Ladakh में युद्धस्थलों पर पर्यटन की बढ़ती पहल, यहां वीर सैनिकों के बलिदान को महसूस करेंगे आप
कारगिल में रणभूमि पर्यटन बढ़ रहा है जहाँ युद्ध की यादगारें सैनिकों के बलिदान की याद दिलाती हैं। सेना ने कुंभाथांग मिलिट्री स्टेशन में टाइगर हिल के बलिदानियों के लिए श्रद्धांजलि स्थल बनाया है। पर्यटक रेजांगला वार मेमोरियल और पैंगांग जैसे स्थानों पर जा रहे हैं। पूर्वी लद्दाख में गलवन वार मेमोरियल को भी पर्यटकों के लिए खोलने की तैयारी है जिससे LadakhTourism को बढ़ावा मिलेगा।

राज्य ब्यूरो, जागरण, विवेक सिंह। छब्बीस साल पहले पाकिस्तानी द्वारा दागे जाने वालों गोलों से गूंजने वाले कारगिल में अब युद्ध की यादगारें देशवासियों को भारतीय सैनिकों की वीरता व बलिदान की याद दिला रही है। जिले में रणभूमि पर्यटन फलफूल रहा है।
भारतीय सेना के जवानों ने बलिदान देकर लद्दाख के रेजांगला, गलवन में चीन की सेना की साजिशों का मुंहतोड़ जवाब देने के साथ सियाचिन ग्लेशियर व कारगिल में पाकिस्तान सेना को कड़ी हार दी है। भारतीय सैनिकों के शोर्य व बलिदान के प्रतीक लद्दाख के ये क्षेत्र आज किसी तीर्थ स्थल से कम नही है। हजारों देशवासी लद्दाख में बलिदानियों का नमन करने के लिए आते हैं।
लद्दाख में रणभूमि पर्यटन को बढ़ावा देने के अभियान के चलते अब सेना ने कारगिल के कुंभाथांग मिलिट्री स्टेशन में टाइगर हिल के बलिदानियों के शोर्य की याद दिलाने वाला श्रद्धांजलि स्थल बनाया है। द्रास के कारगिल वार मेमोरियल, लमोचन व्यू प्वायंट के साथ अब टाइगर हिल ट्रिब्यूट प्वायंट भी देश के विभिन्न हिस्सों से आने वाले पर्यटकों को वर्ष 1999 के कारगिल युद्ध के महत्व की याद दिलाएगा।
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छब्बीसवें कारगिल विजय दिवस के उपलक्ष्य में इस व्यू प्वायंट को देश को समर्पित करने के कार्यक्रम में आर्मी गुडविल स्कूल, फरोना के विद्यार्थियों ने हिस्सा लेकर भारतीय सेना में शामिल होने की प्रेरणा ली।
इस दौरान टाइगर हिल की जीत के नायकों की वीरता के किस्सों को याद करने के साथ उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। अब कारगिल आने वाले पर्यटक टाइगर हिल ट्रिब्यूट प्वायंट पर आकर महसूस करेंगे कि अत्याधिक ठंड, कठिन हालात में भारतीय सैनिकों ने किस तरह से दुश्मन की गोलाबारी को झेलते हुए चोटियों पर जीत पाई थी।
लद्दाख में रणभूमि पर्यटन को बढ़ावा देने के अभियान के तहत पर्यटक इस समय रेजांगला वार मेमोरियल, कारगिल वार मेमोरियल, वास्त्विक नियंत्रण रेखा पर स्थित पैंगांग, पूर्वी लद्दाख के डेमचौक, हनले के साथ सियाचिन ग्लेशियर के आधार शिविर के पास आते हैं। जल्द भारतीय सेना पूर्वी लद्दाख के गलवन वार मेमोरियल तक भी पर्यटकों को आने की इजाजत दे देगी।
पूर्वी लद्दाख के चुशुल की काउंसिलर कुंचुक स्टेंजिन का कहना है कि केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में रणभूमि पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। पैंगांग झील पर आने वाले सत्तर प्रतिशत के करीब पर्यटक रेजांग ला वार मेमोरियल होते हुए हानले में डार्क नाइट स्काई सेंचुरी देखने जाते हैं। इसके साथ पूर्वी लद्दाख में गलवन वार मेमोरियल को भी पर्यटकों के लिए खोलने की तैयारी हो रही है। इससे भी क्षेत्र में रणभूमि पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
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रणभूमि पर्यटन पहल के तहत लद्दाख के 14 दूरस्थ सीमावर्ती क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा दिया जाना है। इन इलाकों में आकर देशवासी इन क्षेत्रों के चुनौतीपूर्ण भूभाग, रणनीतिक महत्व का प्रत्यक्ष अनुभव करने के साथ महसूस करेंगे कि किसी तरह से सैनिकों ने बलिदान देकर उनकी रक्षा की है।
सैन्य सूत्रों के अनुसार पूरे प्रयास किए जा रहे हैं कि कारगिल की एक चोटी को भी ट्रैकरों के लिए खोला जाना है। इससे वे जान सकेंगे कि कारगिल युद्ध की चुनौतियां व उन्हें जीतने वाले भारतीय सैनिकों का मनोबल का स्तर क्या था।
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