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    'इस्लाम का गद्दार...', मीरवाइज को लश्कर-ए-तैयबा की धमकी, अलर्ट मोड पर एजेंसियां; वाई प्लस सुरक्षा देने की तैयारी

    Jammu Kashmir News कश्मीर आतंकी खतरों के बीच मीरवाइज उमर फारूक को फिर से सरकारी सुरक्षा कवच मिल सकता है। सुरक्षाबलों और खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट के आधार पर उन्हें वाई प्लस या वाई श्रेणी का सुरक्षा कवच दिया जा सकता है। टीआरएफ और कश्मीर फाइट्स ने उन्हें धमकाया है। मीरवाइज हमेशा से धर्मांध जिहादी तत्वों के खिलाफ रहे हैं।

    By naveen sharma Edited By: Prince Sharma Updated: Sat, 08 Feb 2025 07:29 PM (IST)
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    ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन मीरवाइज मौलवी उमर फारूक (फाइल फोटो)

    नवीन नवाज, श्रीनगर। ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन मीरवाइज मौलवी उमर फारूक और उनके स्वजनों की सुरक्षा को सुनिश्चित बनाए रखने के लिए उन्हें सरकारी सुरक्षा कवच पुन: प्रदान किया जा सकता है। उन्हें वाई प्लस या फिर वाई श्रेणी का सुरक्षा क्वच प्रदान किया जा सकता है।

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    अलबत्ता, उनके सुरक्षा कवच की श्रेणी को सुरक्षाबलों व संबधित खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट के आधार पर ही तय किया जाएगा। फिलहाल, जम्मू कश्मीर पुलिस का सुरक्षा एवं खुफिया विंग और अन्य केंद्रीय एजेंसियों ने उनकी सुरक्षा और उन पर आतंकी हमले की आशंका का आकलन शुरू कर दिया है।

    आतंकी गुटों से मिल रही धमकियां

    लश्कर-ए-तैयबा का हिट स्क्वाड कहे जाने वाले टीआरएफ और आतंकियों के मुखपत्र कश्मीर फाइट्स ने भी मीरवाइज मौलवी उमर फारूक को कौम और इस्लाम का गद्दार देते हुए धमकाया है।

    उल्लेखनीय है कि मीरवाइज मौलवी उमर फारूक को 1990 में उनके पिता मीरवाइज फारूक अहमद की आतंकियों द्वारा हत्या किए जाने के बाद सुरक्षा क्वच प्रदान किया था।

    पुलवामा अटैक के बाद हटाया गया था सुरक्षा कवच

    फरवरी 2019, में पुलवामा कांड के बाद केंद्र सरकार ने मीरवाइज मौलवी उमर फारूक समेत पांच अलगाववादी नेताओं का सुरक्षा कवच हटा लिया था। हालांकि, मीरवाइज ने कभी सार्वजनिक तौर पर स्वीकार नहीं किया है, लेकिन उनके साथ हमेशा सादी वर्दी में जम्मू-कश्मीर पुलिस का एक अधिकारी मौजूद रहता था।

    मीरवाइज के करीबी भी उसे हुर्रियत का ही कार्यकर्ता या फिर मीरवाइज को कोई निजी मुलाजिम मानते थे।

    संबधित अधिकारियों ने बताया कि मीरवाइज मौलवी उमर फारूक ने गत वर्ष जम्मू-कश्मीर में हुए चुनाव प्रक्रिया के खिलाफ कोई शब्द नहीं बोला और परोक्ष रूप से चुनाव प्रक्रिया का समर्थन करते हुए कई अलगाववादी नेताओं को चुनाव लड़ने के लिए समर्थन दिया।

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    वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर रखा पक्ष

    इसके अलावा उन्होंने गत दिनों नई दिल्ली में संसद परिसर में वक्फ संशोधन विधेयक के मुद्दे पर संयुक्त संसदीय समिति के समक्ष अपना पक्ष रखकर, एक तरह से संसद की सर्वाेच्चता को स्वीकारा है। इसके साथ ही उन्होंने कश्मीरी हिंदुओं की कश्मीर में वापसी का समर्थन करते हुए कहा है कि आम कश्मीरी मुस्लिमों को भी इसके लिए प्रयास करना होगा।

