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    पांच बच्चों समेत नौ लोगों के डूबने के बाद झेलम पर बना फुट ब्रिज, ग्रामीण बोले- 'हम खुश भी हैं और गमगीन भी'

    श्रीनगर में झेलम नदी में डूबने से पांच स्कूली बच्चों समेत नौ लोगों की मौत के बाद अब उस जगह पर फुट ब्रिज बनकर तैयार हो गया है। ये हादसा इसी साल 16 अप्रैल को हुआ था। स्थानीय लोगों को समर्पित किए गए इस पुल से गंडबल लसजन पादशाहीबाग चक नौगाम न्यू कालोनी महजूर नगर समेत दर्जनों इलाकों के हजारों लोगों को फायदा होगा।

    By raziya noor Edited By: Rajiv Mishra Updated: Sat, 14 Dec 2024 12:10 PM (IST)
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    झेलम नदी पर बने फुट ब्रिज से गुजरते लोग (फोटो- जागरण)

    जागरण संवाददाता, श्रीनगर। इस साल अप्रैल में श्रीनगर में झेलम नदी में डूबकर जहां पांच स्कूली बच्चों समेत नौ लोगों की जान चली गई थी, वहां अब फुट ब्रिज बनकर तैयार हो गया है। शुक्रवार को इसे स्थानीय लोगों को समर्पित कर दिया गया। श्रीनगर स्मार्ट सिटी से मात्र ढाई किलोमीटर दूर झेलम किनारे आबाद गंडबल के लोगों के लिए यह दिनर खुशी का तो था, लेकिन उस घटना की दुखद यादों ने खुशी के इस माहौल को गमगीन बनाए रखा।

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    16 अप्रैल को डूबने से गई थी 9 लोगों की जान

    इस इलाके में फुट ब्रिज न होने के चलते न केवल गंडबल, बल्कि इसके साथ सटे लसजन, पादशाहीबाग, चक नौगाम, न्यू कालोनी, महजूर नगर समेत दर्जनों इलाकों के हजारों लोग झेलम को पार करने के लिए नाव का सहारा लेते थे।

    16 अप्रैल, 2024 को गंडबल व इन इलाकों के कुछ लोग, जिनमें स्कूली बच्चे भी थे, एक नाव में सवार हो झेलम नदी को पार कर रहे थे। इसी दौरान नाव डूब गई और इसमें सवार लोग डूब गए।

    नाव में सवार अधिकांश लोगों को स्थानीय लोगों ने बचा लिया, लेकिन पांच स्कूली बच्चों समेत नौ लोगों की जान चली गई। इसमें एक महिला व उसके दो बेटे भी शामिल थे। इनमें से आठ के शवों को झेलम से निकाला गया था। शौकत अहमद भट अभी भी झेलम के पानी में गुम है।

    2017 में रखी गई थी फुट ब्रिज की नींव

    इस इलाके में नदी पर 2017 में फुट ब्रिज की नींव रखी गई थी, लेकिन कई कारणों के चलते निर्माण कार्य नहीं हो पा रहा था। मजबूरन स्थानीय लोगों को झेलम नदी पार करने के लिए नावों का ही सहारा लेना पड़ता था।

    इस घटना के बाद से प्रशासन ने फुट ब्रिज पर युद्ध स्तर पर निर्माण कार्य शुरू कराया था। करीब सात महीनों के बाद अब इस ब्रिज को लोगों को समर्पित कर दिया गया।

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    ग्रामीण बोले, आज हम खुश भी हैं और गमगीन भी

    गुलाम हसन मलिक ने कहा कि शुक्र है कि हमारी यह लंबित मांग पूरी हो गई। अब हमें झेलम के रहम-करम पर नहीं रहना होगा। आज हम खुश भी हैं और गमगीन भी क्योंकि हमारी आंखों के सामने आज भी वही खौफनाक मंजर घूम रहा है जब उस दिन झेलम में मासूम डूब गए थे।

    वारिस भट ने कहा कि यह फुट ब्रिज हासिल करने के लिए हमें हमारे नौ लोगों की जान गंवानी पड़ी। हम वह सब भूले नहीं। हम सरकार से दरख्वास्त करते हैं कि जिन इलाकों में पुल नहीं हैं, वहां पुल बनवाए जाएं ताकि फिर कभी गंडबल जैसी घटना न हो।

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