Ramban Disaster: हर तरफ मलबा ही मलबा... वो बारिश नहीं धड़कनों को थाम लेने वाली आफत थी; मंजर देख कांप उठे लोग
Ramban Flood रामबन में रविवार की रात कुदरत ने कहर बरपाया। भारी बारिश और बादल फटने से चारों तरफ मलबा और पानी भर गया जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। मंजर इतना भयावह था कि हर तरफ मलबा ही मलबा था। कई घर और वाहन क्षतिग्रस्त हो गए लोग दहशत में सुरक्षित स्थानों की ओर भागे। प्रशासन और पुलिस ने बचाव कार्य शुरू कर लोगों को मदद पहुंचाई।

जागरण संवाददाता, उधमपुर। Ramban Cloud Brust: रविवार तड़के रामबन में जो हुआ, वो एक खौफनाक मंजर था, जिसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है। मौसम विभाग ने खराब मौसम को लेकर चेताया था, जिला प्रशासन ने भी अलर्ट जारी कर दिया था, लेकिन शायद कोई नहीं जानता था कि वो रात लोगों जिंदगी की सबसे भयावय रात हो जाएगी। बारिश की बौछारें शनिवार देर शाम से शुरु हो गई, मगर तबाही की वर्षा रात डेढ़ बजे बरसना शुरु हुई और तड़के करीब साढ़े तीन बजे कुदरत ने तबाही का जबरदस्त तांडव किया।
हर तरफ था मलबा ही मलबा
ऊपर आसमान में गरजते बादल, नीचे उफनती चिनाब के शोर के बीच मूसलाधार बारिश और ओलों की आवाज साफ सुनाई दे रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे कुदरत ने अपना रौद्र रूप दिखाने की ठान ली थी।
खराब मौसम के चलते बिजली पहले से ही गुल थी, हर ओर अंधेरा और सन्नाटा था, लेकिन अचानक बादलों की गर्जना, पानी और पत्थरों के गिरने की तेज आवाजों ने नींद में सोए लोगों को हिला दिया।
शान पैलेस इलाके में स्थित होटल उस्मान होटल के साथ बरसाती नाले में जैसे ही पानी के साथ मलबा आना शुरु तो उससे शोर से होटल में रुके मेहमानों की नींद टूटी। होटल मालिक लियाकत के अलावा स्थानीय निवासी शौकत मीर, मुसत्फा खान और दिलेर सिंह के मुताबिक किसी ने मोबाइल की टार्च जलाकर नीचे झांका तो जो देखा, वो खौफ से भर देने वाला था।
होटल के नीचे सिर्फ बहता मलबा, पत्थर और पानी ही नजर आ रहा था। कुछ समझ नहीं आया कि बाहर जाएं या अंदर ही रहें। लेकिन जब मलबा ऊपर चढ़ने लगा, तब लोग जिस हालत में थे, वैसे ही जान बचाने बाहर दौड़ पड़े। किसी के पास चप्पल नहीं थी, किसी का सामान वहीं रह गया। होटल में रुके कुछ लोगों ने के साथ स्टाफ और स्थानीय लोगों ने बड़ी हिम्मत दिखाई, कई मेहमानों को खींच कर बाहर निकाला।
हर किसी ने महसूस किया कुदरत का तांडव
तेज वर्षा और ओलावृष्टि में बाहर का हाल उससे भी डरावना था। रामबन में कोई घर ऐसा नहीं था जो मौसम की मार से प्रभावित न हुआ हो। किसी के घर में पानी तो किसी के घर में मलबा घुस आया। किसी का छोटा तो किसी का बड़ा नुकसान हुआ।
कुदरत ने जो तांडव किया उसे रामबन में रात को हर किसी ने महसूस किया। अधिक प्रभावित इलाकों में लोग डर के मारे जाग गए और स्थिति पर नजर रखने लगे। किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें, किस ओर जाएं।
समय बीतने के साथ मौसम की रौद्रता शांत हुई। पुलिस और प्रशासन के साथ सिविल क्यूआरटी की टीमें मदद के लिए पहुंची। लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। रात जैसे-तैसे कटी, और सुबह पौं फटते ही जो मंजर सामने आया, उसने सबका कलेजा हिला दिया।
मलबे में दब गए दर्जनों वाहन
रामबन, बावली बाजार, हायर सेकेंडरी स्कूल, अस्पताल रोड़ सहित अन्य जगहों पर जगह-जगह मलबा पत्थर फैले हुए थे। दोपहिया वाहन पानी के बहाव के साथ बह कर इधर- उधर और गलियों और सड़कों पर गिरे थे। कई मकानों की दिवारों में दरारें आ गई थीं। हाईवे पर दर्जनों वाहन मलबे में दबे हुए थे।
लोग अपने वाहन छोड़कर पैदल ही कई किलोमीटर चलकर सुरक्षित जगहों तक पहुंचे थे। पंजाब के गुरदासपुर से आए जसदेव, मुंबई के भालचंद्र और केशव जैसे यात्री जो श्रीनगर जा रहे थे। उन्होंने बताया कि बस खराब मौसम के कारण रास्ते में रोकनी पड़ी थी, लेकिन किसी ने नहीं सोचा था कि रात ऐसे बीतेगी। डर, भूख, अंधेरा और प्रार्थनाएं यही सब उस रात का सहारा बने।
लोग हैरान हैं कि वो बचे कैसे?
रामबन (Ramban Flood) में अब सिर्फ नुकसान की गिनती बची है। लोग हैरान हैं कि वो बचे कैसे। ईश्वर का धन्यवाद करते हुए कई लोगों की आंखें नम थीं। हकीकत यही है कि चेतावनी थी, प्रशासन तैयार भी था, लेकिन जब कुदरत कहर ढाने पर उतरती है, तब उसके सामने सब कुछ बौना पड़ जाता है। उस रात रामबन के लोग मौत से एक कदम दूर थे।
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