हेमंत सोरेन पर भड़के सालखन मुर्मू, कहा- विज्ञापन की सरकार को छोड़ना चाहिए गद्दी, करते हैं स्वार्थ की राजनीति
आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने कहा है कि हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री की गद्दी छोड़ देनी चाहिए क्योंकि उनका परिवार स्वार्थ की राजनीति करता है। उन्होंने कहा कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने हाल के दिनों में हेमंत सरकार के खिलाफ कई तथ्यों का उजागर किया है जिनकी जांच होनी चाहिए नहीं तो उनके खिलाफ जनहित याचिका दायर की जाएगी।

जासं, बोकारो। लूट, झूठ, भ्रष्टाचार और विज्ञापन पर सवार हेमंत सरकार को अब गद्दी छोड़ देनी चाहिए क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने सोरेन परिवार के खिलाफ जमीन की खरीद-बिक्री को मीडिया के समक्ष सार्वजनिक किया है।
सालखन मुर्मू ने झामुमो सरकार रांची के खिलाफ खोला मोर्चा
वह बिल्कुल एक आपराधिक मामले की पुष्टि करता है। पहले इस मामले की जांच हो अन्यथा आदिवासी सेंगेल अभियान जनहित याचिका दायर करने के लिए बाध्य हो सकता है।
उक्त बातें आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने नया मोड़ बिरसा आश्रम में आयोजित सेंगेल की बैठक में कही।
स्वार्थ की राजनीति करता है सोरेन परिवार: सालखन मुर्मू
उन्होंने कहा कि यह झारखंड के आदिवासियों का दुर्भाग्य है कि सोरेन परिवार ने पहले झारखंड को कांग्रेस के हाथों बेचा। अब जनवरी 2023 को आदिवासियों की धर्म स्थली पारसनाथ पहाड़ को जैनियों के हाथों बेच दिया।
कहा कि सोरेन परिवार राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त संताली भाषा को अपमानित, वायदों के साथ वादा खिलाफी एवं आदिवासियों के नाम पर स्वार्थ की राजनीति करता है।
बैठक में केंद्रीय संयोजक सुमित्रा मुर्मू, प्रदेश संयोजक सुगदा किस्कू, जोनल संयोजक जयराम सोरेन, जिला अध्यक्ष सुखदेव मुर्मू, भीम मुर्मू, कोमल किस्कू, कालीचरण किस्कू, बुटान बेसरा, लालचंद सोरेन आदि उपस्थित थे।
फिर से होने जा रहा है रेल रोको आंदोलन
इस बीच आदिवासी कुड़मी (कुर्मी) समाज एक बार फिर रेल चक्का जाम आंदोलन करने का ऐलान किया है। समाज ने 20 सितंबर को झारखंड के चार स्थानों पर रेल चक्का जाम करने की घोषणा की है।
उन्होंने इस तय समय से पहले कुड़मी समाज को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग की है। ये लोग मनोहरपुर के अलावा रांची जिला के मुरी, गिरिडीह जिला के गोमो और सरायकेला-खरसावां जिला स्थित नीमडीह में आंदोलन करेंगे।

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