'आबादी के हिसाब से दो रिजर्वेशन...', कश्मीर में आरक्षण नीति को लेकर सियासी घमासान, महबूबा मुफ्ती ने दी प्रतिक्रिया
Jammu Kashmir News जम्मू-कश्मीर में आरक्षण नीति को लेकर सियासी पारा चढ़ा हुआ है। मौजूदा आरक्षण नीति के खिलाफ छात्रों का गुस्सा मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के निवास तक पहुंच गया है। उमर ने छात्र प्रतिनिधिमंडल से बातचीत कर छह महीने में सभी मुद्दों के समाधान का आश्वासन दिया है लेकिन विरोध के स्वर थमने का नाम नहीं ले रहे हैं।

एएनआई, श्रीनगर। Jammu Kashmir News: कश्मीर में कड़ाके की ठंड के बीच आरक्षण नीति के मुद्दे पर राजनीतिक गर्म है। मौजूदा आरक्षण नीति के खिलाफ पनप रहा आक्रोश सोमवार को मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के निवास के बाहर ही नहीं, भीतर भी पहुंच गया।
फिलहाल, उमर ने एक छात्र प्रतिनिधिमंडल के साथ बातचीत में छह माह में सभी मुद्दों के समाधान का यकीन दिलाकर स्थिति को संभालने का प्रयास तो किया, लेकिन जिस तरह से नेशनल कॉन्फ्रेंस के भीतर से ही विरोध और विभिन्न राजनीतिक दलों व समाज के विभिन्न वर्गों का रुख सामने आया है, उससे आभास हो गया है कि आरक्षण नीति को न्याय संगत बनाने में देरी प्रदेश सरकार के लिए भारी हो सकती है।
महबूबा मुफ्ती ने क्या दी प्रतिक्रिया
वहीं, आरक्षण के मुद्दे पर पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा कि हम सिर्फ ये कह रहे हैं कि आबादी के हिसाब से अधिकार दो, हम अधिकार छीनने को नहीं कह रहे। हम सिर्फ ये कह रहे हैं कि लोगों को उनकी आबादी के हिसाब से अधिकार दिए जाएं।
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नेशनल कॉन्फ्रेंस ने चुनाव में वोट ये कह कर लिए थे कि सदन में इस मुद्दे को उठाएंगे। लेकिन उन्होंने इस पर बात नहीं की... कल जब यहां के युवा प्रदर्शन कर रहे थे और वो मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के पास गए तो उन्होंने क्या कहा, उन्होंने कहा कि 6 महीने इंतजार करो, तब तक कोर्ट का फैसला आ जाएगा।
अगर लोग आपके (नेशनल कॉन्फ्रेंस) 50 सीटें आने के बाद भी प्रदर्शन कर रहे हैं और आप कह रहे हैं कि 6 महीने इंतजार करो तो आपको क्या करना है?...मुझे लगता है कि मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को कोर्ट के फैसले का इंतजार करने के बजाय इस मुद्दे को सुलझाना चाहिए...
क्यों हो रहा विरोध
ज्ञात हो कि पिछले दो दिनों से रिजर्वेशन को लेकर श्रीनगर में प्रदर्शन हो रहे हैं। प्रोटेस्ट कर रहे लोगों का कहना है कि कश्मीर में जो आरक्षण का प्रावधान है, उसे चेंज किया जाए। खास बात है कि रिजर्वेशन के इस आंदोलन का नेतृत्व सत्ताधारी नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता ही कर रहे हैं। जिसके कार आंदोलन और ज्यादा समाचारों में है।
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