J&K News: अगले साल मार्च में कराए जा सकते हैं पंचायत और नगर निकाय के चुनाव, राजनीतिक दलों ने तेज की तैयारियां
जम्मू कश्मीर में लगभग 6 साल बाद निकाय और पंचायत के चुनाव हो सकते है। ये चुनाव अगले वर्ष मार्च में कराए जा सकते हैं। जम्मू- कश्मीर चुनाव आयोग ने मतदाता सूची में गलतियां मिलने पर अंतिम प्रकाशन की तारीख को बढ़ाकर 15 जनवरी कर दिया है। बता दें कि अंतिम बार नगर निकाय और पंचायतों के चुनाव साल 2018 में हुए थे।
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में लंबित पंचायत और स्थानीय नगर निकायों के चुनाव अगले वर्ष मार्च में करवाए जा सकते हैं। यह प्रक्रिया लगभग दो माह चलेगी। इस बीच, प्रदेश चुनाव आयोग ने त्रुटियां मिलने पर पंचायत मतदाता सूची के अंतिम प्रकाशन की तिथि को छह जनवरी से बढ़ाकर 15 जनवरी कर दिया है।
अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए पंचायतों और स्थानीय नगर निकायों में आरक्षण कोटा निर्धारित करने के लिए गठित समिति का कार्यकाल भी इसी माह समाप्त होगा। इससे पहले कमेटी अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण उसकी आबादी के अनुपात के आधार पर प्रदान किया जाएगा।
चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं राजनीतिक दल
दूसरी ओर राजनीतिक दल विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद निकाय और पंचायत चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं। भाजपा, कांग्रेस, नेकां व अन्य दलों के नेताओं की बैठकें जारी हैं। वहीं कुछ निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव तिथि घोषणा से पहले घर-घर जाकर प्रचार जारी रखे हुए हैं। जम्मू-कश्मीर में पंचायतों का कार्यकाल इसी वर्ष जनवरी में समाप्त हो गया था, जबकि नगर निकायों का कार्यकाल गत वर्ष अक्टूबर-नवंबर में समाप्त हुआ था।
आखिरी बार 2018 में हुए थे चुनाव
पहले मौसम और सुरक्षा कारणों से यह चुनाव नहीं हो पाए और उसके बाद लोकसभा व विधानसभा चुनाव के कारण इन्हें स्थगित रखा गया। जम्मू-कश्मीर में अंतिम बार पंचायत और नगर निकायों के चुनाव वर्ष 2018 में हुए थे।
संबंधित अधिकारियों ने बताया कि पंचायत मतदाता सूचियों की जारी पुनरीक्षण प्रक्रिया के दौरान प्रदेश चुनाव आयोग ने विधानसभा चुनाव के दौरान की मतदाता सूचियों के साथ पंचायत मतदाता सूचियों की तुलना की तो दोनों में कई विसंगतियां पाई।
मतदाताओं को लेकर भी बहुत अंतर नजर आ रहा है। इसलिए मतदाता सूचियों को पूरी तरह त्रुटिहीन बनाने के लिए और सभी पात्र मतदाताओं को इनमें शामिल करने के लिए ही प्रदेश चुनाव आयोग ने पंचायत मतदाता सूचियों के अंतिम प्रकाशन की तिथि को छह जनवरी से बढ़ाकर 15 जनवरी 2025 कर दिया है।
इसके साथ ही आयोग ने पंचायत मतदाता सूचियों के लिए आपत्तियां व दावे दर्ज कराने की समय सीमा भी 20 दिसंबर कर दी है।
इस दिन होगा विशेष शिविर का आयोजन
सभी संबंधित जिला चुनाव अधिकारियों को आपत्तियां व दावों का 30 दिसंबर तक निपटान करने को कहा गया है। इसके अलावा 14 और 15 दिसंबर को सभी मतदान केंद्रों में विशेष शिविर भी आयोजित किए जा रहे हैं, ताकि सभी पात्र मतदाता अपना पंजीकरण करा सकें। इसके अलावा प्रत्येक पंच हलके में भी विशेष शिविरों का आयोजन किया जा रहा है।
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नवंबर में समाप्त हो गया था नगर निकायों का कार्यकाल
बता दें कि जम्मू-कश्मीर में पंचायतों और ब्लाक विकास परिषदों का कार्यकाल इसी वर्ष नौ जनवरी को समाप्त हो गया था। लगभग 28 हजार पंच-सरपंच और 310 ब्लाक विकास परिषद थीं। इनके अलावा जम्मू-कश्मीर में दो नगर निगम, 18 नगर परिषद और 56 नगर पालिका थीं। नगर निकायों का कार्यकाल बीते वर्ष नवंबर में समाप्त हो गया था।
ओबीसी आरक्षण तय करने के साथ वार्ड हलकों का परिसीमन होगा
अधिकारियों ने बताया कि अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण को सुनिश्चित बनाने के लिए गठित आयोग का कार्यकाल भी इसी माह समाप्त हो जाएगा और वह उससे पूर्व अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप देगा। पांच अगस्त 2019 से पहले जम्मू-कश्मीर में हुए पंचायत व नगर निकाय चुनावों में अनुसूचित जातियों और महिलाओं को आरक्षण प्राप्त था।
महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण है, जबकि अनूसचित जातियों के लिए उनकी आबादी के आधार पर सीटों को आरक्षित रखा गया है। उन्होंने बताया कि ओबीसी को भी उसकी आबादी के अनुपात के आधार पर आरक्षण प्रदान किया जाएगा।
ओबीसी आरक्षण को तय करने के साथ पंचायत और नगर निकायों के वार्ड हलकों का परिसीमन होगा, ताकि आरक्षित सीटों को तय किया जा सके। यह प्रक्रिया कम से कम एक माह चलेगी और इसे फरवरी के अंत तक पूरा करने का प्रयास किया जाएगा, ताकि मार्च में चुनाव कराए जा सकें। मार्च में मौसम बेहत हो जाता है और उच्च पर्वतीय इलाकों में सामान्य जनजीवन पूरी तरह बहाल हो जाता है।
दोनों चुनाव में होगा 15 दिन से एक माह का अंतर
पंचायत और नगर निकाय चुनावों में 15 दिन से लेकर एक माह का अंतर रखे जाने पर भी विचार किया जा रहा है, इसलिए यह प्रक्रिया दो माह तक जारी रह सकती है। पिछली बार पंचायत चुनाव नौ चरणों में कराए गए थे, लेकिन इस बार यह चार से छह चरणों में कराए जाने का विचार है, लेकिन अंतिम निर्णय तत्कालीन सुरक्षा परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए ही लिया जाएगा।
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