Ladakh: कविन्द्र गुप्ता बने लद्दाख के तीसरे उपराज्यपाल, लद्दाख की पारंपरिक वेशभूषा में ली शपथ
कविंदर गुप्ता ने लद्दाख के उपराज्यपाल के रूप में शपथ ली। जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अरुण पल्ली ने उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। गुप्ता ने ऐसे समय में यह जिम्मेदारी संभाली है जब लद्दाख में राज्य दर्जे और छठी अनुसूची की मांग जोर पकड़ रही है। उनके सामने कारगिल और लेह क्षेत्रों में संतुलन बनाने और प्रशासन को जनप्रिय बनाने की चुनौती है।

राज्य ब्यूरो, जागरण जम्मू। जम्मू कश्मीर भाजपा के वरिष्ठ कविन्द्र गुप्ता ने केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के तीसरे उपराज्यपाल के रूप में शपथ ले ली है। लेह के राजनिवास में पारंपरिक वेशभूषा पहन पहुंचे गुप्ता ने जम्मू कश्मीर, लद्दाख उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अरुण पल्ली द्वारा लद्दाख के उपराज्यपाल के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ ली।
शपथ ग्रहण समारोह में लद्दाख के मुख्य सचिव डा पवन कोटवाल ने कविंदर गुप्ता की नियुक्ति का वारंट पढ़ा। शपथ लेने के बाद लद्दाख पुलिस ने उपराज्यपाल को गार्ड ऑफ ऑनर दिया।
लेह राजनिवास में शपथ ग्रहण समारोह में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुग, लद्दाख के सांसद मोहम्मद हनीफा जान, लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद लेह व कारगिल के मुख्य कार्यकारी पार्षद, ताशी ग्यालसन, डा जफर अखून, जम्मू कश्मीर भाजपा अध्यक्ष सत शर्मा, विधायक विक्रम रंधावा, डा डीके मन्याल, लद्दाख पुलिस के महानिदेश एसडी सिंह जम्वाल,, प्रशासन, सेना, सुरक्षाबलों के वरिष्ठ अधिकारी व क्षेत्र के कई गणमान्य लोग भी मौजूद थे।
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पंजाब के संगरूर से आपातकाल के दिनों में छात्र नेता के रूप में इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ प्रदर्शनों से शुरूआत करने वाले कविन्द्र गुप्ता ने अपने राजनीतिक करियर में वर्ष 2005 से लगातार तीन बना जम्मू नगरनिगम के मेयर, 51 दिन के लिए जम्मू कश्मीर के उपमुख्यमंत्री व अब लद्दाख का उपराज्यपाल बन कर बुलंदियां हासिल की हैं।
वह एक जनप्रतिनिधि के रूप में लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरने का खासा अनुभव रखते हैं। उनका यह अनुभव अब केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरने के काम आएगा।
कविन्द्र गुप्ता ने उस समय लद्दाख के उपराज्यपाल की जिम्मेदारी संभाली है जब क्षेत्रीय संगठन राज्य दर्जे, संविधान की छठी अनुसूचित का मुद्दा जोरशोर से उठा रहे हैं। इसके साथ लद्दाख के युवाओं को रोजगार देने के साथ क्षेत्र के व्यापारियों के हितों के संरक्षण को लेकर भी अभियान चल रहा है।
ऐसे में नए उपराज्यपाल के लिए लद्दाख के कारगिल व लेह क्षेत्रों में संतुलन बनाने के साथ प्रशासन को जनप्रिय बनाकर लोगों के रोष को समाप्त करना मुख्य चुनौती होगा।
वर्ष 2019 में लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद केंद्र सरकार ने आरके माथुर का पहला उपराज्यपाल बनाया था। उनके कार्यकाल के दौरान भी लद्दाख में सियासत जोरों पर थी। ऐसे में प्रशासन के मनमर्जी करने के मुद्दों को स्थानीय संगठनों ने जोरशोर से दिल्ली तक उठाया था।
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वहीं ब्रिगेडियर बीडी मिश्रा ने फरवरी 2023 में लद्दाख के दूसरे उपराज्यपाल के रूप में जिम्मेदारी संभाली थी। उन्होंने करीब 29 महीने तक लद्दाख के उपराज्यपाल के रूप में कार्य किया। उनके कार्यकाल के दौरान भी लद्दाख के स्थानीय मुद्दों को लेकर सियासत जोरों पर रही। अपने कार्यकाल के दौरान आरके माथुर ने राजभवन के दरबाजे लद्दाख के लोगों के लिए खुले रखे थे।
इस भी लद्दाख में स्थानीय मुद्दों को लेकर सियासत को गर्माने की तैयारी जोरों पर है। लद्दाख के लिए राज्य दर्जे, संविधान की छठी अनुसूचि के लिए लद्दाख के क्षेत्रीय संगठनों, लेह अपेक्स बाडी व कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस केंद्र सरकार से बातचीत की प्रक्रिया भी चल रही है। इन संगठनों ने चेतावनी दी है कि जल्द होने वाले केंद्र से बैठक में राज्य दर्जे, संविधान की छठी अनुसूचि के मुद्दे पर बातचीत नही होगी तो वे बैठक का बहिष्कार कर देंगे।
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