Maiya Samman Yojana: मंईयां सम्मान योजना के साथ हो गया खेला, खुलासे से हिली हेमंत सरकार, अधिकारियों में हड़कंप
झारखंंड की मंईयां सम्मान योजना को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। इसके बाद से हेमंत सरकार से लेकर अधिकारी तक हिल गए हैं। दरअसल बंगाल से मंईयां सम्मान योजना में फर्जीवाड़ा का खेल चल रहा था। सरकार में भी इसकी चर्चा हो रही है। बताया जा रहा है कि हेमंत सोरेन जब इसका प्रचार कर रहे थे तब से ही लूटने की प्लानिंग बन रही थी।
जागरण संवाददाता, बोकारो। Jharkhand News: बुधवार को राज्य मुख्यालय द्वारा भेजे गए सभी जिलों को झारखंड मुख्यमंत्री मइंयां सम्मान योजना (जेएमएमएसवाई) के फर्जी आवेदन में गुरुवार को बोकारो में नया खुलासा हुआ है। बुधवार को यह तथ्य सामने आया था कि जिले में 11200 फर्जी आवेदन आदिवासी महिलाओं के नाम से किए गए। इसमें खता धारक पश्चिम बंगाल के लोग थे। सबसे अधिक जिस खाते का इस्तेमाल हुआ वह नाम यूसुफ का था।
युसूफ पतागोड़ा, बड़ाखांती, उत्तर दिनाजपुर, राज्य- पश्चिम बंगाल था का रहने वाला है। गुरुवार को दूसरा 94 बार खाते का इस्तेमाल हुआ। यह बैंक खाता संख्या 100253493007, जिसके खाता धारक का नाम सुफनी खातुन है, पता – मोतिविट्टा, कांटी, झारगांव, उत्तर दिनाजपुर, राज्य- पश्चिम बंगाल है। इस पूरे गड़बड़ी में 11 बैंकों के 50 बैंक खाता का हुआ है कई बार इस्तेमाल है।
कई बार आवेदन करने में इस्तेमाल किया गया है। आवेदन के क्रम में एक ही बैंक खाता का 96 बार, 90 बार, 80 बार, 70 बार, 50 बार, 40 बार व 30 बार आदि इस्तेमाल किया गया है। यह एकाउंट फिनो पेमेंट्स बैंक लिमिटेड, इंडसइंड बैंक लिमिटेड बोकारो, बैंक ऑफ बरोदा, आईडीबीआई बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, आइसीआइसीआइ बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक, ग्रामीण बैंक ऑफ आर्यावर्त, इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक एवं एयरटेल पेमेंट बैंक है।
वहीं, सभी नामों के उप नाम में मुर्मू, हांसदा, मंडल शब्द जोड़ा गया है। 31 अक्टूबर एवं 01 नवंबर 2024 को एक ही साथ कई बार आवेदन किया गया है। उपायुक्त विजया जाधव ने खाता धारक के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया है। जिले में ऐसे कुल 11,200 डुप्लीकेट आवेदन प्राप्त हुआ है।
सीएम कर रहे थें झारखंड के मंईयां को सम्मान देने का प्रचार , अपराधी लूट का बना रहे थे प्लान
खास बात यह है कि यह सबकुछ तब हो रहा था जब मुख्यमंत्री व पूरी सरकार मंईयां सम्मान योजना का प्रचार कर रहे थे। दूसरी ओर भाजपा यह बंग्लादेशियों के मुद्दे को उठा रही थी। इसी बीच पश्चिम बंगाल में बैठे साइबर लुटेरे पूरी घटना को अंजाम दे रहे थे।
वैसे तो बोकारो का मामला सामने प्रशासन ने स्वयं कर दिया है वरना झारखंड के सभी जिलों में यह गड़बड़ी हुई है। राज्य मुख्यालय ने ऐसे संदेहास्पद एकाउंट की सूचना सभी जिले के सहायक निदेशक सामाजिक सुरक्षा को दी है। चर्चा है कि इसी युसूफ व सुफनी का खाता कई जिलों में प्रयाेग हुआ है। जिलों की बदनाम नहीं हो इसके लिए कई जिलों के अधिकारी चूप-चाप हैं।
सभी प्रखंड में हुई एंट्री
राज्य मुख्यालय द्वारा भेजे गए डाटा के अनुसार सुफानी खातुन के खाते का 49 बार चंदनकियारी, 20 बार कसमार, 12 बार बेरमो, 07 बार गोमिया, 02 -02 बार चास/नावाडीह एवं 1-1 बार चास नगर निगम/चंद्रपुरा प्रखंड ) से कुल 94 बार आवेदन किया गया है।
जांच क्रम में यह पता चला है कि बैंक खाता इंडसइंड बैंक से संबंधित है। यह सभी आवेदन राज्य के पलामू जिले एवं बिहार राज्य के किसनगंज स्थित सीएससी संचालक द्वारा किया गया है। कुल तीन कामन सर्विस सेंटर (सीएससी) द्वारा इन आवेदनों को अलग – अलग नाम से किया गया है, जिनका सीएससी आइडी क्रमशः 243621130028 (आपरेटर, वीएलई नाम – विक्कु कुमार रवि, पैरेंट आइडी नाम – उपेंद्र प्रसाद, मोबाइल सं. – 8873482243 – जिला पलामू), 542316220013 (मास्टर, वीएलई नाम – सुमित कुमार, पैरेंट आइडी नाम – सुमित कुमार, मोबाइल सं. – 9122397271 – जिला पलामू) एवं 423664770011 (मास्टर, वीएलई नाम – फरयाद आलम, पैरेंट आइडी नाम – फरयाद आलम, जिला – किसनगंज, बिहार) है।
जैप आइटी की प्रणाली पर सवाल और बिहार के वीएलई के लॉगिन से कैसे हुआ आवेदन? :
जैप आइटी के द्वारा तैयार किए गए सॉफ्टवेयर में बड़ी खामी पाई गई है, जो इस घोटाले की जड़ में है। इस सॉफ़्टवेयर में राशन कार्ड के डेटा को सही ढंग से जांचा नहीं गया। पीएच कार्डधारियों का डाटा स्वचालित रूप से अंकित हो जाता था, लेकिन सादा और अन्य कार्डधारियों के लिए यह प्रक्रिया पूरी तरह से अनियंत्रित थी। इसके कारण फर्जी आवेदन दर्ज करने में कोई रुकावट नहीं आई और सॉफ ने बिना किसी सुरक्षा जांच के आवेदन स्वीकार कर लिया।
बिहार के किसनगंज जिले के वीएलई फरयाद आलम और पलामू जिले के अन्य सीएससी ऑपरेटरों ने जैप आइटी के सॉफ़्टवेयर का गलत फायदा उठाया और अपने लागिन से हजारों फर्जी आवेदन दर्ज किए। इस गंभीर खामी के कारण पूरे सिस्टम को धोखा दिया गया और लाखों रुपये की गड़बड़ी की।
जबकि राज्य के पास केन्द्र सरकार का एनआइसी द्वारा बनाया गया साफ्टवेयर एनएसएपी उपलब्ध था। पर जैप आइटी के अधिकारियों ने सरकार को गुमराह किया बिना किसी सिक्योरिटी व गड़बड़ी की संभावना को जांचे साफ्टवेयर को इंट्री के लिए जारी कर दिया।
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