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    Lok Sabha Election 2024: इस बार साथ-साथ नहीं बजेगा चुनाव व शादियों का गीत, अप्रैल में विवाह के सिर्फ तीन-चार लग्न

    Updated: Fri, 05 Apr 2024 06:31 PM (IST)

    देश में पिछले दो दशक से लोकसभा चुनाव व शादियों का मौसम एक जैसा रहा है। बता दें कि 2004 से 2019 तक अप्रैल तथा मई के महीने में ही लोकसभा के चुनाव हुए थे। इन्हीं दो महीने में शादियां भी खूब हुई हैं और इस बार भी चुनावी महीना अप्रैल और मई ही है। लेकिन शादियों के मुहूर्त इक्का दुक्का ही हैं।

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    इस बार साथ-साथ नहीं बजेगा चुनाव व शादियों का गीत

    संजय शर्मा, इटखोरी (चतरा)। पिछले दो दशक से देश में लोकसभा चुनाव व शादियों का मौसम एक जैसा रहा है। 2004 से 2019 तक अप्रैल तथा मई के महीने में ही लोकसभा के चुनाव हुए हैं। इन्हीं दो महीने में शादियां भी खूब हुई है। इस बार भी चुनावी महीना अप्रैल और मई ही है।

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    लेकिन शादियों के मुहूर्त इक्का दुक्का ही है। लिहाजा इस बार चुनाव और शादियों का गीत साथ-साथ नहीं बज पाएगा। सर्व विदित है कि लोकसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को है। अप्रैल के महीने में ही 26 अप्रैल को दूसरे चरण का मतदान है।

    शादियों का शुभ मुहूर्त

    इधर शादियों का लग्न 18 अप्रैल से शुरू हो रहा है। ऋषिकेश पंचांग के अनुसार अप्रैल के महीने में शादियों के तीन-चार ही शुभ मुहूर्त है। मई व जून के महीने में शादियों का एक भी लग्न नहीं है। शादियों का शुभ लग्न नौ जुलाई से प्रारंभ होगा।

    जबकि लोकसभा चुनाव के पांच चरण का मतदान मई तथा जून के महीने में ही है। मई के महीने में 7, 13, 20 व 25 मई को मतदान होना है। वहीं अंतिम चरण का मतदान एक जून को है।

    मुहूर्त और चुनाव की तारीखों के बीच नहीं कोई टकराव 

    इस तरह शादियों के मुहूर्त की तिथियों से लोकसभा चुनाव के मतदान की तिथियों के बीच कोई टकराव नहीं है। जबकि 2004 से 2019 तक हुए तीन लोकसभा चुनाव के वक्त शादियों के शुभ मुहूर्त तथा मतदान की तिथियां काफी मेल खाती रही है।

    इसी वजह से दूल्हा दुल्हन के लिबास में वर वधु के द्वारा मतदान करने की तस्वीरें भी खूब सामने आई थी। लेकिन इस बार ऐसी तस्वीरों का संजोग सिर्फ लोकसभा चुनाव के प्रथम तथा दूसरे चरण के मतदान में ही देखने को मिल सकता है।

    परेशानियों से मिला छुटकारा

    लोकसभा चुनाव तथा शादियों का मुहूर्त साथ-साथ होने से लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता था। बारात ले जाने के लिए लोग बड़े वाहनों की बुकिंग नहीं करते थे।

    चुनाव के वक्त होटल आदि की बुकिंग करने में भी समस्याएं उत्पन्न होती थी। क्योंकि चुनाव का महीना रहने से क्षेत्र के अधिकांश होटल चुनावी कार्य के लिए पहले ही बुक कर लिए जाते थे।

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