    उन्होंने कश्मीरी हिंदुओं व कश्मीरी मुस्लिमों के बीच संवाद-सौहार्द-विश्वास की भावना को मजबूत बनाने के लए एक अंतर समुदाय समिति के गठन की कमान भी संभाली है।

    इससे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी और कश्मीर में सक्रिय विभिन्न जिहादी संगठन नाराज हैं। टीआरएफ और कश्मीर फाइट्स ने एक बार नही कई बार उन्हें धमकाया है,उनके लिए सोशल मीडिया पर कई बार धमकियां जारी की गई हैं।

    मीर को सबसे बड़ा दुश्मन मानते हैं जिहादी संगठन

    मीरवाइज मौलवी उमर फारूक को कश्मीर में सक्रिय जिहादी संगठन अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानते हैं। वह हमेशा से ही धर्मांध जिहादी तत्वों के खिलाफ रहे हैं। इसके अलावा बहावी और देवबंदी विचारधारा से प्रभावित आतंकी व अलगाववादी संगठन भी उनके खिलाफ रहे हैं।

    उनका मकसद उन्हें रास्ते से हटा कश्मीर की धार्मिक-अलगाावादी राजनीति पर पूरी तरह प्रभावी होना है। मीरवाइज मौलवी के पिता फारूक अहमद का सन् 1990 में हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकियों ने सिर्फ इसलिए कत्ल किया था, क्योंकि उन्होंने कश्मीर में निर्दाेष लोगों की हत्या, कश्मीरी हिंदुओं के पलायन पर अपना रोष जताया था।

    पाकिस्तान की तत्कालीन प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो, पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति इसहाक खान और गुलाम जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन राष्ट्रपति सरदार अब्दुल क्यूम खान को पत्र लिखा था।

    उन्होंने जिहादी संगठनों को अपनी गतिविधियां बंद करने के लिए कहा था। कट्टरपंथी सैयद अली शाह गिलानी जिनकी सितंबर 2021 में मृत्यु हुई है, भी दिवंगत मीरवाइज उमर फारूक और मीरवाइज मौलवी उमर फारूक के कटु आलोचक थे।

    दोनों के वैचारिक मतभेद कश्मीर में जगजाहिर रहे हैं। मीरवाइज के एक करीबी रिश्तेदार मौलवी मुश्ताक अहमद को भी सेव कश्मीर मूवमेंट के आतंकियों ने जून 2004 में उस समय गोली मार मौत के घाट उतारा था,जब वह नमाज अदा कर रहे थे।

    हल्के में नहीं ले सकते आतंकी खतरे

    कश्मीर के सुरक्षा परिदृश्य के जानकारों के अनुसार, मीरवाइज मौलवी उमर फारूक पर आतंकी खतरे को हल्के में नहीं लिया जा सकता। आतंकी संगठन उनकी हत्या कर, उसका जिम्मा सुरक्षा एजेंसियों के मत्थे मढ़, कश्मीर मे बहाल होती शांति को भंग करने का षड्यंत्र रच रहे हैं।

    मीरवाइज कश्मीरी मुस्लिमों के सबसे बड़े धर्म गुरू और नेता हैं। अगर उन्हें जरा भी नुक्सान होगा,लोग सड़कों पर आ सकते हैं। इसके अलावा अगर भारत सरकार किसी भी स्तर पर कश्मीर मुद्दे पर अलगाववादी खेमे से बातचीत कर, उसे मुख्यधारा में लाने का प्रयास कर रही है तो यह पूरी प्रक्रिया ठीक उसी तरह से भंग हो सकती है,जिस तरह से आतंकियों ने दिसंबर 2009 काे मीरवाइज के करीबी फजल हक कुरैशी को गोली मार,क्वाइट डिप्लोमेसी की प्रक्रिया को समाप्त कर दिया था।

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