंचायत के लिए हुआ है। बजाप्ता जब्त ट्रैक्टर में डुमरकुंडा दक्षिण पंचायत के कापासारा घाट का चालान भी पुलिस ने बरामद किया है।
इसके बावजूद बालू तस्करों, ट्रैक्टर मालिकों व चालकों के खिलाफ अबतक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इससे छापेमारी टीम की निष्पक्ष कार्यशैली पर सवाल खड़ा कर रहा है।
बालू घाट पर तस्कर व उसके गुर्गों का लगा रहता जमावड़ा:
सुंदरनगर घाट से आए दिन बालू लेकर सैकड़ों ट्रैक्टरों को आते देखा जाता है। तस्कर व उसके गुर्गे हमेशा घाट के पास तैनात रहते हैं। वेलोग प्रत्येक बालू लदे ट्रैक्टर से तीन से चार सौ रुपये की अवैध वसूलती करते हैं। पुलिस से बचाव के लिए वेलोग ट्रैक्टर चालकों को डुमरकुंडा दक्षिण घाट का चालान भी देते हैं, जबकि सुंदरनगर घाट पंचायत क्षेत्र में नहीं आकर चिरकुंडा नगर परिषद क्षेत्र में पड़ता है।
ऐसी स्थिति में ट्रैक्टर चालकों को दिए जाने वाला चालान वैध नहीं होता है। अगर हम बात करे डुमरकुंडा दक्षिण पंचायत के बालू घाट की तो सरकारी नियमानुसार इस घाट से बालू लोड कर ले जाने पर प्रत्येक ट्रैक्टर चालक को मात्र एक सौ रुपये का चालान कटाना पड़ता है। मगर घाट संचालक चालान देने के नाम पर तीन से चार सौ रुपये की अवैध वसूली कर रहे हैं।
इस गोरख धंधे में स्थानीय जनप्रतिनिध, पुलिस, प्रखंड प्रशासन की भी मिलीभगत होती है। यहीं कारण है कि इनदिनों खुलेआम बेखौफ होकर चिरकुंडा नदी से तस्कर बालू का उठाव करवा रहे हैं और सरकार को प्रतिमाह लाखों रुपये की राजस्व की क्षति पहुंचा रहे हैं।
रात में होती है बड़े वाहनों से तस्करी:
चिरकुंडा निवासी एक सिंह बंधु इनदिनों रात में चिरकुंडा सुंदरनगर व अन्य घाटों से खुलेआम बड़े वाहनों से बालू उठाव कर उसे अपने बनाए गए ठिकानों में जमा करते हैं। बालू उठाव के लिए बजाप्ता शावेल मशीन व डोजर का भी उपयोग किया जा रहा है।
स्थानीय पुलिस से मधुर संबंध होने के कारण सिंह बंधु खुलेआम नदी के सीने को चीर कर बालू उठाकर बिहार, बंगाल व झारखंड के विभिन्न क्षेत्र में लेजाकर बेचने का काम कर रहे हैं। इससे उन्हें लाखों रुपये की कमाई हो रही है। स्थानीय प्रशासन सबकुच जानकर भी चुप रहता है।
चिरकुंडा नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी ने अभी तक सुंदरनगर घाट से जब्त ट्रैक्टरों के मामले में कोई लिखित शिकायत नहीं की है। इसके कारण ट्रैक्टर मालिक व चालक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। जैसे ही लिखित शिकायत मिलेगी पुलिस कार्रवाई करेगी। - रामजी राय, थाना प्रभारी, चिरकुंडा
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