कश्मीर से कन्याकुमारी तक रेल का सपना साकार, 'धरती के स्वर्ग' के लिए जनवरी से दौड़ेंगी ट्रेनें
Delhi To Kashmir कश्मीर से कन्याकुमारी तक रेल का सपना अब साकार होने जा रहा है। जनवरी 2025 में इस रूट पर ट्रेनें दौड़ेंगी। इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट का निरीक्षण जीएम उत्तर रेलवे अशोक कुमार वर्मा कर रहे हैं। इस ट्रैक पर पहली ट्रेन वंदे भारत हो सकती है। इस रेल ट्रैक के बनने से देश का यह हिस्सा कन्याकुमारी तक जुड़ जाएगा।

दीपक बहल, अंबाला। देश के सबसे चुनौतीपूर्ण और महत्वपूर्ण कटड़ा-श्रीनगर रेल ट्रैक अब तैयार और अब इस पर ट्रेन दौड़ाने की तैयारी है। इसी को लेकर जीएम उत्तर रेलवे अशोक कुमार वर्मा ने इस ट्रैक का निरीक्षण शुरू कर दिया है।
दो दिनों तक वे इस ट्रैक पर आने वाले स्टेशनों पर रुक कर इसे चेक करेंगे। इसके बाद इस ट्रैक पर ट्रेन को दौड़ाने की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जाएगा।
हालांकि, इससे पहले कमिश्नर रेलवे सेफ्टी (सीआरएस) एक बार इस ट्रैक का निरीक्षण कर चुके हैं, जबकि दूसरी बार फिर से इसका निरीक्षण वे जनवरी 2025 में करेंगे।
रुट पर दौड़ेगी वंदे भारत ट्रेन
यह देश का दुर्गम रेल ट्रैक है, जिस पर जनवरी 2025 में ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ट्रैक का शुभारंभ करेंगे। इस ट्रैक पर ट्रेन दौड़ने से देश का यह हिस्सा कन्याकुमारी तक जुड़ जाएगा। इस रूट पर पहली ट्रेन वंदेभारत हो सकती है। निरीक्षण लगातार जारी है।
बता दें कि श्रीनगर तक रेल कनेक्टिविटी करने के लिए सबसे कठिन कटड़ा-बनिहाल 111 किलोमीटर (किमी) लंबा रेल मार्ग तैयार किया गया। इसी प्रोजेक्ट में कटड़ा के रिहायशी क्षेत्र के बीच 3.2 किलोमीटर (किमी) लंबी टी-1 सुरंग का कार्य भी शामिल रही।
हालांकि, इस सुरंग में दिक्कतें आईं थीं। जिसमें विदेशी विशेषज्ञों की सहायता भी ली गई थी। हालांकि जम्मू से आगे उधमपुर और कटड़ा तथा बनिहाल से श्रीनगर और आगे बारामूला तक ट्रेनें चल रही हैं। अब इस 111 किलोमीटर लंबे कटड़ा से बनिहाल के हिस्से पर आर्च पुल बनाया गया है।
पहाड़ी क्षेत्र होने की वजह से 97 प्रतिशत ट्रैक सुरंगों या फिर पुलों से होकर गुजर रहा है। इससे पहले रेलवे ने संगलदान से रियासी तक का इलेक्ट्रानिक इंजन से ट्रायल लिया था जो सफल था।
जीएम उत्तर रेलवे कर रहे हैं निरीक्षण
जीएम उत्तर रेलवे द्वारा इस ट्रैक का निरीक्षण किया जा रहा है। इसके तहत वे दो दिनों तक रुकेंगे। निरीक्षण में वे अब तक सीना, बडगाम, स्टेशन और बडगाम-काजीगंद सेक्शन का निरीक्षण कर चुके हैं। इसके अलावा वे 18 दिसंबर को काजीगंद-बनिहाल-रियासी सेक्शन का निरीक्षण करेंगे।
इस नए सेक्शन को लेकर अधिकारी काफी सतर्क है और चेक कर रहे हैं कि इस सेक्शन पर ट्रेन दौड़ाने में क्या दिक्कत आ सकती है। हालांकि, इसको पूरी तरह से ओके कर दिया गया है, जबकि 18 दिसंबर को होने वाले निरीक्षण पर नजरें हैं कि जीएम उत्तर रेलवे इसके निरीक्षण को लेकर क्या निर्देश देते हैं।
दूसरी ओर जिन टनल टी-33 व कटड़ा स्टेशन का भी वे निरीक्षण करेंगे। इस दौरान यह भी चेक किया गया है कि जिस सेक्शन पर निरीक्षण हो चुका है, वहां पर मौजूदा समय में क्या सुविधाएं हैं और इसमें यात्री सुविधाओं में और किस तरह से इजाफा किया जा सकता है।
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सीआरएस करेंगे जनवरी में निरीक्षण
जीएम उत्तर रेलवे द्वारा जहां अभी ट्रैक का निरीक्षण किया जा रहा है, वहीं सीआरएस भी जनवरी 2025 में इस ट्रैक का निरीक्षण करेंगे। हालांकि वे दिसंबर में एक बार निरीक्षण कर चुके हैं, जबकि अंतिम बार निरीक्षण कर के इस पर ट्रेन दौड़ाने की तैयारियां करेंगे। सीआरएस की दूसरी रिपोर्ट के बाद इस ट्रैक पर ट्रेन दौड़ाने को हरी झंडी दी जाएगी।
359 मीटर का है रेलवे पुल
चिनाब ब्रिज नाम से यह रेलवे पुल 359 मीटर का है। चिनाब नदी के जल स्तर से अधिक और इसकी लंबाई 1315 मीटर रखी गई है। इस समय सबसे ऊंचा रेलवे पुल चीन के गुइझोउ प्रांत में बेपनजियांग नदी पर स्थित है, जिसकी जल स्तर से ऊंचाई 275 मीटर है।
खास है कि इस पुल में जो स्टील इस्तेमाल किया गया है, वह -10 डिग्री सेल्सियस और -40 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान झेल सकता है। यह पुल 120 साल जीवनकाल का है और इसे इस तरह से बनाया गया है कि इस पर 10 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से ट्रेन दौड़ सके। इसके अलावा करीब 266 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से चलने वाली हवाओं को तो यह झेल पाएगा, जबकि गंभीर भूकंप का सामना करने की क्षमता इसमें है।
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