ट्रेनों में ले सकेंगे चैन की नींद, न महसूस होंगे झटके न हिचकोले; रेलवे ने पटरी पर उतारी मिलिंग मशीन
अब ट्रेनों में सफर और भी आरामदायक होगा। रेलवे ने पटरी पर मिलिंग मशीन उतारी है जिससे ट्रैक को चिकना बनाया जा सकेगा। इससे ट्रेन की यात्रा लग्जरी कार जैसी होगी। यात्रियों को लंबे सफर के बाद भी थकावट महसूस नहीं होगी। इस अत्याधुनिक मशीन से न केवल रेलवे ट्रैक को चिकना बनाए रखने में मदद मिलेगी बल्कि उसकी मजबूती भी बढ़ेगी।
जागरण संवाददाता, धनबाद। राजधानी, दुरंतो या शताब्दी जैसी प्रीमियम ट्रेनों के साथ ही अब सामान्य मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों में चैन की नींद लेकर यात्रा कर सकेंगे। लंबे सफर के बाद भी थकावट महसूस नहीं होगी। ट्रेन की यात्रा लग्जरी कार जैसी होगी। यात्रियों को सुखद यात्रा का अनुभव कराने पटरी पर रेल मिलिंग मशीन उतारी गई है।
अत्याधुनिक मशीन से न केवल रेलवे ट्रैक को चिकना बनाए रखने में मदद मदद मिलेगी, बल्कि उसकी मजबूती भी बढ़ेगी। भारतीय रेल की एकलौती मशीन धनबाद रेल मंडल को उपलब्ध कराई कराई गई है।
रेल मिलिंग मशीन ने काम करना शुरू कर दिया है। 18 फरवरी से 31 मार्च के दौरान अलग-अलग रेलखंडों में 11.3 ट्रैक किमी पटरी को दुरुस्त किया जा चुका है।
पहिए से ट्रैक के घिसने या दरार आने पर अब ऑन स्पॉट मरम्मत
लंबे समय तक यात्री ट्रेन या मालगाड़ी चलने से पहिए से ट्रैक घिस जाते हैं। गर्मी में ट्रैक के टेढ़ होने या जाड़े में दरार पड़ने की घटनाएं बढ़ जाती हैं। पहले ऐसी स्थिति में ट्रैक को काट कर उस स्थान पर नए ट्रैक जोड़ने पड़ते थे। लंबी रेल पटरी बिछाने के लिए वेल्डिंग की जाती है।
लंबे समय तक रेल परिचालन के बाद वेल्डिंग फेल होने का खतरा रहता है। रेल मिलिंग मशीन से अब ऑन स्पॉट मरम्मत की जा सकेगी। ट्रैक के ऊपरी हिस्से से 1.5 एमएम गहराई तक मशीन से दुरुस्त किया जा सकेगा।
खास बातें
- प्रति शिफ्ट 300 से 500 मीटर तक ट्रैक को समतल बनाने में कारगर
- बार-बार ट्रैक के प्रभावित या क्षतिग्रस्त हिस्से को हटाने की समस्या नहीं होगी। इससे रेलवे का खर्च बचेगा।
- ट्रैक फैक्चर होने या वेल्डिंग फेल होने की घटनाएं कम हो सकेंगी।
- मशीन ईको फ्रेंडली होने से न तेज आवाज न ही कंपन
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