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    जम्मू-कश्मीर में 25 किताबों पर लगी पाबंदी पर लेखकों-राजनीतिज्ञों ने सीएम उमर को घेरा, उमर बोले- इससे मेरा कोई सरोकार नहीं

    Updated: Fri, 08 Aug 2025 07:45 PM (IST)

    जम्मू कश्मीर में 25 किताबों पर पाबंदी के बाद मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि इसमें उनका कोई रोल नहीं है यह फैसला गृह विभाग ने लिया है। पुलिस ने पुस्तक विक्रेताओं के यहां तलाशी कर प्रतिबंधित पुस्तकें जब्त कीं। सरकार ने आतंकवाद और अलगाववाद को बढ़ावा देने वाली पुस्तकों पर रोक लगाई है जिसका लेखकों और राजनीतिक दलों ने विरोध किया है।

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    उमर अब्दुल्ला ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का समर्थन किया है।

    राज्य ब्यूरो, जागरण, श्रीनगर। जम्मू कश्मीर में 25 किताबों पर पाबंदी पर आलोचना का सामना कर रहे मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार को कहा कि मेरा इससे कोई सरोकार नहीं है। पाबंदी का फैसला गृहविभाग ने उपराज्यपाल के निर्देशानुसार लिया है।

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    इस बीच, पुलिस ने शुक्रवार को लगातार दूसरे दिन भी घाटी के विभिन्न इलाकों में विभिन्न पुस्तक भंडारों और पुस्तक विक्रेताओं के परिसरों की तलाशी लेते हुए प्रतिबंधित पुस्तकों की बड़ी संख्या में प्रतियों को अपने कब्जे में लिया हे।

    आपको बता दें कि उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के दिशा निर्देश पर गत बुधवार को जम्मू कश्मीर गृह विभाग ने 25 ऐसी किताबाें को चिह्नित करते हुए प्रतिबंधित किया है, जिनमें आतंकियों के महिमांडन, जम्मू कश्मीर में आतंकी हिंसा और अलगाववाद को सही ठहाराए जाने का दावा किया गया है।

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    यह हैं प्रतिबंधित किताबें

    प्रतिबंधित किताबों में हयूमन राईट्स वायलेशन इन कश्मीर, कश्मीरीज फाइट्स फार फ्रीडम, कोलोनाइजिंग कश्मीर, कश्मीर पालिटिक्स एंड प्लेबिसाइट, डू यू रिमेंबर कुननपोशपोरा,मुजाहिद की अजान, अल जिहाद फिल इस्लाम, इंडिपिंडेंट कश्मीर, रजिस्टिंग आक्यूपेशन इन कश्मीर, बिटवीन डेमोक्रेसी एंड नेशन (जेंडर एंड मिल्ट्राइजेशन इन कश्मीर), कंटेस्टिड लैंड्स, इन सर्च आफ ए फ्यूचर( द स्टोरी आफ कश्मीर), कश्मीर इन कनफ्लिक्ट (इंडिया, पाकिस्तान एंड द अनऐंडिंग वार), द कश्मीर डिस्पयूट 1947-2002, कश्मीर एट द क्रासरोड्स( इनसाइड ए 21 सेंचुरी कनफ्लिक्ट), ए डिसमेंटल्ड स्टेट (द अनटोल्ड स्टोरी आफ कश्मीर आफ्टर आर्टिकल 370), रजिस्टिंग डिसएपेयर्स (मिल्ट्री आक्यूपेशन एंड विमेन एक्टिविज्म इन कश्मीर), कनफ्रंटिंग टेरेरिज्म, फ्रीडम कैपटिविटी (नेगोशिएशनस आफ बिलांगिंग एलांग कश्मीरी फ्रंटियर), कश्मीर (द केस फार फ्रीडम), आजादी, यूएसए एंड कश्मीर, ला एंड कनफ्लिक्ट रिजल्यूशन इन कश्मीर, तारीख ए सियासत कश्मीर और कश्मीर एंड द फ्यूचर आफ साउथ एशिया शामिल है।

    लेखकों, राजनीतिक दलों ने की प्रदेश सरकार की आलोचना

    किताबों पर पाबंदी को लेकर विभिन्न लेखकों और राजनीतिक दलों ने प्रदेश सरकार की आलोचना की है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की भी इसके लिए आलोचना हो रही है। उन्होंने अपना पक्ष रखते हुए अपने एक्स हैंडल पर लिखा है कि मुझे कायर कहने से पहले अपने तथ्य ठीक कर लीजिए, आप अज्ञानी हैं। उपराज्यपाल ने गृह विभाग, जिस पर आधिकारिक रूप से उनका नियंत्रण है, का उपयोग करके यह प्रतिबंध लगाया है। मैंने कभी पुस्तकों पर प्रतिबंध नहीं लगाया है और न ही लगाऊंगा।"

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    उमर बोले- हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ नहीं

    मुख्यमंत्री उमर ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और अकादमिक संवाद पर अपनी पार्टी के लंबे समय से चले आ रहे रुख को दोहराया। उन्होंने कहा कि हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ नहीं है और जिन पुस्तकों पर पाबंदी लगाई गई है, वह एक लंबे समय से बिक रही हैं । इस बीच, पुलिस ने आज कश्मीर घाटी के विभिन्न इलाकों में विभिन्न पुस्तक विक्रेताओं के ठिकानों की तलाशी ली। पुलिस के अनुसार, विभिन्न विक्रेताओं के पास से आज बड़ी संख्या में प्रतिबंधित किताबों की प्रतियां बरामद की गई है। इसके अलावा सभी पुस्तक विक्रेताओं को सूचित किया गया है कि अगर किसी के पास प्रतिबंधित पुस्तकें हैं तो वह स्वयं इनके बारे में सूचित करते हुए इन्हें नष्ट कर दे या फिर इन्हें पुलिस को सौंप दे।