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    वाह! जम्मू-कश्मीर में कचरे से बनेगी बायोगैस, 46 रुपए KG के हिसाब से बेची जाएगी; लाखों में होगी कमाई

    Updated: Tue, 26 Nov 2024 06:42 PM (IST)

    Jammu Kashmir News जम्मू शहर अब जल्द ही कचरा मुक्त होने जा रहा है। कचरे से बायोगैस बनाई जाएगी और इसे ऑयल कंपनियों को बेचा जाएगा। इससे निगम के खाते में हर साल लाखों रुपये आएंगे। इस प्रोजेक्ट से शहर की स्वच्छता में भी सुधार होगा। बायोमास यानी कृषि अपशिष्ट मवेशी गोबर सुगरकेन प्रेस मड नगर निगम ठोस अपशिष्ट व सीवेज उपचार संयत्र अपशिष्ट आदि से निकाली गई गैस है।

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    जम्मू-कश्मीर में कचरे से बायोगैस बनाई जाएगी (जागरण फाइल फोटो)

    अंचल सिंह, जम्मू। अब वो दिन दूर नहीं जब जम्मू शहर कचरा मुक्त होगा। कचरे से कम्प्रेस्ड बायो गैस बनेगी। इस बायो गैस को ऑयल कंपनियों को प्रति किलो 46 रुपये के हिसाब से बेचा जाएगा। इतना ही नहीं दस प्रतिशत कचरे से खाद तैयारी होगी। हर साल लाखों रुपये निगम के खाते में आएंगे।

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    जम्मू नगर निगम शहर के बाहरी क्षेत्र कोट भलवाल में सालिड वेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट को अंतिम रूप देने में जुटा हुआ है। उम्मीद जताई जा रही है कि अगले छह महीनों में काम पूरा कर लिया जाएगा और फिर कचरे का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण होने लगेगा।

    350 मीट्रिक टन कचरे का होगा निस्तारण

    निस्तारण प्रक्रिया से बायो गैस और खाद तैयार होगी। शहर का लगभग सारा कचरा ठिकाने लग जाएगा और धीरे-धीरे शहर स्वच्छ हो जाएगा क्योंकि प्रतिदिन लगभग 350 मीट्रिक टन कचरे का निस्तारण यहां होगा जबकि शहर से कोट भलवाल में करीब 300 मीट्रिक टन कचरा ही पहुंच रहा है।

    अगले दो महीनों में प्रोजेक्ट के पहले चरण का काम पूरा कर लिया जाएगा। जहां जमीन समतल करने के साथ वर्षों से फेंके जा रहे कचरे के पहाड़ खत्म कर दिए गए हैं। इतना ही नहीं यहां एक बड़ा पार्क भी तैयार किया गया है। कचरा तोलने के लिए यहां दो बड़े कांटे लगाए गए हैं।

    यहां मेटेरियल रिक्वरी फेसिलिटी (एमआरएफ) का काम पूरा कर लिया गया है जबकि कम्प्रेस्ड बायो गैस (CBG) का काम जनवरी 2025 तक पूरा होने की संभावना जताई जा गई है। यहां सीईएफ जम्मू एनर्जी प्राइवेट ने जमीन की चारदीवारी का काम पूरा किया है।

    नेफड बना रहा है प्रोजेक्ट

    नेशनल एग्रीकल्चर, कोआपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (नेफड) कोट भलवाल में 350 टन प्रति दिन क्षमता वाला म्युनिसिपल सालिड वेस्ट प्रोसेसिंग प्लान्ट बना रही है। अगस्त 2021 में इसका शुभारंभ उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने ऑनलाइन किया गया था।

    इस प्लांट का उद्देश्य शहर से निकलने वाले कचरे को वैज्ञानिक तरीके से ठिकाने लगाना है। नेफड कचरे को जम्मू-कश्मीर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नियमों के अनुरूप ठिकाने लगाएगी।

    इस प्रोजेक्ट पर 85 करोड़ रुपये नेफड खर्च करेगी जबकि 20 करोड़ रुपये नगर निगम ने नेफड को देने हैं जिसमें से 8.39 करोड़ रुपये दिए जा चुके हैं। 7 अप्रैल 2021 को नगर निगम ने नेफड से समझौता किया था और 110 कनाल जमीन नेफड को सौंपी थी।

    • प्रोजेक्ट की लागत : 85 करोड़
    • प्रोजेक्ट के लिए निर्धारित जमीन : 110 कनाल
    • निर्माण एजेंसी : जम्मू नगर निगम
    • बायो वेस्ट : 1748.78 किलो प्रतिदिन 2022 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार
    • शहर से निकलने वाला कचरा : 350 मीट्रिक टन प्रतिदिन
    • नगर निगम अधीनस्थ 75 वार्डों की आबादी : 7.46,285 (2023) अनुमानित

