कश्मीर में एनएचएम चयन सूची घोटाले का पर्दाफाश, क्राइम बांच में 5 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज
कश्मीर क्राइम ब्रांच ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) जम्मू-कश्मीर के मिशन निदेशक द्वारा जारी एक फर्जी आदेश के संबंध में मामला दर्ज किया है। यह आदेश कश्मीर डिवीजन के लिए उम्मीदवारों की चयन सूची के रूप में जारी किया गया था। जांच में पता चला कि कोविड-19 के दौरान एक एनजीओ ने एनएचएम के तहत स्थायी नियुक्ति के बहाने लोगों से पैसे वसूले और फर्जी चयन सूची तैयार की।

डिजिटल डेस्क, जागरण, श्रीनगर। कश्मीर के क्राइम ब्रांच ने शनिवार को एक मामला दर्ज किया है, जिसमें राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) जम्मू-कश्मीर के मिशन निदेशक द्वारा जारी किए गए एक फर्जी आदेश के संबंध में शिकायत मिली थी।
यह आदेश "कश्मीर डिवीजन के लिए विभिन्न पदों के लिए उम्मीदवारों की अस्थायी चयन सूची" के रूप में जारी किया गया था और इंटरनेट मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से प्रसारित किया जा रहा था, जिससे जनता में भ्रम फैल गया था। इस मामले में संज्ञान लेते हुए क्राइम ब्रांच कश्मीर (आर्थिक अपराध शाखा) में एक औपचारिक मामला दर्ज किया गया है।
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जांच के दौरान खुलासा
प्रारंभिक जांच के दौरान, यह पता चला कि कोविड-19 महामारी के दौरान, एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) जेके हेल्थकेयर सर्विसेज को कश्मीर के विभिन्न मेडिकल ब्लॉक्स में स्वैच्छिक मानव संसाधन प्रदान करने के लिए कश्मीर के स्वास्थ्य सेवा निदेशालय द्वारा अनुमोदित किया गया था।
हालांकि, इस एनजीओ के प्रबंधन सदस्यों ने एक सोची-समझी साजिश के तहत इस अनुमोदन का अनुचित लाभ उठाया। उन्होंने स्वेच्छा से सेवा करने वाले लोगों से संपर्क किया, उन्हें एनएचएम के तहत स्थायी नियुक्ति के बहाने उनके दस्तावेज प्राप्त किए और उनसे पैसे भी वसूले। इसके बाद, उन्होंने एनएचएम जम्मू-कश्मीर के मिशन निदेशक के हस्ताक्षर को नकल करके एक फर्जी चयन सूची तैयार की।
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आरोपियों की पहचान
आरोपियों की पहचान अब्दुल कयूम नाइक पुत्र अब्दुल अजीज नाइक निवासी चेक फिरोज पोरा, तंगमर्ग, अब्दुल कयूम खान पुत्र गुल मोहम्मद खान निवासी हरवान ए/पी ओमपोरा, बडगाम, मोहम्मद अशरफ हुर्राह पुत्र गुलाम नबी हुर्राह निवासी सरिया बाला, श्रीनगर, मुश्ताक अहमद सोफी पुत्र मोहम्मद सुल्तान सोफी निवासी शादीपोरा, सुंबल, बांडीपोरा और हिलाल अहमद बहार पुत्र मोहम्मद सिद्दीक बहार, निवासी शादीपोरा, सुंबल, बांडीपोरा के रूप में हुई है।
उनके कार्यों से यह पता चलता है कि उन्होंने धोखाधड़ी और जालसाजी के अपराध किया है, जो भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 468, 471, 120-बी और आईटी अधिनियम की धारा 66-डी के तहत दंडनीय हैं।
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