Updated: Thu, 25 Jan 2024 02:36 PM (IST)
नियंत्रण रेखा पर भारतीय सीमा बल की महिला टोली डटकर दुश्मन का मुकाबला करने के लिए मुस्तैद हैं। हाड़ कंपा देने वाली ठंड में भी उनके हौसले काबिल ए तारीफ हैं। समुद्र तल से करीब 14 हजार फीट की ऊंचाई पर जमाव बिंदु से 20 डिग्री सेल्सियस नीचे के तापमान में हाथों में असॉल्ट राइफल थामे महिलाओं का दस्ता दुश्मन से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार बैठा है।
नवीन नवाज, श्रीनगर। उत्तरी कश्मीर में एलओसी पर समुद्र तल से करीब 14 हजार फीट की ऊंचाई पर जमाव बिंदु से 20 डिग्री सेल्सियस नीचे के तापमान में हाथों में असॉल्ट राइफल थामे महिलाओं का दस्ता दुश्मन से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार बैठा है। यह महिलाएं बीएसएफ की महिला वाहिनी की हैं, जिन्हें कुछ ही दिन पहले अग्रिम इलाके में ऑपरेशनल ड्यूटी के लिए तैनात किया गया है।
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अग्रिम चौकियों की जिम्मेदारी संभाल रही बीएसएफ महिला वाहिनी
एलओसी पर बीएसएफ की महिला कर्मियों की नियुक्ति पहली बार ही हुई है। बीएसएफ में कांस्टेबल स्तर पर महिलाओं की नियुक्ति लगभग 16 वर्ष पहले शुरू हुई थी और पहली बार अंतरराष्ट्रीय सीमा पर महिला बीएसएफ कर्मियों की नियुक्ति वर्ष 2009 में हुई थी।
बीएसएफ ने अपनी महिला वाहिनी की कर्मियों का एक दस्ता उत्तरी कश्मीर में बांडीपोरा जिले के गुरेज सेक्टर में तैनात किया है। गुरेज सेक्टर में एलओसी पर कई अग्रिम चौकियों की जिम्मेदारी बीएसएफ ही संभालती है। अब इन चौकियों पर मातृ शक्ति भी है।
ठंड से बचाव के हैं पुख्ता इंतजाम
महिला बीएसएफ कर्मी मंगल डोंगरी ने कहा कि हम किसी से कम नहीं। हम गश्त करने, नाका लगाने, घात लगाने और रात्रिकालीन गश्त के साथ-साथ आमने-सामने की लड़ाई में भी पूरी तरह प्रशिक्षित हैं। जंगल हो या पहाड़, रेगिस्तान हो या समुद्र हम हर जगह ड्यूटी के लिए तैयार हैं। यहां उत्तरी कश्मीर में एलओसी पर यह हमारी पहली नियुक्ति है। यहां मौसम काफी ठंडा है, लेकिन हमारे पास बर्फ में चलने वाले जूते, ठंड से बचाव के लिए उन्नत किस्म का साजोसामान व कपड़े हैं।
कई ओवरग्राउंड वर्कर महिलाएं भी कर रहीं काम
हमारे पास सभी अत्याधुनिक हथियार हैं। हमारे पास इंसास, असाल्ट, टीएआर और एसएलआर व अन्य हथियारों को चलाने पूरा अनुभव है। जम्मू कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इसी वर्ष जुलाई तक एलओसी पर अग्रिम इलाकों में महिला बीएसएफ कर्मियों की तैनाती में बढ़ोतरी की जाएगी।
कश्मीर मामलों के जानकार सलीम रेशी ने कहा कि यह काबिले तारीफ कदम है। अग्रिम सीमावर्ती इलाकों में बीते कुछ समय से नार्को टेररिज्म मॉड्यूल में महिलाओं के जुड़ने की बात सामने आई है। इसके अलावा आतंकियों के लिए कई महिलाएं भी ओवरग्राउंड वर्कर काम करती हैं।
सीआरपीएफ की महिला कमांडों दस्ता भी कश्मीर में मौजूद
बीएसएफ की महिला कर्मी उन्हें पकड़ने में कारगर होंगी। इसके अलावा आबादी वाले इलाकों में तलाशी अभियान के दौरान जो शरारती तत्व सुरक्षाबलों पर महिलाओं के उत्पीड़न के आरोप लगाते हैं, वह भी बंद हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि कश्मीर में असम राइफल्स की एक महिला कंपनी के अलावा सीआरपीएफ की एक वाहिनी और सीआरपीएफ की महिला कमांडो दस्ता भी कश्मीर में पहले से है।
मौसम काफी खतरनाक, पर परवाह नहीं
महिला बीएसफ कर्मी प्रीती चौधरी ने कहा कि हम एलओसी पर तैनात होने वाली पहली महिला बीएसएफ कर्मी हैं। यह हमारे लिए गर्व की बात है। देश के प्रति प्यार और कर्तव्य से प्रेरित होकर ही हम सभी यहां पर हैं।
मंदीप कौर ने कहा कि यहां बेशक मौसम काफी खतरनाक है, लेकिन हमे इसकी परवाह नहीं है। हमारी महिला कर्मी किसी भी तरह से हमारे से कम नहीं हैं। उनके आने से यहां कई आबादी वाले इलाकों में गश्त करना, संदेह के आधार पर तलाशी अभियान चलाने मे, विभिन्न इलाकों में नाकों पर महिला कर्मियों की उपलब्धता से हमें आतंकियों और नार्को टेररिज्म मॉड्यूल की महिलाओं को पकड़ने में आसानी होगी।
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