'बेगाने भी खफा मुझसे, अपने भी नाखुश...'; स्पीकर राथर का छलका दर्द, बोले- विश्वास नहीं तो मुझे हटा दें
जम्मू-कश्मीर विधानसभा के स्पीकर अब्दुल रहीम राथर विपक्ष और सत्तापक्ष दोनों के निशाने पर हैं। उन पर संसद द्वारा पारित वक्फ अधिनियम पर चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव को खारिज करने का आरोप है। विपक्ष का आरोप है कि स्पीकर ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ मिलकर मैच फिक्सिंग की है। उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी लाया गया है। इसपर उनका दर्द छलका है।
नवीन नवाज, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर विधानसभा के स्पीकर अब्दुल रहीम राथर की मौजूदा स्थिति पर शायर इकबाल का शेर बेगाने भी खफा मुझसे, अपने भी नाखुश, मैं जहर-ए-हलाहल को कभी कह न सका कंद, सटीक बैठता है।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के सबसे अनुभवी और वयोवृद्ध नेताओं में एक अब्दुल रहीम राथर संसद द्वारा वक्फ अधिनियम पर चर्चा के लिए जम्मू कश्मीर विधानसभा में स्थगन प्रस्ताव को खारिज किए जाने के बाद न सिर्फ विपक्ष के बल्कि सत्तापक्ष के भी निशाने पर हैं। भाजपा भी उन पर सत्तापक्ष के साथ मैच फिक्सिंग का आरोप लगा रही है। मंगलवार को उनके खिलाफ विपक्ष के चार विधायकों ने अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस भी दे दिया।
क्फ संशोधन बिल पर चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव की अनुमति नहीं
सदन में प्रतिपक्ष के नेता सुनील शर्मा ने गत सोमवार को उन पर नेकां के साथ मैच फिक्सिंग का आरोप लगाया। उन्होंने इसी सत्र में नहीं बल्कि नवंबर में संपन्न हुए सत्र के दौरान भी उन पर सत्ताधारी दल के हितों के संरक्षण के लिए विधानसभा में लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया था।
बीते दो दिनों से वह अपने ही साथी विधायकों, नेकां विधायकों के निशाने पर हैं, क्योंकि वह वक्फ संशोधन बिल पर चर्चा के लिए उनके स्थगन प्रस्ताव की अनुमति नहीं दे रहे हैं। उन्होंने सीधे शब्दों में कहा कि संसद में जो कानून बन चुका है, उस पर विधानसभा में चर्चा नहीं हो सकती, क्योंकि विधानसभा इसे बदल नहीं सकती।
आप चाहें जो भी करो, मैं अनुमति नहीं दे सकता। यही बात उन्होंने पीडीपी के वहीद उर रहमान परा और पीपुल्स कान्फ्रेंस के सज्जाद गनी लोन को भी कही। सज्जाद गनी लोन और वहीद परा ने भी उनके रवैये पर एतराज जताते हुए उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया है।
'वक्फ बिल पर बहस नहीं कराई'
पीडीपी के एक विधायक ने कहा कि स्पीकर ने बीते दो दिनों के दौरान जिस तरह से व्यवहार किया है, वह सिर्फ इसलिए ताकि सदन में जम्मू-कश्मीर के राज्य के दर्जे की बहाली से जुड़े प्रस्ताव पर चर्चा न हो। जम्मू-कश्मीर में जमीनों पर स्थानीय लोगों के अधिकार को सुनिश्चित करने के बिल पर बात न हो सके।
इन मुद्दों पर सत्ताधारी दल बेनकाब हो जाता। भाजपा भी उपरोक्त प्रस्तावों के खिलाफ है। इसलिए उन्होंने बार-बार सदन की कार्यवाही को स्थगित किया, वक्फ बिल पर बहस नहीं कराई।
मेरी ईमानदारी पर उठाया जा रहा सवाल
दैनिक जागरण के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि मुझे सिर्फ इस बात का अफसोस है कि मेरी इमानदारी पर सवाल उठाया जा रहा है। जब मैं सिर्फ विधायक था तो भी मैने कभी विधानसभा के नियमो केा उल्लंघन नहीं किया और आज जब मैं स्पीकर के पर पर हूं,कैसे नियमों की अनदेखी कर दूं।
मैं नेकां का नहीं बल्कि पूरे सदन का स्पीकर और संरक्षक हूं, जो मुझे जिम्मेदारी मिली है, मुझे उसे पूरी इमानदारी और निष्ठा से पूरा करना है। मैंने वक्फ बिल पर स्थगन प्रस्ताव और चर्चा की अनुमति नियमों के आधार पर ही नहीं दी है। मैं खुदा का शुक्रगुजार हूं कि मैने जो फैसला लिया, सोच समझ कर ईमानदारी से लिया है।
केवल यह सदन ही नहीं, बल्कि पूरा देश मेरी ओर देख रहा है। हम ऐसा कुछ नहीं करेंगे जिससे किसी को अपमानित होना पड़े और किसी को यह कहने का मौका मिले कि कानूनी या संवैधानिक प्रावधानों का पालन नहीं किया जा रहा है।
'मैं वसूलों से समझौता नहीं कर सकता'
उन्होंने कहा कि सदन की एक गरिमा होती है, उसका ध्यान रखना चाहिए। हमें सिर्फ चंद लोग नहीं देख रहे हाेते, पूरी दुनिया की नजरें हम पर होती हैं। लोगों की बहुत सी उम्मीदें इस सदन से हैं। सदस्यों को अध्यक्ष का सम्मान करना चाहिए। मैं सभी विधायकों का सम्मान करता हूं, चाहे वे किसी भी पार्टी से जुड़े हों।
अविश्वास प्रस्ताव पर उन्होंने कहा कि मैं इससे नहीं घबराता। आप इसे सदन में आने दीजिए। यह तो लोकतांत्रिक प्रक्रिया का एक हिस्सा है। अगर मुझमें सदस्यों को विश्वास नहीं है तो वह मुझे इस जिम्मेदारी से मुक्त कर सकते हैं, लेकिन मैं किसी को खुश करने के लिए अपने उसूलों से समझौता नहीं कर सकता।
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