एशिया की दूसरी सबसे बड़ी सोपोर फल मंडी बंद, फल उत्पादक बोले-हाईवे की नाकेबंदी के कारण हो रहा करोड़ों का नुकसान
कश्मीर के बारामूला जिले के सोपोर में एशिया की दूसरी सबसे बड़ी फल मंडी में सोमवार को सन्नाटा पसरा रहा। घाटी-व्यापी हड़ताल के कारण सोपोर मंडी बंद रही। उत्पादकों ने फलों से लदे ट्रकों के लिए निर्बाध मार्ग की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया। सोपोर फल मंडी के अध्यक्ष फयाज अहमद मलिक ने कहा कि राजमार्ग पर फलों के ट्रक रोके जाने से करोड़ों का नुकसान हो रहा है।

जागरण संवाददाता, श्रीनगर। उत्तरी कश्मीर के बारामूला जिले के सोपोर में स्थित एशिया की दूसरी सबसे बड़ी फल मंडी, सोपोर में सोमवार को असामान्य सन्नाटा पसरा रहा।
कश्मीर भर की सभी मंडियों को बंद करने के घाटी-व्यापी दो दिवसीय आह्वान के अनुरूप, सोपोर मंडी बंद रही और उत्पादकों ने बागवानों की दुर्दशा के प्रति सरकारी उदासीनता के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया।
सैकड़ों उत्पादक, आढ़ती, व्यापारी और अन्य हितधारक मंडी के द्वार पर इकट्ठा हुए, तख्तियां लिए और राजमार्ग पर कई दिनों से फंसे फलों से लदे ट्रकों के लिए निर्बाध मार्ग की मांग करते हुए नारे लगाए। लगभग एक घंटे तक चला विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण ढंग से समाप्त हो गया।
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सोपोर फल मंडी के अध्यक्ष फयाज अहमद मलिक ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, लाखों परिवार बागवानी पर निर्भर हैं। फिर भी हमारे फलों के ट्रक बिना किसी कारण के राजमार्ग पर रोक दिए जाते हैं। हमें हर दिन करोड़ों का नुकसान हो रहा है। अगर ऐसा ही चलता रहा, तो यह कश्मीर के बागवानी क्षेत्र को बर्बाद कर देगा।
उत्तरी कश्मीर में फल उद्योग से जुड़े व्यापारियों ने राजमार्ग की लगातार नाकेबंदी पर सरकार और स्थानीय प्रतिनिधियों की चुप्पी के लिए कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि पिछले दस दिनों से हज़ारों सेब से लदे ट्रक राजमार्ग पर फंसे हुए हैं।
मलिक ने कहा, यह शर्मनाक है कि हमारे मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और कश्मीर के 60 विधायक हाईवे बंद होने के बारे में बात करने तक की तकलीफ नहीं उठा रहे हैं। अगर वे घाटी की आर्थिक जीवनरेखा को सुचारू रूप से चलाना सुनिश्चित नहीं कर सकते हैं तो उन्हें इस्तीफ़ा दे देना चाहिए।
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सोपोर के एक फल उत्पादक राजा अफजल ने कहा, हमारा माल जल्दी खराब हो जाता है। हर घंटे की देरी का मतलब है भारी नुकसान। इस सीज़न में पहले ही 1,200 करोड़ से ज़्यादा के नुकसान का अनुमान है। सरकार बिना किसी ठोस योजना के चुपचा हमें तबाह होते देख रही है।
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