जम्मू-कश्मीर में महिला सशक्तिकरण की उड़ान: केंद्र के ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत 52 हजार से अधिक महिलाएं 'लखपति दीदी' बनीं
जम्मू-कश्मीर में प्रधानमंत्री मोदी के लखपति दीदी विजन के तहत 52000 से ज्यादा महिलाओं ने एक लाख रुपये से अधिक की वार्षिक आय अर्जित की है। दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को कृषि और छोटे व्यवसायों के माध्यम से स्थायी आय प्राप्त करने में मदद मिल रही है।

डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन पर काम करते हुए जम्मू-कश्मीर में बड़ी सफलता हासिल की है। मंगलवार को संसद में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार केंद्र की "लखपति दीदी" पहल के तहत जम्मू-कश्मीर में 52,000 से ज्यादा महिलाओं ने कम से कम एक लाख रुपये की वार्षिक आय अर्जित कर रही हैं।
दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) के तहत कार्यान्वित इस पहल का उद्देश्य स्वयं सहायता समूहों (SHG)की महिला सदस्यों को कृषि संबंधित गतिविधियों या छोटे व्यवसायों के माध्यम से एक स्थायी वार्षिक आय अर्जित करने में सक्षम बनाना है।
जम्मू-कश्मीर में 52,203 स्वयं सहायता समूह महिलाएं 'लखपति दीदी' बन गई
लोकसभा में एक प्रश्न का उत्तर देते हुए ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में 52,203 स्वयं सहायता समूह महिलाएं 'लखपति दीदी' बन गई हैं। जबकि लद्दाख में यह आंकड़ा 51,736 है। राष्ट्रीय स्तर पर 1.48 करोड़ महिलाओं ने यह आय का मुकाम हासिल किया है। अच्छी बात यह है कि इसमें महाराष्ट्र, बिहार और आंध्र प्रदेश सबसे ऊपर हैं।
यह भी पढ़ें- जम्मू जिले में एक और बड़ा भूमि घोटाला, राजस्व विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों की मिलीभगत उजागर, 8 एफआईआर दर्ज
मंत्री ने कहा कि यह पहल व्यक्तिगत स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) महिलाओं को कम से कम चार कृषि मौसमों या व्यावसायिक चक्रों के लिए निरंतर आय प्रदान करने के लिए डिजाइन की गई है। इसे क्षमता निर्माण, कौशल प्रशिक्षण, वित्तीय साक्षरता और बाज़ार संपर्कों द्वारा समर्थित किया जाता है। स्वयं सहायता समूह, ग्राम संगठन और क्लस्टर स्तरीय संघ जैसी सामुदायिक-स्तरीय संरचनाएं इसके कार्यान्वयन का नेतृत्व करती हैं।
बाजार पहुंच को मज़बूत करने के लिए ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म के साथ गठजोड़ किया
बाजार पहुंच को मज़बूत करने के लिए मंत्रालय ने फ्लिपकार्ट, अमेजन, मीशो और जियोमार्ट जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म के साथ गठजोड़ किया है। साथ ही स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) उत्पादों की ऑनलाइन बिक्री के लिए अपना स्वयं का ई-सारस प्लेटफ़ॉर्म भी लॉन्च किया है।
देश भर में 1.44 लाख से अधिक स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) सदस्यों को बैंकिंग कॉरेस्पॉन्डेंट सखियों के रूप में तैनात करके वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दिया जा रहा है। जिससे ग्रामीण समुदायों को स्थानीय स्तर पर बैंकिंग और डिजिटल सेवाओं तक पहुंच प्राप्त हो रही है।
सार्वजनिक बैंकों और आईडीबीआई बैंक के साथ समझौता ज्ञापनों पर किए हस्ताक्षर
इस योजना में नए सेवा क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए "विद्युत सखी", "डिजि-पे सखी" और "ड्रोन दीदी" जैसी प्रौद्योगिकी-संचालित भूमिकाएं भी शामिल हैं। सरकार ने स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) महिलाओं के लिए ऋण तक पहुंच में सुधार के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और आईडीबीआई बैंक के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं।
निगरानी एक केंद्रीकृत एमआईएस, राज्य ग्रामीण आजीविका मिशनों के साथ तिमाही और वार्षिक समीक्षाओं और राष्ट्रीय स्तर के निगरानीकर्ताओं द्वारा क्षेत्रीय दौरों के माध्यम से की जाती है। इसके अलावा संबंधित कौशल विकास कार्यक्रमों जैसे दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना और ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थानों ने अपनी शुरुआत से अब तक 74 लाख से ज़्यादा ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षित किया है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।