Srinagar: कश्मीरी हिंदुओं पर आतंक की घातक नजर, बस्तियों की बढ़ाई सुरक्षा; लोगों को बाहर न निकलने की सलाह
कश्मीर में रहने वाले अल्पसंख्यक कश्मीरी हिंदू और सिख समुदाय के अलावा अन्य राज्यों से कश्मीर में रोजी रोटी कमाने आए श्रमिकों को निशाना बनाना आतंकियों के लिए आसान होता है। खुफिया तंत्र ने भी इस विषय में कथित तौर पर एक अलर्ट जारी कर रखा है।

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। जी-20 सम्मेलन में खलल डालने के लिए आतंकियों द्वारा अल्संख्यकों और कश्मीरी हिंदुओं को निशाना बनाने की आशंका को देखते हुए कश्मीर में सभी संवेदनशील क्षेत्रों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। बताया जा रहा है कि घाटी में रह रहे कश्मीरी हिंदुओं और सिख समुदाय के लोगों को अगले कुछ दिनों तक अपनी गतिविधियों को सीमित करने की सलाह दी गई है। दक्षिण कश्मीर में तैनात अल्पसंख्यक समुदाय से संबंधित सरकारी अध्यापकों व कर्मियों को कथित तौर पर 24 मई तक कार्यालय न आने के लिए भी कहा गया है, हालांकि पुलिस या नागरिक प्रशासन ने ऐसी सुरक्षा सलाह की पुष्टि नहीं की है।
श्रीनगर में 22 से 24 मई तक जी-20 सदस्य राष्ट्रों के पर्यटन कार्यसमूह का एक सम्मेलन होने जा रहा है। पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर में हुए संवैधानिक बदलाव के बाद यह प्रदेश में होने वाला अब तक का सबसे बड़ा और पहला अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन है। आतंकी संगठनों ने इस सम्मेलन का विरोध करते हुए इसे नाकाम बनाने की धमकी दी है। आतंकियों ने सम्मेलन स्थल और वादी के अन्य हिस्सों में भी हमलों की धमकी दी है। खुफिया तंत्र ने भी इस विषय में कथित तौर पर एक अलर्ट जारी कर रखा है।
श्रीनगर में रहने वाले एक विस्थापित कश्मीरी हिंदू ने कहा कि उसे और उसके कुछ साथियों को उनके क्षेत्र कें पुलिस स्टेशन से फोन आया है। संबंधित पुलिस अधिकारियों ने उन्हें सचेत रहने और बाहर ज्यादा घूमने से परहेज करने को कहा है। इसके अलावा हमें कहा गया है कि अगर हम अपने घर के आस पास कोई संदिग्ध गतिविधि देखें तो तुरंत पुलिस को सूचित करें। सिख समुदाय के एक नागरिक ने कहा, मैं हर रोज गुरुद्वारा जाता हूं और सोमवार को गुरुद्वारा कमेटी के एक पदाधिकारी ने पुलिस परामर्श का जिक्र करते हुए कहा कि हम लोगों को अगले कुछ दिनों तक सावधान रहना चाहिए। अनावश्यक रूप से विशेषकर शाम को बाहर नहीं जाना चाहिए।
पुलिस से जुड़े सूत्रों ने बताया कि कश्मीर में रहने वाले अल्पसंख्यक, कश्मीरी हिंदू और सिख समुदाय के अलावा अन्य राज्यों से कश्मीर में रोजी रोटी कमाने आए श्रमिकों को निशाना बनाना आतंकियों के लिए आसान होता है। इसके अलावा इन पर किसी भी तरह के हमले से कश्मीर घाटी में डर व असुरक्षा का माहौल पैदा होता है और देश में सांप्रदायिक तनाव पैदा हो सकता है।
इसलिए आतंकी इन लोगों को निशाना बना सकते हैं और बीते तीन वर्ष का अनुभव भी यही कहता है। इसे देखते हुए पूरी एहतियात बरती जा रही है। अल्पसंख्यकों की बस्तियों और उनके धर्मस्थलों की सुरक्षा बढ़ाई गई है। जिन इलाकों में अन्य राज्यों के श्रमिक रहते हैं, वहां भी सुरक्षा बढ़ाने के साथ अस्थायी सुरक्षा चौकियां स्थापित की जा रही हैं। सभी पुलिस थाना व चौकी प्रभारियों को कहा गया है कि वह अपने कार्याधिकार क्षेत्र में जहां भी बाहरी श्रमिक और अल्पसंख्यक रहते हैं, वहां सुरक्षा का पूरा ध्यान रखें। इन इलाकों में पुलिस व अर्धसैनिकबलों की गश्त बढ़ाई गई है।
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