DRDO के डीजी बोले- अमेरिका ने ब्रह्मोस पर शर्तें लगाई तो हमने अग्नि से दिया जवाब, ऑपरेशन सिंदूर पर कही ये बात
डीआरडीओ के डीजी डा. बीके दास ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर 140 करोड़ भारतीयों की सफलता है न कि केवल किसी व्यक्ति विशेष की। भारत ने कभी किसी पर हमला नहीं किया और आज वह इतना सक्षम है कि कोई हमला करने की हिम्मत नहीं कर सकता। उन्होंने आइटी क्षेत्र में भारत के नेतृत्व और 2047 तक आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य पर भी जोर दिया।

जागरण संवाददाता, धनबाद। ऑपरेशन सिंदूर केवल मेरे अकेले नहीं; बल्कि देश की 140 करोड़ जनमानस की सफलता है। हम सिर्फ इसमें शामिल थे। सफलता का श्रेय व्यक्ति विशेष को नहीं बल्कि देशवासियों के डीआरडीओ के प्रति विश्वास को जाता है।
यह बात डीआरडीओ (डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट अर्गेनाइजेशन) के डीजी डा. बीके दास ने रविवार को कही। वे गोविंदपुर में रोटरी क्लब आफ धनबाद के 79 वें चेंज ओवर सेरेमनी में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे थे।
हमने कभी किसी पर हमला नहीं किया
उन्होंने कहा कि भारत दुनिया में एकमात्र ऐसा देश है, जिसने कभी किसी पर हमला नहीं किया। इतना सक्षम भी है कि कोई हमला करने की हिम्मत नहीं कर सकता। जिसने भारत को ललकारा, वह हारा। मिसाइल पहले विदेशों से आती थीं।
बैलेस्टिक मिसाइल बनाने की बारी आई तो अमेरिका ने कई शर्तें लगा दीं। शर्तों के कारण ही ब्रह्मोस की शुरुआती मारक क्षमता 290 किमी थी। बाद में 5000 किमी मारक क्षमता वाली अग्नि मिसाइल से हमने जवाब दिया।
हमारी अंगुलियां माउस पर नाच रहीं: दास
आइआइटी खड़गपुर के छात्र रहे डा. दास ने कहा कि तीसरी बार धनबाद आया। हर बार यहां के लोगों ने दिल जीता। सपेरों का देश अब आइटी में कर रहा दुनिया का नेतृत्व: दास ने कहा कि भारत को सपेरों का देश कहा जाता था। अब हमारी अंगुलियां माउस पर नाच रही हैं।
आइटी क्षेत्र में हम दुनिया का नेतृत्व कर रहे हैं। ऐसा इसलिए हो रहा, क्योंकि सोच बदली है। शोध दिल की धड़कन से जुड़ा है। जरूरी नहीं कि विज्ञानी ही रिसर्च करें। आपके सोचने का अंदाज ही रिसर्च है।
सेब पेड़ से नीचे पहले भी गिरता था, पर देखा और सोचा न्यूटन ने था। यही नजरिया शोध है। कार में ब्रेक रफ्तार कम करने के लिए नहीं बल्कि स्पीड बढ़ाने के लिए है। ब्रेक न हो तो कोई एक्सीलेटर दबाएगा ही नहीं।
आपको विदेशी मोबाइल चाहिए, सेना को देसी हथियार पर भरोसा
कहा आपको बात करने के लिए विदेशी मोबाइल चाहिए। पर भारतीय सेना को देश के हथियारों पर ही भरोसा है। ओलंपिक में कम मेडल आने से आप दुखी हो जाते हैं पर अपने बेटे को पढ़ने कोटा ही भेजेंगे। मेडल चाहिए तो बेटे को खेलने के लिए उतारें।
यहां तो आइआइटी मुंबई में कंप्यूटर के बदले इलेक्ट्रानिक मिल जाने पर भी मां-बाप दुखी हो जाते हैं। यह सोच बदलें। 2047 का आत्मनिर्भर भारत बनाने पर तेजी से हो रहा काम कहा कि 2047 तक आत्मनिर्भर भारत बड़ी सोच है। डीआरडीओ में भी इसके लिए तेजी से काम हो रहा है। इस लक्ष्य के साथ काम रहे हैं कि 422 सिस्टम आयात नहीं करने होंगे।
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