कश्मीर में बंद ट्रैफिक लाइटों के कारण लग रहा रोजाना जाम, किधर जाएं पता ही नहीं चलता
श्रीनगर शहर में यातायात व्यवस्था को सुधारने के लिए लगाए गए ट्रैफिक सिग्नल ही जाम का कारण बन गए हैं। स्मार्ट ट्रैफिक प्रबंधन प्रणाली लगने के बाद भी ट्रैफिक लाइटों की समस्या का समाधान नहीं हो पाया है। कई इलाकों में ट्रैफिक लाइटें खराब हैं या ठीक से काम नहीं कर रही हैं जिससे लोगों को परेशानी हो रही है।

जागरण संवाददाता, श्रीनगर। सड़क सुरक्षा और जन सुरक्षा सुनिश्चित करने के इरादे से श्रीनगर शहर में लगाई गए ट्रैफ़िक सिग्नल ही यातायात जमा का कारण बन चुके हैं। आए दिन खराब रहने से लोग परेशान हैं। चौक में पहुंचने पर लोगों को पता ही नहीं चलता कि वे कब किधर जाएं।
पिछले साल स्मार्ट ट्रैफ़िक प्रबंधन प्रणाली की महंगी स्थापना के बाद भी, ट्रैफ़िक लाइटों के काम न करने की समस्या का समाधान नहीं हुआ है। ट्रैफिक पुलिस कश्मीर क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) कश्मीर और अन्य एजेंसियों के अधिकारी लंबे समय से सड़कों पर सक्रिय हैं। शहर के विभिन्न इलाकों के निवासियों ने कहा कि पुराने और टूटे हुए ट्रैफ़िक सिग्नल के कारण यातायात सुचारू रूप से नहीं चल रहा है।
बरबर शाह सहित कई इलाकों के लोगों ने कहा कि ट्रैफ़िक लाइटें या तो पूरी तरह से खराब हैं या कभी-कभार ही काम करती हैं। एक स्थानीय निवासी डार यूनुस ने कहा, शहर में कई जगहों पर ट्रैफ़िक लाइटें काम नहीं कर रही हैं।
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बरबर शाह में, वे पूरी तरह से खराब हैं; कभी झपकती हैं, कभी बिल्कुल भी काम नहीं करतीं। अपटाउन और डाउनटाउन दोनों इलाकों में ऐसी ही समस्याएँ सामने आई हैं, जहाँ कई सिग्नल या तो काम नहीं कर रहे हैं या आंशिक रूप से काम कर रहे हैं। कुछ सिग्नलों में उलटी गिनती के टाइमर नहीं हैं, और कई जगहों पर, बुनियादी सिग्नल तो पूरी तरह से गायब हैं।
एक यात्री,साजिद ने बताया कि इंटेलिजेंट ट्रैफ़िक मैनेजमेंट सिस्टम (आईटीएमएस) लगने के बावजूद कई सिग्नल या तो तीनों रंग एक साथ दिखाते हैं या बिल्कुल काम नहीं करते। साजिद ने कहा ,हमें उम्मीद थी कि नई प्रणाली से ट्रैफ़िक प्रवाह में सुधार होगा, लेकिन फिलहाल इसके सुधरने के कोई आसार नजर नही आ रहे हैं।
बता दें कि श्रीनगर में पहली ट्रैफ़िक लाइट 2012 में करण नगर में लगाई गई थी। शुरुआत में इसे आधुनिकीकरण की दिशा में एक कदम माना गया था, लेकिन इन सिग्नलों ने जल्द ही अराजकता पैदा कर दी, जिससे ट्रैफ़िक जाम और भ्रम की स्थिति पैदा हो गई।
हाल ही में आईटीएमएस सहित कई उन्नयन और वादों के बावजूद, स्थिति काफी हद तक अपरिवर्तित बनी हुई है और नागरिक ट्रैफ़िक नियमन के आधुनिकीकरण के उद्देश्य से बनाई गई पिछली परियोजनाओं की प्रभावशीलता को लेकर संशय में हैं।
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सरकार ने जनता का पैसा खर्च किया, टेंडर दिए, लेकिन हमें क्या मिला? हम अभी भी लंबे जाम में फंसे हुए हैं क्योंकि बुनियादी ज़रूरतें पूरी नहीं हुई हैं, एक सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी शैख यूसुफ ने दुख जताया। शैख ने कहा, खराब ट्रैफिक लाइटें भी बहुत सी सड़क दुर्घटनाओं का सबब बनी।
आपको बता दें कि वर्ष 2024 के ट्रैफ़िक पुलिस के आँकड़े बताते हैं कि अकेले श्रीनगर में सड़क दुर्घटनाओं में 57 लोगों की जान गई। पूरे जम्मू और कश्मीर में 2024 के पहले दस महीनों में लगभग 5,000 दुर्घटनाओं में 703 मौतें और 6,820 घायल हुए।
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