J&K Weather Update: जलवायु परिवर्तन छीन रहा पहाड़ों से बर्फ, कश्मीर में कम हुई पर्यटकों की आमद
Snowfall in Kashmir कश्मीर में बर्फबारी में कमी का कारण जलवायु परिवर्तन है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण हिमालय में बर्फ पिघल रही है और बर्फबारी कम हो रही है। इससे कश्मीर के पर्यटन उद्योग को नुकसान हो रहा है। नवंबर का महीना खत्म हो रहा है लेकिन गुलमर्ग में उतनी बर्फ नहीं गिरी है इसलिए यहां की वादी सूनी नजर आ रही है।
जागरण संवाददाता, श्रीनगर। सर्दी शुरू होते ही कश्मीर के पहाड़ों पर बर्फबारी शुरू हो जाती थी और नवंबर तक पहाड़ बर्फ की मोटी चादर ओढ़ लेते थे। गुलमर्ग हो या सोनमर्ग, यूसमर्ग या फिर पहलगाम सभी पर्यटनस्थल बर्फ से लकदक हो जाते थे।
पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहता था। समुद्र तल से 13 हजार मीटर ऊंचाई पर हिमालय की पर्वत शृंखला में गुलमर्ग की वादियां पर्यटकों की दिल का सुकून देती थीं। स्कीइंग, आइस साइकिलिंग आदि के शौकीन यहां खूब नजर आते थे, लेकिन इस बार पहाड़ उदास से लग रहे हैं।
बर्फबारी नहीं होने से सूनी हैं वादियां
नवंबर समाप्त हो रहा है पर दिल को सुकून देने वाली बर्फ गुलमर्ग में नहीं गिरी है। इसलिए यहां की वादी सूनी नजर आ रही है। सिर्फ अफरवट समेत ऊंची चोटियां पर कहीं-कहीं बर्फ की मामूली परत दिखाई दे रही है।
वर्तमान में भी कश्मीर समेत पूरे प्रदेश में मौसम शुष्क की है और मौसम विभाग के अनुसार पांच दिसंबर तक हिमपात के कोई आसार नहीं हैं। मौसम विज्ञानी इसके पहले जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग को कारण बता रहे हैं।
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कम हो गया है पर्यटकों का आना
वर्तमान में बर्फ का दीदार करने के इच्छुक पर्यटक जैसे ही गुलमर्ग में प्रवेश करते हैं तो सूखी वादियां उनका स्वागत करती है। सोनमर्ग, यूसमर्ग, पहलगाम तथा दूधपथरी में भी ऐसी ही स्थिति है। इन हालात में पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों के मुंह उतरे हुए हैं।
गुलमर्ग में एडवेंचर यूनिट चलाने वाले मुबाशिर अहमद 20 वर्षों से इस काम से जुड़े हैं। सामान्य परिस्थितियों में अक्टूबर से पहले ही यहां बुकिंग शुरू हो जाती है, लेकिन इस वर्ष पास चंद बुकिंग हुई है। स्कीइंग का सामान ऐसे ही पड़ा हुआ है क्योंकि बर्फ नहीं है तो खिलाड़ी स्कीइंग कहां करेंगे?
गुलमर्ग में रेस्तरां चलाने वाले शौकत अहमद वाजा ने कहा कि सर्दियों में पर्यटक यहां बर्फ देखने आते हैं जबकि खिलाड़ी स्कीइंग और बाकी रोमांचक खेलों के लिए। बर्फ न होने के चलते पर्यटकों का आना कम हो गया है।
यह ग्लोबल वार्मिंग व क्लाइमेट चेंज का असर है। घाटी भी दुनिया के शेष हिस्सों की तरह प्रभावित हुई है। ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव रोकना इतना आसान नहीं है। यह एक बड़ा मुद्दा है और विश्व के सभी देश जब तक एकजुट होकर कोई ठोस नीति नहीं अपनाते, तब तक इस पर काबू नहीं पाया जा सकता।
-प्रोफेसर शकील रामशू, इस्लामिक यूनिवर्स्टी ऑफ साइंस एंड टेक्नालॉजी में कार्यरत
शीतकालीन खेलों के टलने की भी आशंका
गुलमर्ग में हर वर्ष शीतकालीन खेल होते हैं। इस वर्ष पर्याप्त बर्फबारी न होने के चलते इनके टलने की आशंका बढ़ गई है। हालांकि, पर्यटन विभाग का कहना है कि शीतकालीन खेलों के आयोजन की तैयारियां की जा रही हैं।
विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि यह सच है कि गुलमर्ग में अभी उतनी बर्फबारी नहीं हुई है, जितनी अक्टूबर-नवंबर में हुआ करती थी। अभी हमारे पास दिसंबर, जनवरी व फरवरी महीने पड़े हुए हैं और उम्मीद है कि इन महीनों में यहां खूब बर्फबारी होगी।
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