कश्मीर में अलगाववाद खत्म! दो और संगठनों ने हुर्रियत से तोड़ा नाता; अमित शाह बोले- भारत का सपना और मजबूत
कश्मीर में दो और अलगाववादी संगठनों ने हुर्रियत कान्फ्रेंस से नाता तोड़ते हुए भारतीय संविधान में आस्था जताई है। अब तक 11 संगठन अलगाववाद से किनारा कर चुके हैं। गृहमंत्री अमित शाह ने इस बदलाव को प्रधानमंत्री मोदी के सशक्त भारत की दिशा में बड़ी सफलता बताया। लोगों ने भी अलगाववाद और आतंकवाद से मुंह मोड़ा है जिससे कश्मीर में मुख्यधारा की ओर रुझान बढ़ा है।

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। कश्मीर में मंगलवार को जिस समय केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह आतंकी और अलगाववादियों के बचे-खुचे पारिस्थितिक तंत्र के समूल नाश की कार्ययोजना को बना रहे थे, उसी समय दो और अलगाववादी संगठनों ने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से नाता तोड़ते हुए आजादी, कश्मीर बनेगा पाकिस्तान व कश्मीर में जनमत संग्रह की राजनीति से भी तौबा करने का एलान कर दिया।
भारतीय संविधान में जताई आस्था
भारतीय संविधान में आस्था जताते हुए इन संगठनों ने कहा कि अब हमारा आतंक और अलगाववाद का नारा देने वालों से या हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से कोई संबंध नहीं है। विगत कुछ समय से कश्मीर में 11 अलगाववादी संगठन हुर्रियत और अलगाववादी राजनीति से किनारा कर चुके हैं।
गत सोमवार को जम्मू-कश्मीर फ्रीडम फ्रंट ने अलगाववाद से नाता तोड़ा था। शाह ने भी चौबीस घंटे में तीन अलगाववादी संगठनों के मुख्यधारा में शामिल होने पर प्रसन्नता जताते हुए कहा कि इससे प्रधानमंत्री मोदी के सशक्त भारत का सपना और मजबूत हुआ है।
इन संगठनों ने तोड़ा नाता
मंगलवार को जिन दो अलगाववादी संगठनों ने हुर्रियत से नाता तोड़ा है वह जम्मू-कश्मीर इस्लामिक पॉलिटिकल पार्टी और जम्मू-कश्मीर मुस्लिम डेमोक्रेटिक लीग हैं। यह दोनों हुर्रियत कान्फ्रेंस के घटकों में शामिल रहे हैं।
इन दोनों संगठनों ने अलग-अलग बयान जारी कर कहा कि वह भारत के संविधान और उसकी संप्रभुता, एकता अखंडता में यकीन रखते हैं।
उनका अब कश्मीर में हुर्रियत कॉन्फ्रेंस समेत किसी भी संगठन से जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से अलगाववाद और आतंकी हिंसा का समर्थन करता है, उससे कोई सरोकार नहीं है। वह इन संगठनों की गतिविधियों से खुद को पूरी तरह अलग करते हैं।
सरकार ने इनके खिलाफ चला रखा है अभियान
बता दें कि पांच अगस्त 2019 के बाद से कश्मीर में सरकार ने आतंकियों और अलगाववादियों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई का अभियान चला रखा है।
आम लोगों ने भी कश्मीर मे जिहाद और आजादी का नारा देने वालों से पूरी तरह मुंह मोड़ लिया है। इससे विभिन्न अलगाववादी संगठनों ने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से ही नहीं, बल्कि आजादी और अलगाववाद के नारे सभी किनारा करना शुरू कर दिया है।
जिस तरह से केंद्र सरकार ने आतंकियों और अलगाववादियों के तंत्र पर चोट की है, उसके बाद से वह पूरी तरह से हाशिए पर चले गए हैं। पाकिस्तान भी इनसे मुंह मोड़ चुका है। आम कश्मीरी अब खुलेआम आतंकी हिंसा, आजादी के नारे और पाकिस्तान की आलोचना करते हैं। यह केंद्र सरकार की नीतियों की जीत है।
-सलीम रेशी, कश्मीर मामलों के जानकार
ये प्रमख संगठन हो चुके हुर्रियत से अलग
बीते एक माह में अलगाववाद का नारा छोड़ने और हुर्रियत से अलग होने वाले अलगाववादी संगठनों में शाहिद सलीम के नेतृत्व वाला जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट, वकील शफी रेशी के नेतृत्व वाला जम्मू -कश्मीर डेमोक्रेटिक पॉलिटिकल मूवमेंट और मोहम्मद शरीफ सरताज के नेतृत्व वाला जम्मू-कश्मीर फ्रीडम मूवमेंट भी शामिल है।
इसके बाद 27 मार्च को हुर्रियत के दो और घटकों जम्मू-कश्मीर तहरीक इस्तेकलाल और जम्मू-कश्मीर तहरीक-ए-इस्तिकामत ने भी हुर्रियत से नाता तोड़ते हुए भारतीय संविधान में अपनी आस्था जताई ।
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