जम्मू-कश्मीर: एक रात में सबकुछ खत्म! नींद में सोए लोगों पर कुदरत का कहर, कुछ ऐसा था रामबन में तबाही का मंजर
रामबन में अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन ने भारी तबाही मचाई है। बादल फटने से सेरी वगन इलाका बुरी तरह प्रभावित हुआ जिसमें तीन लोगों की जान चली गई। जम्मू-श्री ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, उधमपुर। रविवार की अलसुबह जब पूरा रामबन गहरी नींद में था, तब प्रकृति ने अपनी सबसे डरावनी करवट ली। तेज बारिश, ओलावृष्टि और बादल फटने की घटनाओं ने जिले के कई हिस्सों को बुरी तरह प्रभावित कर दिया।
तड़के करीब 3 बजे रामबन जिला आई भयंकर बाढ़ से पानी और मलबे ने जबरदस्त तबाही मचाते हुए तीन लोगों की जिंदगियों को लीलने के साथ भारी नुकसान किया। मलबे और भूस्खलन की वजह से जम्मू-श्रीनगर हाईवे बंद हो गया है। लाखों टन मलबा गिरने और दर्जनों जगहों पर भूमि कटाव की वजह से हाईवे को जिस तरह का नुकसान हुआ, उससे अगले कुछ दिनों तक हाईवे खुलने की उम्मीद नहीं है।
दो सगे भाइयों सहित तीन की मौत
मौसम विभाग की 18 से 20 अप्रैल तक खराब मौसम की चेतावनी की अवधि समाप्त होने से पहले मौसम ने रामबन जिला को अपने रौद्र रूप के दर्शन कराए। रात से हो रही वर्षा के बाद रविवार तड़के रामबन जिले के सेरी वगन इलाके में बादल फटने से अचानक आई बाढ़ ने जबरदस्त तबाही मचाई। बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित सेरी बागन, केला मोड़, बाउली बाजार और धर्मकुंड इलाके हुए हैं।
मौसमी प्रयल से पानी के साथ बह कर आए मलबे और पत्थर ने कई दुकानों, होटल और घरों को अपनी चपेट में ले लिया। मलबे की चपेट में आने से दो सगे भाइयों सहित तीन लोगों मौत हो गई है। जिनकी पहचान आकिब अहमद और मोहम्मद साकिब दोनों पुत्र मोहम्मद हनीफ निवासी सेरी बागना तथा मुनी राम पुत्र मंगत राम निवासी बागना के रूप में हुई है।
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बाढ़ में बह गए कई वाहन
बादल फटने से आए सैलाब के साथ इतना मलबा बह कर आया कि शान पैलेस के पास होटलों के बाहर एक से दो मंजिल उंचा मलबे का पहाड़ लग गया। सेरी में इतना ज्यादा मलबा हाईवे पर जमा हो गया था कि उस पर खड़े होकर कोई भी हाईवे किनारे लगाने वाले साइन बोर्ड को हाथों से छू सकता है।
वहीं गनीमत रही होटलों में रुके लोग और स्टाफ सुरक्षित बच गए। मगर होटलों के बाहर खड़े वाहन मलबे के नीचे दब गए। इस त्रासदी की चपेट में आने से दर्जनों वाहनों को नुकसान हुआ है। कुछ के नीचे दब गए हैं, जबकि कई मलबे में बुरी तरह फंसे हैं और कुछ मलबे के साथ सड़क से नीचे चले गए हैं।
पीसीआर के मुताबिक त्रास्दी के कारण रामबन जिला के सेरी, केला मोड़ और धर्मकुंड में कुल मिला कर 40 के करीब घर क्षतिग्रस्त हुए हैं। जिनमें से धर्मकुंड 10 पूरी तरह तबाह हो गए हैं। कई वाहन भी बाढ़ में बह गए।
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घरों में मलबा आने से बड़ा नुकसान
भारी वर्षा के कारण घरों में पानी घुसने से जलभराव के साथ मलबा आने से नुकसान हुआ। बुरी तरह से प्रभावित इलाकों में लोगों को सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन करना पड़ा है। बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों के लिए स्थिति और भी ज्यादा चिंताजनक बनी हुई है।
त्रासदी के बाद से ही राहत और बचाव कार्य शुरू हो गई है। सेना, पुलिस, सिविल क्यूआरटी सभी तड़के से ही राहत और बजाव कार्य में जुटे हैं। प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिए हैं, लेकिन खराब मौसम और दुर्गम इलाकों में पहुंचने की कठिनाई से रेस्क्यू ऑपरेशन में काफी अड़चनें आ रही हैं।
सेना और आपदा प्रबंधन की टीमें लगातार काम में जुटी हैं, लेकिन हालात सामान्य होने में अभी समय लग सकता है।
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गाड़ियों में फंसे हैं यात्री
वहीं, देश को कश्मीर से जोड़ने वाले जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-44) त्रास्दी से बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हुआ है। नाशरी से बनिहाल तक करीब दर्जनभर स्थानों पर मलबा जमा हो गया है। पंतिहाल के पास सड़क का एक हिस्सा पूरी तरह बह गया है।
जिससे सैकड़ों यात्री, ट्रक और बसें रास्ते में फंसी हुई हैं। मारोग, मिहाड़, सेली, केला मोड़, मंकी मोड़ सहित विभिन्न जगहों पर अधिक क्षतिग्रस्त हुआ है। कहीं पर सड़क पर मलबे का पहाड़ जमा होने से बाधित हो गया है, जबकि कुछ जगहों पर भूस्खलन से भूमि कटाव की वजह से सड़क क्षतिग्रस्त हो गई है।
भूमि कटाव वाले हिस्से में में दर्जनों वाहन फंस चुके हैं। जिनको निकाल पाना फिलहाल मुमिकन नहीं है। इस जगह पर कुछ वाहन मलबे के साथ नीचे भी चले गए हैं। रामबन में दर्जनों की संख्या में बड़े और छोटे यात्री वाहन मलबे में पूरी तरह या फिर आंशिंक रूप से दब कर फंसे हैं। वाहन चालक और यात्री बीच रास्ते में फंसे हुए हैं।
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सेना ने मोर्चा संभाला
जब भी जहां भी जरूरत पड़ी सेना मुसीबत में फंसे लोगों के लिए देवदूत की तरह मददगार बनी है। रविवार तड़के रामबन जिला में आई त्रासदी के कारण ट्रक, बस व अन्य यात्री व अन्य वाहन विभिन्न जगहों पर फंसे थे। महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को खाने पीने और उपचार जैसी सुविधाओं के लिए परेशान होना पड़ रहा था।
घंटों से मौसम मार की कारण फंस कर इंतजार कर रहे इन लोगों की मदद के लिए सेना की 11 सेक्टर राष्ट्रीय राइफल्स और डिगडोल से सेना के जवान फंसे हुए लोगों तक पहुंचे।
चाय और गर्म भोजन खिलाने के साथ सेना की चिकित्सा टीमों को भी प्राथमिक चिकित्सा और बुनियादी चिकित्सा सहायता प्रदान करने के साथ हर संभव मदद की। सेना के अनुसार, जब तक स्थिति सामान्य नहीं हो जाती, राहत कार्य जारी रहेगा।

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