Jammu Kashmir News: आखिर अभेद सीमा को कैसे भेद रहे आतंकी? घुसपैठ के नए रूट ने सुरक्षाबलों की बढ़ाई चिंता
जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir News) में सुरक्षाबलों के तलाशी अभियान के बावजूद आतंकियों की घुसपैठ जारी है। पिछले 14 दिनों में अंतरराष्ट्रीय सीमा से लेकर पहाड़ तक तीन अलग-अलग गुटों में आतंकी देखे गए हैं। बिलावर के मल्हार में आतंकियों ने दोबारा अपना ठिकाना सक्रिय कर दिया है। सुरक्षाबलों के लिए यह चिंता का विषय है कि आतंकी नए रूटों का इस्तेमाल कर रहे हैं।

राकेश शर्मा, कठुआ। जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir News) के कठुआ जिले में सुरक्षाबलों द्वारा इधर-उधर भागते-फिर रहे आतंकियों की तलाश में लगातार तलाशी अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन सवाल उठने लगा कि आखिर अभेद अंतरराष्ट्रीय सीमा को भेदकर आतंकी कैसे घुसपैठ कर रहे हैं?
बिलावर के मल्हार को आतंकी दोबारा बना रहे ठिकाना
सुरक्षा एजेंसियां भी आतंकवादियों के मददगारों पर नकेल कसने की लगातार दावा कर रही है, लेकिन पिछले 14 दिनों में अंतरराष्ट्रीय सीमा से लेकर पहाड़ तक तीन-तीन अलग-अलग गुटों में आतंकी जंगल में देखे गए। पुलिस सूत्र बता रहे हैं कि बिलावर के मल्हार में आतंकियों ने दोबारा अपना ठिकाना सक्रिय करना शुरू कर दिया है।
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दरअसल, गत दो सप्ताह से जिले में भारत-पाक सीमा से लेकर हाईवे, कंडी और पहाड़ों तक अलग-अलग रूटों पर आतंकियों के दल को स्थानीय लोगों ने देखे जाने के बाद सुरक्षाबलों को सूचित किया। आलम यह है कि अब जिले में जगह-जगह सुबह से रात तक एक ही चर्चा हो रही है, जैसे अंतरराष्ट्रीय सीमा पर कहीं जरूर सेंध लग रही है।
घुसपैठ कर बिलावर, मल्हार और बनी तक पहुंच रहे आतंकी
तभी बार-बार आतंकी घुसपैठ कर जिले में दाखिल होकर अपने सुरक्षित ठिकाना बिलावर, मल्हार और बनी तक पहुंच रहे हैं। इस तरह की घटनाओं के बीच सबसे हैरानी और गंभीर चिंता यह है कि हीरानगर के तरनाह नाला, उज्ज दरिया के बाद अब रावी दरिया रूट पर भी आए दिन संदिग्ध दिख रहे हैं, जो सन्याल से जुथाना, पंचतीर्थी से धुन परोल तक पहुंच गए।
सुरक्षाबलों के हाथ पिछले सप्ताह से हाथ नहीं आ रहे। संभावना जताई जा रही है कि सीमापार से घुसपैठिए इस रूट से बनी के पहाड़ों तक पहुंचने में पंजाब क्षेत्र से सटे नए मार्ग से निकले रहे हैं।
यह चिंता का विषय
उज्ज, तरनाह के बाद नया रूट आतंकियों द्वारा इस्तेमाल करना और भी चिंता का विषय बनता जा रहा है। इस रूट पर भी आतंकियों के मददगार बैठे हैं। लेकिन पंजाब के बाद अब कश्मीर में 1989 में शुरू हुए आतंकवाद से लेकर इस्तेमाल हो रहे रूटों पर आजतक कड़ा पहरा नहीं किया गया है, जबकि सभी रूटों के मार्ग में कंडी क्षेत्र पड़ता है, जहां के लोग अब डर गए हैं, जो अब सुरक्षा की लगातार मांग कर रहे हैं।
बनी भी मल्हार की तरह आतंकियों का रहा सुरक्षित ठिकाना
बनी भी दो दशक पहले आतंकियों का बिलावर के मल्हार की तरह सुरक्षित ठिकाना रहा है, जहां अब दोबारा सक्रिय होते दिख रहे हैं। इसका संकेत पिछले एक वर्ष से कई बार दिखे आतंकियों ने दे दिया है। सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ भी हो चुकी है। इसके बावजूद सुरक्षाबलों के गिरफ्त से कोसो दूर हैं।
बनी की सीमा डोडा से लगती है, जो आतंकियों का सुरक्षित ठिकाना माना जाता है। अगर रावी दरिया नए रूट की बात करें तो इस रूट को पंजाब में वर्ष 1982 के आतंकवाद के काले दौर के दौरान बब्बर खालसा आतंकी संगठन भी इसी सीमा का इस्तेमाल करते रहे थे, ऐसे में अब इस रूट को कश्मीर में सक्रिय आतंकियों ने सुरक्षित मानते हुए इस्तेमाल करना शुरू किया है, जो सुरक्षाबलों के लिए अब नई चुनौती बनता जा रहा है।
तलाशी अभियान चलाने पर भी नहीं मिली कोई सफलता
सुरक्षाबलों द्वारा बड़े पैमाने पर किड़िया गंडयाल से लेकर बसंतपुर, धन्ना, धनोड़ में तलाशी अभियान चलाने पर भी कोई भी सफलता नहीं मिली। इस रूट पर हाईवे से सटे मग्गर खड्ड, रावी दरिया में बड़ी संख्या में ऐसे लोग अस्थायी डेरा कुछ सालों से लगाए बैठे हैं, जो स्थानीय न होकर अन्य जिलों के हैं, जिनको एक भी बार नहीं खंगाला गया है।
ऐसा नहीं कि पुलिस को भी पता नहीं है, क्योंकि बीते दो वर्ष पहले एसओजी की विशेष टीम में शामिल 50 से 100 की संख्या में तलाशी अभियान चलाते रहे। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस रूट पर संदिग्ध दिखने की सूचना काफी समय से मिल रही हैं।
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