जम्मू-कश्मीर में विकलांग कैदियों की जेल नियमावली में संशोधन, अधिकारों की रक्षा के लिए किए ये बदलाव
जम्मू-कश्मीर गृहविभाग ने जेलों में बंद विकलांग कैदियों की जरूरतों को पूरा करने के लिए जेल नियमावली-2022 में संशोधन किया है। उपराज्यपाल के निर्देश पर इन संशोधनों में विकलांग कैदियों के साथ भेदभाव न करने और समानता का अधिकार सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया है। जेलों में बुनियादी ढांचागत सुविधाओं को सुलभ बनाने उचित स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने और जेल कर्मचारियों को नियमित प्रशिक्षण देने के प्रावधान शामिल हैं।

डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के गृह विभाग ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए जेलों में बंद विकलांग कैदियों की जरूरतों को पूरा करने के लिए केंद्र शासित प्रदेश के जेल नियमावली- 2022 में संशोधन किया है।
एक अधिसूचना के अनुसार जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने विकलांग कैदियों के उपचार और देखभाल में सुधार के लिए जेल नियमावली में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, जिससे इन कैदियों को राहत मिलेगी।
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के निर्देश पर केंद्र शासित प्रदेश के गृह विभाग ने यह महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इन संशोधनों को जेल नियमावली में शामिल भी कर दिया गया है।
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अधिसूचना के अनुसार विकलांग कैदियों के साथ विकलांगता के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए और वे समानता और सम्मान के हकदार हैं।
अधिसूचना में यह भी कहा गया है कि किसी भी कैदी के साथ विकलांगता के आधार पर अगर कोई भेदभाव होता पाया जाता है है तो जेल प्रबंधन इसके लिए कसूरवार होगा और सिद्ध होने पर उसे सख्त कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
इसमें यह भी प्रावधान है कि गृह मंत्रालय (एमएचए) द्वारा अधिसूचित सुगम्यता मानकों और दिशानिर्देशों के अनुसार सभी जेल में उपलब्ध बुनियादी ढांचागत सुविधाओं को विकलांग कैदियों के लिए सुलभ बनाया जाना चाहिए।
यही नहीं "विकलांग कैदियों को उचित स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जानी चाहिए, जिनमें मनोरोग और मनोवैज्ञानिक सेवाएं शामिल हैं। साथ ही पुनर्वास कार्यक्रमों और उपचारों तक उनकी पहुंच भी होनी चाहिए।"
जेल नियमावली में संशोधन के अनुसार प्रवेश के समय आने वाले सभी कैदियों की विकलांगता की जांच की जाएगी।
अधिसूचना में आगे यह भी कहा गया है कि उपयुक्त आवास और सहायता सुनिश्चित करने के लिए संबंधित जेल रिकॉर्ड में उनकी विशिष्ट ज़रूरतों का उल्लेख होना चाहिए।"
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इसमें आगे कहा गया है कि जेल कर्मचारियों को विकलांग कैदियों की जरूरतों के प्रति संवेदनशील बनाने और उनके साथ उचित व्यवहार करने के लिए नियमित प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
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