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    आखिर क्या है ये बीमारी? राजौरी के बडाल गांव में हो चुकी है 7 की मौत; जांच में नहीं निकल रहा कोई निष्कर्ष

    Updated: Mon, 16 Dec 2024 12:19 PM (IST)

    राजौरी के बडाल गांव में सात लोगों की मौत के मामले की जांच में अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला है। जांच में मदद के लिए पुणे चंडीगढ़ और दिल्ली से विशेषज्ञों की टीम राजौरी पहुंची है। 28 ग्रामीण इस बीमारी से प्रभावित हुए हैं। स्वास्थ्य मंत्री सकीना इट्टू और जल शक्ति मंत्री जावेद अहमद राणा ने रविवार को स्थिति की समीक्षा की।

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    स्वास्थ्य मंत्री ने गांव को दौरा कर स्थिति की समीक्षा की। सांकेतिक तस्वीर।

    जागरण संवाददाता, राजौरी। राजौरी जिले के बडाल गांव में बुखारी और बेहोशी के बाद सात लोगों की मौत की जांच में अभी कुछ भी निष्कर्ष नहीं निकला है।

    अलबत्ता, जांच में सहायता के लिए पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान, पीजीआई चंडीगढ़ और दिल्ली स्थित राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) के विशेषज्ञों की एक टीम राजौरी में पहुंच चुकी है।

    जांच में लगी 7 से अधिक टीमें

    एम्स दिल्ली के विशेषज्ञों की टीम भी जांच में शामिल हो रही है। जम्मू और राजौरी जीएमसी की टीमें पहले से ही जांच में लगी हैं। स्वास्थ्य विभाग ने भी अपनी टीम लगा रखी है। जांच में सात से अधिक टीमें लगी हैं। स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा मंत्री सकीना इट्टू और जल शक्ति मंत्री जावेद अहमद राणा रविवार को स्थिति की समीक्षा के लिए कोटरंका पहुंचे।

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    यहां उन्होंने स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा सचिव डॉ. सैयद आबिद रशीद शाह सहित वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक ली। आठ और 12 दिसंबर को दो अलग घटनाओं में कोटरंगा क्षेत्र के बडाल गांव में सात लोगों की मौत हो गई थी। अधिकारियों ने शुरुआत में रहस्यमयी परिस्थितियों में मौतों का कारण भोजन विषाक्तता होने का संदेह जताया था।

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    इस रहस्यमयी बीमारी से 28 ग्रामीण प्रभावित

    इसी बीमारी में 28 ग्रामीण प्रभावित हुए हैं। हालांकि, अब जम्मू और राजौरी के अस्पतालों में भर्ती लोगों में सभी की हालत स्थिर है। जीएमसी जम्मू के प्रिंसिपल डॉ. आशुतोष गुप्ता ने कहा था कि प्रारंभिक जांच में वायरल संक्रमण की ओर इशारा किया गया है, लेकिन किसी निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए और काम किए जाने की जरूरत है।

    जांच में और समय की जरूरत है। स्वास्थ्य मंत्री सकीना ने रविवार को कहा कि इन मौतों की जांच अभी तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची है क्योंकि अधिकांश (प्रयोगशाला) रिपोर्ट अभी भी लंबित हैं।

    जैसा कि पीजीआई चंडीगढ़ टीम ने कहा है, इसमें 20 दिन लगेंगे। गांव में पानी के सैंपल की रिपोर्ट नकारात्मक आई हैं, जबकि कुछ खाद्य नमूनों की रिपोर्ट आनी हैं। स्वास्थ्य विभाग ने मौतों की जांच के लिए विभिन्न टीमों को गांव में भेजा है। जिला विकास आयुक्त जमीनी स्तर पर टीमों के साथ समन्वय कर रहे हैं और अब तक स्थिति नियंत्रण में है।

    घर-घर जाकर व्यक्तियों का किया जा रहा सर्वेक्षण

    गांव के हर घर में चिकित्सा जांच हुई है। स्वास्थ्य विभाग ने पर्याप्त दवाएं उपलब्ध कराई हैं और गांव में एक एंबुलेंस भी उपलब्ध कराई है। राजौरी के उपायुक्त अभिषेक शर्मा ने बताया कि क्षेत्र में घर-घर जाकर 3,145 व्यक्तियों का सर्वेक्षण किया गया है। प्रभावित क्षेत्रों में 384 विशेष स्वास्थ्य शिविर आयोजित किए गए हैं।

    वहीं, एनसीडीसी, पीजीआई चंडीगढ़ और आईसीएमआर के विशेषज्ञों वाली एक केंद्रीय टीम जांच में सहायता करने और अज्ञात बीमारी से निपटने के लिए तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए राजौरी पहुंच रही है। आईसीएमआर की एक लैब भी बडाल गांव में भेजी गई है। वहीं, कुछ लोगों के सैंपल जांच के लिए लखनऊ भेजे गए हैं।

    एमआरआई मशीन खरीदने के निर्देश

    स्वास्थ्य मंत्री सकीना इट्टू ने गांव में स्वास्थ्य केंद्र के लिए एमआरआई मशीन खरीदने का भी निर्देश दिया। उन्होंने जांच रिपोर्ट को जल्द लाने, खाद्य और आपूर्ति विभाग को अतिरिक्त नमूने एकत्र करने और परीक्षण करने और पशुपालन विभाग को दूध के नमूने एकत्र करने के निर्देश दिए। उन्होंने कोटरंका में डॉक्टरों की एक टीम की तैनाती के निर्देश दिए।

    उन्होंने आश्वासन दिया कि वह इसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्र में अपग्रेड करने पर विचार करेंगी। डॉक्टरों की कमी पर कहा कि यह पूरे जम्मू-कश्मीर से जुड़ा मुद्दा है। डॉक्टरों और पैरामेडिक्स के बहुत सारे पद खाली हैं और सरकार लोगों को राहत देने के लिए इन पदों को भरने के लिए कदम उठा रही है।

    दो मोबाइल मेडिकल यूनिट की घोषणा

    जल शक्ति मंत्री जावेद अहमद राणा ने जल गुणवत्ता निगरानी टीम को क्षेत्र में पानी का परीक्षण के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने राजौरी और पुंछ जिलों के लिए दो मोबाइल मेडिकल यूनिट (एमएमयू) की घोषणा की। इसके लिए जनजातीय मामलों के विभाग से लगभग एक करोड़ रुपये दिए जाएंगे।

    यह एमएमयू बुनियादी चिकित्सा उपकरणों से लैस होंगे और स्वास्थ्य पेशेवरों द्वारा संचालित होंगे। इन्हें निवारक देखभाल, निदान और सामान्य बीमारियों के उपचार सहित कई प्रकार की स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है। उन्होंने चेक डैम के निर्माण से जल संरक्षण के लिए डीपीआर बनाने के भी निर्देश दिए।

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