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    झारखंड में प्राइवेट नौकरी में 75 फीसद आरक्षण पर ग्रहण! चंपई सरकार के कानून को रोकने के लिए याचिक दाखिल

    प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों में स्थानीय को 75 प्रतिशत आरक्षण देने की झारखंड सरकार के कानून को रोकने के लिए उद्यमियों के संगठन हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश में संजीवनी तलाश रहे हैं। झारखंड स्मॉल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन लघु उद्योग भारती एवं आदित्यपुर की औद्याेगिक संगठन ने संयुक्त रूप से झारखंड हाईकोर्ट में जो याचिका दाखिल की उसमें हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले को आधार बनाने की तैयारी चल रही है।

    By Girjesh Paswan Edited By: Shashank ShekharUpdated: Sat, 17 Feb 2024 03:28 PM (IST)
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    झारखंड में प्राइवेट नौकरी में 75 फीसद आरक्षण पर ग्रहण! चंपई सरकार के कानून को रोकने के लिए याचिक दाखिल

    दिलीप सिन्हा, धनबाद। प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों में स्थानीय लोगों को 75 प्रतिशत आरक्षण देने की झारखंड सरकार के कानून को रोकने के लिए उद्यमियों के संगठन हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश में संजीवनी तलाश रहे हैं।

    झारखंड स्मॉल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन, लघु उद्योग भारती एवं आदित्यपुर की औद्याेगिक संगठन ने संयुक्त रूप से झारखंड हाईकोर्ट में जो याचिका दाखिल की है, उसमें हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले को भी आधार बनाने की तैयारी की जा रही है।

    नौकरियों में स्थानीय को 75 प्रतिशत आरक्षण कानून को उद्यमी विशेषकर लघु उद्यमी अपने कारोबार के हित में नहीं मान रहे हैं। इस कारण हाईकोर्ट में इसे चुनौती देने वाली याचिका दाखिल की है।  पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने निजी कंपनियों में स्थानीय लोगों को 75 प्रतिशत आरक्षण देने की नीति को खारिज करते हुए इसे संविधान के आर्टिकल 14 समानता के अधिकार का उल्लंघन करार दिया है।

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    आइएमटी इंडस्ट्रियल एसोसिएशन बनाम स्टेट ऑफ हरियाणा के वाद में हाईकोर्ट ने यह फैसला सुनाया है। इस फैसले से झारखंड में निजी कंपनियों में नौकरी में स्थानीय लोगों को 75 प्रतिशत आरक्षण की नीति को ग्रहण लगने का खतरा बढ़ गया है। मुख्यमंत्री चंपई सोरेन भी लगातार 75 प्रतिशत नौकरी के लिए निजी कंपनियों पर दबाव बना रहे हैं। बुधवार को भी उन्होंने इसके लिए प्राइवेट कंपनियों को चेताया है।

    क्या है मामला

    हरियाणा की भाजपा-जननायक जनता पार्टी की सरकार ने कानून बनाकर प्राइवेट नौकरियों में स्थानीय लोगों को 75 प्रतिशत आरक्षण देने की व्यवस्था की थी। तीस हजार से कम वेतन वाली नौकरियों में यह व्यवस्था लागू की गई थी। उद्योगपतियों के संगठन ने इस कानून को हरियाणा-पंजाब हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

    उनका कहना था कि इससे उत्पादकता, काम की गुणवत्ता और रोजगार पर असर पड़ेगा। इस मामले की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश जीएस संधवालिया एवं हरप्रीत कौर जीवन ने हरियाणा सरकार के आदेश को खारिज कर दिया। वैसे हरियाणा सरकार ने हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

    झारखंड में 40 हजार तक के वेतन में लागू है 75 प्रतिशत आरक्षण

    हेमंत सोरेन की सरकार ने झारखंड राज्य निजी क्षेत्र स्थानीय उम्मीदवार रोजगार विधेयक 2021 को कानून बनाकर प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों में स्थानीय लोगों को 75 प्रतिशत आरक्षण लागू कर दिया था। 40 हजार रुपये तक के वेतन व मजदूरी वाले पदों पर यह नियम लागू किया गया है।  हेमंत सोरेन के बाद मुख्यमंत्री बने चंपई सोरेन ने इसे धरातल पर उतारने के लिए अधिकारियों को कड़े निर्देश दिए हैं।

    हरियाणा हाईकोर्ट का फैसले सिर्फ हरियाणा की जमीन पर लागू होगा। झारखंड की जमीन पर इस फैसले का कोई भी प्रभाव नहीं पड़ेगा। हमने सिर्फ 40 हजार रुपये के वेतन तक की नौकरियों में यह व्यवस्था की है। इसलिए यह संविधान के आर्टिकल 14 का उल्लंघन भी नहीं है। प्राइवेट कंपनियों को यह कानून मानना ही पड़ेगा। सुदिव्य कुमार सोनू, विधायक गिरिडीह 

    यह कानून बनाने का अधिकार राज्य को नहीं है। संसद चाहे तो इस तरह का कानून बना सकता है। इंसान का जन्म कहां हुआ है, इस आधार पर आप उसे रोजगार से वंचित नहीं कर सकते हैं। इसी आधार पर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश को भी याचिका में शामिल किया जाएगा। रणधीर शर्मा, चेयरमैन लेबर सब कमेटी

    हरियाणा हाईकोर्ट का यह आदेश झारखंड हाईकोर्ट में चल रहे मुकदमे में लागू हो, यह जरूरी नहीं है। कारण, दोनों समान कोर्ट है। किसी भी हाईकोर्ट के आदेश को निचली अदालत के मुकदमें में मानने की विवशता हो सकती है। यदि यह आदेश सुप्रीम कोर्ट का होता तो इसे झारखंड में भी मानने की बाध्यता होती। देवी शरण सिन्हा, वरिष्ठ अधिवक्ता धनबाद

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