श्रीनगर-जम्मू हाईवे लगातार बंद रहने से कश्मीर घाटी में मटन-सब्जी की किल्लत बढ़ी, सैंकड़ों शादियां टली
जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग बंद होने से कश्मीर में मटन उद्योग प्रभावित है जिससे शादियाँ रद्द हो रही हैं। ट्रकों में सैकड़ों भेड़ें मर चुकी हैं। व्यापारियों ने प्रशासन से हस्तक्षेप की मांग की है। राजमार्ग बंद होने के कारण सब्जियों के दाम भी आसमान छू रहे हैं जिससे गरीब परिवार परेशान हैं।

जागरण संवाददाता, श्रीनगर। जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-44) कई अवरुद्ध हिस्सों पर चल रहे बहाली कार्य के कारण सोमवार सुबह भी वाहनों की आवाजाही के लिए बंद रहा। अधिकारियों ने कहा कि कार्य प्रगति पर है और जनता से अपील की है कि जब तक राजमार्ग पूरी तरह से बहाल नहीं हो जाता, तब तक इस पर यात्रा न करें।
श्रीनगर-जम्मू राजमार्ग के लगातार बंद रहने और मुगल रोड पर यातायात पूरी तरह सुचारू न हो पाने के कारण कश्मीर घाटी में मटन उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इससे मटन की भारी कमी हो गई है और लोगों को शादी समारोह स्थगित करने पड़े हैं।
मटन डीलर्स एसोसिएशन के अनुसार मटन की अनुपलब्धता के कारण घाटी में होने वाली 150 से ज़्यादा शादियाँ स्थगित करनी पड़ीं। एसोसिएशन के महासचिव मेहराजुद्दीन गनई ने कहा कि स्थिति चिंताजनक हो गई है और अगर एक दिन के भीतर पशु आपूर्ति घाटी तक नहीं पहुंची तो मंगलवार से मटन की उपलब्धता शून्य हो जाएगी।
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ट्रकों में 400 से अधिक भेड़ें मर चुकी
उन्होंने बताया कि पिछले तीन दिनों में हाईवे पर फंसे हुए ट्रकों में कम से कम 400 भेड़ें मर चुकी हैं। इन मौतों का कारण लंबे समय तक ट्रकों का रुकना, भोजन, पानी की कमी और वाहनों के अंदर दम घुटना बताया गया है।
वहीं सरकार का कहना है कि आवश्यक आपूर्ति मुगल रोड के रास्ते की जा रही है लेकिन डीलरों का आरोप है कि यातायात पुलिस नियमों का उल्लंघन कर रही है। अनावश्यक रुकावटें पैदा कर रही है। गनई ने कहा कि लखनपुर से ही ट्रकों को नौशहरा, सुरनकोट और पुंछ सहित कई जगहों पर रोक दिया जाता है।
भेड़-बकरियों से लदे ट्रकों को रोका जा रहा
उन्हें आगे बढ़ने की अनुमति देने से पहले कई दिनों तक इंतजार करना पड़ता है, जिससे बड़ी संख्या में मवेशियों की मौत हो जाती है और आर्थिक नुकसान होता है। भेड़-बकरियों से लदे ट्रक कई जगहों पर लगातार तीन-चार दिनों तक फंसे रहते हैं। व्यापारियों ने आरोप लगाया कि बार-बार अनुरोध करने के बावजूद अधिकारी सुचारू आवाजाही सुनिश्चित करने में विफल रहे हैं।
मटन डीलर्स एसोसिएशन ने प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप करने और पशुओं के ट्रकों की कश्मीर में बिना किसी परेशानी के आवाजाही सुनिश्चित करने की अपील की है ताकि और नुकसान को रोका जा सके और बाज़ार में आपूर्ति स्थिर रहे। आपको बता दें कि कश्मीर घाटी में गोश्त की काफी खपत है और शादी तथा अन्य सारोहों में पकने वाले व्यंजन शतप्रतिशत मटन के ही बने होते हैं।
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सब्जियों के दाम भी आसमान छूने लगे
हाईवें बंद होने की वजह से घाटी में सब्ज़ियों की कीमतें भी बढ़ गई है। इससे उपभोक्ताओं में गुस्सा है और वे व्यापारियों पर संकट का फायदा उठाने का आरोप लगा रहे हैं। श्रीनगर व अन्य जिलों के बाजारों में आलू, प्याज, टमाटर और बैंगन जैसी जरूरी चीज़ें अपनी सामान्य कीमतों से लगभग दोगुनी कीमत पर बिक रही हैं। कंगन निवासी मोहम्मद अयूब ने कहा कि सब्जियों की कीमतें सुन सिर चकरा जाता है। आम इंसान सोचता है कि खरीदे क्या और बचाए क्या।
गरीब परिवार हो रहे प्रभावित
स्थानीय लोगों का कहना है कि सबसे ज़्यादा बोझ गरीब परिवारों पर पड़ रहा है। गांदरबल के अब्दुल रशीद ने कहा कि सब्ज़ियां हमारी पहुंच से बाहर होती जा रही हैं। मेरे जैसे दिहाड़ी मज़दूर के लिए, प्याज़ और आलू भी विलासिता की वस्तु बन गए हैं। आबिदा नामक एक गृहिणी ने भी यही निराशा व्यक्त की। हमारे घर में छोटे-छोटे बच्चे हैं। हम उन्हें कब तक सिर्फ़ चावल खिला पाएंगे? हमें सब्ज़ियां, दूध और चिकन चाहिए लेकिन क़ीमतें आसमान पर हैं। हालात बिगड़ने से पहले अधिकारियों को हस्तक्षेप करना चाहिए।"
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