कश्मीरी हिंदू भाई आएंगे वापस... उमर फारूक ने उठाया जिम्मा, कहा- अपने भाइयों का मुसलमानों को बेसब्री से इंतजार
कश्मीर में बदलाव की बयार के बीच विस्थापित कश्मीरी हिंदुओं की वापसी और सांप्रदायिक सौहार्द के लिए मीरवाइज मौलवी उमर फारूक ने अहम जिम्मेदारी उठाई है। दिल्ली में कश्मीरी हिंदुओं और मुसलमानों की एक अंतर-सामुदायिक समिति का गठन हुआ जिसके अध्यक्ष मीरवाइज बनाए गए हैं। पीस फोरम के प्रयासों से बनी इस समिति का लक्ष्य कश्मीरी पंडितों की सुरक्षित वापस लाना है।

नवीन नवाज, जम्मू। कश्मीर में बह रही बदलाव की बयार के बीच, विस्थापित कश्मीरी हिंदुओं की कश्मीर में सम्मानजनक और सुरक्षित वापसी का मार्ग सुनिश्चित बनाने की जिम्मेदारी मीरवाइज मौलवी उमर फारूक ने उठायी है। कश्मीरी हिदुओं की कश्मीर वापसी और कश्मीर में सांप्रदायिक सौहार्द केा बहाल करने के लिए शनिवार को नई दिल्ली में कश्मीरी हिंदुओं और कश्मीरी मुस्लिमों की एक अंतर समुदाय समिति का गठन हुआ है।
समिति का अध्यक्ष मीरवाइज मौलवी उमर फारूक को बनाया गया है। उल्लेखनीय है कि पांच अगस्त 2019 से पहले हुर्रियत कॉन्फ्रेंस ने कभी भी कश्मीर से कश्मीरी हिंदुओं को भगाने वाले जिहादी संगठनों के खिलाफ जाने की कभी हिम्मत नही की। यह बात अलग है कि हुर्रियत हमेशा यह कहती रही कि वह कश्मीरी हिंदुओं का कश्मीर का हिस्सा मानती है।
क्या है पीस फोरम?
दिल्ली में आज इस समिति का गठन जम्मू कश्मीर पीस फोरम के प्रयासों से हुआ है। पीस फोरम बीते एक दशक से भी ज्यादा समय से कश्मीर घाटी में विस्थापित कश्मीरी हिंदुओं की वापसी और पुनर्वास के लिए स्थानीय मुस्लिम समुदाय के साथ मिलकर प्रयास कर रहा है।
पीस फोरम कश्मीरी हिंदुओं का ही एक संगठन है,जिसका नेतृत्व सतीश महालदार कर रहे हैं। लगभग बीते एक पखवाड़े से दिल्ली में डेरा डाले मीरवाइज मौलवी उमर फारूक के साथ आज एक होटल में जेके पीस फोरम के बैनर तले कश्मीरी हिंदुओ के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की।
करीब डेढ़ घंटे की इस मुलाकात में जम्मू कश्मीर में विशेषकर कश्मीर घाटी में सांप्रदायिक सौहार्द, सुलह और कश्मीर की समग्र संस्कृति को बहाल करने की तत्काल आवश्यकता पर विस्तार से चर्चा हुई।
कश्मीरी हिंदुओं को झेलनी पड़ी पीड़ा: उमर फारूक
बैठक में मीरवाइज मौलवी उमर फारूक ने कहा कि कश्मीर में हिंसा के कारण कश्मीरी हिंदुओं को पीड़ा झेलनी पड़ी है। उन्होंने कहा कि कश्मीरी मुस्लिमों ने भी इसकी कीमत चुकाई है। कश्मीर से कश्मीरी हिंदुओं का पलायन, एक मानवीय संकट है,जिसे हल करने के लिए सभी प्रयास करना होगा।
उन्होंने कहा कि कश्मीरी मुस्लिम खुद को कश्मीरी हिंदुुओ के बिना अधूरा मानते हैं। कश्मीर कश्मीरी पंडितो के बिना अधूरा है और कश्मीरी हिंदुओं को वापस कश्मीर लौटना चाहिए।
कश्मीरी पंडितों की वापसी कश्मीरी समाज में एकीकरण
सतीश महालदार ने दैनिक जागरण के साथ बातचीत में कहा कि बैठक में कश्मीरी हिंदु समुदाय के लोगों ने मीरवाइज को सीधे और स्पष्ट शब्दों में कहा कि उन्हें कश्मीरियत को बहाल करने, कश्मीरी हिंदुओं की कश्मीर वापसी को सुगमबनाने के लिए अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करना चाहिए।
वह एक बड़े मजहबी नेता हैं और उनकी बात कश्मीरी मुस्लिमों के लिए बहुत मायने रखती है। इसलिए उन्हें कश्मीरी पंडितों की सुरक्षित वापसी और कश्मीरी समाज में एकीकरण सुनिश्चित करने में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए।
सतीश महालदार ने कहा कि बैठक में मीरवाइज मौलवी उमर फारुक के नेतृत्व में एक अंतर समुदाय समिति के गठन का फैसला लिया गया। इसमें कश्मीरी हिंदु समाज के गणमान्य नागरिक और कश्मीरी मुस्लिमों के विभिन्न प्रतिनिधि शामिल रहेंगे।
कश्मीर की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का करेंगे संरक्षण
यह समिति कश्मीरी पंडितों की सुरक्षित वापसी को सुगम बनाने, अल्पसंख्यक समुदायों की विशिष्ट चिंताओं को हल करने, कश्मीर की अनूठी सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को संरक्षित करने, कश्मीरी हिंदु व कश्मीरी मुस्लिम युवाओं के बीच सहयोग व समन्वय को प्रोत्साहित करने के लिए काम करेगी।
इसके अलावा समिति पुनर्वास प्रक्रिया में सहायता के लिए समावेशी नामित कालोनियों के निर्माण सहित सरकार समर्थित पुनर्वास पहलों को सफल बनाने में भी प्रयास करेगी।
मीरवाइज मौलवी उमर फारूक ने दैनिक जागरण के साथ बातचीत में कहा कि आज यहां एक होटल में कश्मीरी हिंदुओं के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ मुलाकात हई है।
उन्होंने कहा कि कश्मीरी मुस्लिम और कश्मीरी हिंदु एक ही सभ्यता और संस्कृति का हिस्सा हैं, यह दोनों सगे भाईहैं। इन्हें अलग नहीं रखा जा सकता है कश्मीरी मुसलमान बेसब्री से अपने कश्मीरी हिंदु भाइयों का इंतजार कर रहे हैं।
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