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    Pahalgam Terror Attack: बैसरन को ही क्यों किया टारगेट? आतंकियों ने पहलगाम आने के लिए चुना था ये रास्ता

    Updated: Wed, 23 Apr 2025 12:01 PM (IST)

    पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस हमले में 26 लोगों की जान चली गई और कई घायल हो गए। आतंकियों ने पर्यटकों के लिए मशहूर बैसरन इलाके को निशाना बनाया। यह इलाका घने देवदार के जंगल और पहाड़ों से घिरा घास का बड़ा मैदान है। आतंकियों ने इस जगह को इसलिए चुना क्योंकि यहां अधिक संख्या में पर्यटक आते हैं।

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    : पहलगाम में किस रास्ते में आए थे आतंकी (जागरण ग्राफिक्स)

    डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के पर्यटन स्थल पहलगाम में मंगलवार दोपहर आतंकी हमले में 26 लोगों की जान चली गई जबकि 20 से करीब लोग घायल हो गए।

    मौजूदा समय में पहलगाम और पहाड़ी इलाकों में सेना ने सर्च अभियान चलाया है। आतंकियों की तलाश के लिए इलाके में सेना सघन सर्च ऑपरेशन चला रही है।गौरतलब है कि साल 2019 में पुलवामा अटैक के बाद कश्मीर में यह सबसे बड़ा हमला था।

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    कहां हुआ हमला?

    पहलगाम से करीब 6 किलोमीटर की दूरी पर बैसरन एक जगह है। यह जगह पर्यटकों के लिए खूब प्रसिद्ध है। इस इलाके को मिनी स्विट्जरलैंड के नाम से भी जाना जाता है। यह इलाका घने देवदार के जंगल और पहाड़ों से घिरा घास का बड़ा मैदान है।

    यह पर्यटकों और ट्रैकर्स का पसंदीदा स्थान है। आतंकियों ने इसी जगह को टारगेट किया। इसकी एक वजह यह भी है कि यहां अधिक संख्या में पर्यटक आते हैं। संभवत: आतंकियों ने इसलिए इस जगह को निशाना बनाया।

    बैसरन तक केवल पैदल या घोड़ों से ही पहुंचा जा सकता है। रास्ते की जटिलताओं को देखते हुए और उक्त स्थान पर सुरक्षा चौकी न होना भी आतंकियों के बढ़ते हौसले की एक वजह बनी।

    कैसे पहुंचे यहां आतंकी?

    अधिकारियों ने बताया कि कि संभव है कि आतंकी जम्मू के किश्तवाड़ से दक्षिण कश्मीर के कोकरनाग के रास्ते पहलगाम और फिर बैसरन पहुंचे हों।

    पर्यटकों की बढ़ती संख्या को देखते हुए साथ ही अमरनाथ यात्रा को प्रभावित करने के लिए संभवत: आतंकियों ने यह नापाक हरकत की है। बता दें कि 3 जुलाई से अमरनाथ यात्रा शुरू हो रही है। ऐसे में पर्यटकों के बीच भय और हालात को बिगाड़ने के लिए आतंकियों ने इस जगह को चुना।

    अमरनाथ यात्रा के लिए अहम है पहलगाम रूट

    अमरनाथ यात्रा के लिए पहलगाम रूट बेहद महत्वपूर्ण है। इस रूट से गुफा तक पहुंचने में तीन दिन लगते हैं, मगर रास्ता आसान है। यात्रा में खड़ी चढ़ाई नहीं पड़ती है।

    पहलगाम से पहला पड़ाव चंदनवाड़ी है, जहां से चढ़ाई शुरू होती है। यह बेस कैंप से 16 किलोमीटर दूर है। तीन किमी चढ़ाई के बाद यात्रा पिस्सू टाप पर पहुंचती है, जहां से पैदल चलते शाम तक यात्रा शेषनाग पहुंचती है। यह सफर करीब नौ किलोमीटर का है। अगले दिन यात्री शेषनाग से 14 किलोमीटर दूर पंचतरणी जाते हैं।

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