    क्या है कम्प्रेस्ड बायो गैस

    कम्प्रेस्ड बायो गैस (CBG) अनॉक्सी प्रक्रिया से बना हुआ एक प्रकार का ईंधन है। यह अत्यंत ज्वलनशील पदार्थ है, जिसका उपयोग मोटर वाहनों को चलाने के साथ ही खाना पकाने और अन्य कई कामों के लिए किया जा सकता है।

    कम्प्रेस्ड बायो गैस बायोमास से तैयार किया जाता है। बायोमास यानी कृषि अपशिष्ट, मवेशी गोबर, सुगरकेन प्रेस मड, नगर निगम ठोस अपशिष्ट व सीवेज उपचार संयंत्रा अपशिष्ट आदि से निकला हुआ गैस होता है।

    बायो गैस पैदा होने में करीब 55 फीसदी से लेकर 60 फीसदी तक मीथेन, 40 से 45 फीसदी कार्बन डाई आक्साइड और हाइड्रोजन सल्फाइड होता है।

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    जब बायो गैस में से कार्बन डाई ऑक्साइड, जलवाष्प व हाइड्रोजन सल्फाइड को हटाया जाता है और फिर कम्प्रेस्ड किया जाता है तो सीबीजी यानी कम्प्रेस्ड बायो गैस प्राप्त होता है। इसमें मीथेन की मात्रा 90 फीसदी होती है।

    कम्प्रेस्ड बायोगैस की कीमत

    कम्प्रेस्ड बायो गैस का बेसिक प्राइस 46 रुपये और इस पर 5 फीसदी जीएसटी यानी 2.30 रुपये लगाकर 48.30 रुपये प्रति किलो तय की गई है। ऑयल मार्केट कंपनियों की ओर से इसे हर तीन साल पर समीक्षा की जाती है और उस हिसाब से इसके दाम ज्यादा या कम किए जाते हैं।

    आसपास के क्षेत्रों में घटेगी दुर्गंध

    कचरा निस्तारण प्रोजेक्ट के शुरू होने से कोट भलवाल के आसपास के गांवों में कचरे से उठती दुर्गंध से भी लोगों को राहत मिलेगी।

    जब से कोट भलवाल में कचरा फेंका जाने लगा है तभी से कोट भलवाल व आसपास के ग्रामीण कई बार प्रदर्शन कर चुके हैं। इतना ही नहीं अदालत में भी मामला उठाया गया। अब वैज्ञानिक तरीके से कचरे का निपटान शुरू होने के बाद उन्हें राहत मिलेगी।

    शहर से निकलने वाला कचरा

    • कुल कचरा जमा होता है - 400 मीट्रिक टन प्रति दिन
    • गलियों की सफाई से - 50 मीट्रिक टन प्रति दिन
    • होटल,रेस्टोरेंट से - 40 मीट्रिक टन प्रतिदिन
    • बाजारों से - 50 मीट्रिक टन प्रतिदिन
    • बड़े व्यावसायिक प्रतिष्ठानों से - 20 मीट्रिक टन प्रतिदिन
    • घरों से - 130 मीट्रिक टन प्रतिदिन
    • अन्य से - 110 मीट्रिक टन प्रतिदिन

    बंधुरक्ख, भगवती नगर में भी होता है निस्तारण

    मौजूदा समय में बंधुरक्ख और भगवती नगर स्थित मेटेरियल रिक्वरी फेसिलिटी (एमआरएफ) में कुछ कचरे का निस्तारण किया जाता है। शेष कचरे को गोल गुजराल में भेजा जाता है।

    बंधुरक्ख और भगवती नगर में 5-5 टीपीडी (टन प्रति दिन) क्षमता वाले एमआरएफ बने हुए हैं। वहीं कोट भलवाल में 150 टीपीडी में एमआरएफ के लिए निर्धारित है जबकि 50 टीपीडी विंडो कम्पोस्टिंग यूनिट स्थापित है। यहां कुल 350 टीपीडी का प्रावधान है।

    क्या कहते हैं अधिकारी

    'भलवाल में कचरा निस्तारण प्रोजेक्ट पूरा होने से शहर से गंदगी दूर होती चली जाएगी। अगले वर्ष से यहां वैज्ञानिक तरीके से कचरे काे ठिकाने लगाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

    कचरे से सीबीजी, खाद बनाई जानी है। बहुत सा काम पूरा कर लिया गया। शेष कार्य को तेजी से पूरा किया जा रहा है। इससे स्वच्छता रैंकिंग में भी सुधार होगा।’

    -डॉ. देवांश यादव, आयुक्त, जम्मू नगर निगम

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