'कश्मीर से नहीं कर सकते अलग', मीरवाइज उमर फारूक ने कश्मीरी हिंदुओं के लिए अलग कॉलोनियों का किया विरोध
मीरवाइज मौलवी उमर फारूक ने कश्मीरी हिंदुओं की कश्मीर वापसी का समर्थन किया है लेकिन उनके लिए अलग आवासीय कालोनियों की स्थापना का विरोध किया है। उनका कहना है कि कश्मीरी हिंदू और कश्मीरी मुस्लिम एक ही संस्कृति के हिस्सा हैं और उन्हें एक साथ रहना चाहिए। उन्होंने कठुआ और सोपोर में दो युवकों की मौत की कड़ी निंदा की।

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के उदारवादी गुट के चेयरमैन और कश्मीर के प्रमुख इस्लामिक धर्मगुरु मीरवाइज मौलवी उमर फारूक ने शुक्रवार को कश्मीरी हिंदुओं की कश्मीर वापसी का समर्थन करते हुए उनके लिए अलग आवासीय कालोनियों की स्थापना पर एतराज जताया है।
इसके साथ ही उन्होंने कठुआ और सोपोर में दो युवकों की मौत पर अफसोस जताते हुए कहा कि इस तरह की घटनाएं निदंनीय हैं।
उन्होंने कहा कि जब तक इन दो मौतों के लिए जिम्मेदार लोगों को सजा नहीं मिलेगी, जम्मू-कश्मीर में ऐसी घटनाओं का दुष्चक्र जारी रहेगा। दिल्ली से तीन दिन पहले श्रीनगर लौटे मीरवाइज मौलवी उमर फारूक ने दैनिक जागरण के साथ बातचीत में कहा कि कश्मीरी हिंदुओं को आप कश्मीर से अलग नहीं कर सकते।
'कश्मीरी हिंदू और कश्मीरी मुस्लिम एक ही संस्कृति का हिस्सा'
उन्होंने कहा कि कश्मीरी हिंदुओं को वापस अपने घरों में लौटना जरूरी है। उनके बिना कश्मीर और कश्मीरी मुस्लिम दोनों ही अधूरे हैं, लेकिन उनकी सुरक्षित और सम्मानजनक वापसी के लिए कश्मीर में एक अनुकूल माहौल बनाया जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि कश्मीरी हिंदू और कश्मीरी मुस्लिम एक ही सभ्यता और संस्कृति का हिस्सा है।
मीरवाइज मौलवी उमर फारूक ने कहा कि कश्मीरी हिंदुओं और कश्मीरी मुस्लिमों के बीच आपसी विश्वास की बहाली के लिए संवाद संपर्क सौहार्द व समन्वय को मजबूत बनाने के लिए दोनों समुदायों के लोगों को आगे आना होगा।
उन्होंने कहा कि यहां कुछ लोग कश्मीरी हिंदुओं की वापसी के नाम पर उनके लिए अलग कालोनियों की बात करते हैं, यह सही नहीं है। इस तरह से आप कश्मीरी हिंदुुओं और कश्मीरी मुस्लिमों को आपस में बांटने का काम करेंगे। हमें दोनों समुदायों को आपस में जोड़ना है। हमें एकीकृत समाज का निर्माण करना है, जहां सभी मजहबों के लोग मिलकर रह सकें।
'कश्मीरी हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच दूरी पैदा कर रहा'
उन्होंने कहा कि कश्मीरी हिंदू समुदाय के कुछ संगठन एक अलग राज्य, एक अलग होमलैंड की मांग करते हैं, इसका विरोध किया जाना चाहिए। इस तरह की अगर कोई मांग कर रहा है तो वह कश्मीरी हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच दूरी पैदा कर रहा है।
उन्होंने कहा कि यह सही है कि कश्मीरी हिंदुओं को यहां से पलायन करना पड़ा, उन्हें कई तकलीफों से गुजरना पड़ा है, लेकिन कश्मीरी मुस्लिमों ने भी बीते 35 साल में कई तकलीफें उठाई हैं, यहां हजारों की तादाद में नौजवान मारे गए हैं, हजारों औरतों की मांग का सिंदूर उजड़ा है।
अगर हम पीछे देखते रहे या लकीर पीटते रहे तो कभी आगे नहीं बढ़ पाएंगे। हमें बातचीत, एकता, सुलह और सहानुभूति की भावना के साथ मिलकर आगे बढ़ना चाहिए।
कठुआ और सोपोर में दो युवकों की मौत की निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि इससे आप जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकारों की स्थिति का अंदाजा लगा सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाएं पहली बार नहीं हुई हैंं और जब तक इन मौतों के लिए जिम्मेदार लोगों को सजा नहीं मिलेगी, यह दुष्चक्र जारी रहेगा।
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