डोगरा संस्कृति से जुड़ी थीं जाकिर हुसैन की जड़ें, सांबा के घगवाल क्षेत्र से थे पिता उस्ताद अल्लाह रक्खा
तबले के जादूगर उस्ताद जाकिर हुसैन (Zakir Hussain) के निधन से संगीत जगत में शोक की लहर है। जम्मू-कश्मीर का सांबा जिला भी उनके निधन से शोक में डूब गया है। बता दें कि जाकिर हुसैन के पिता उस्ताद अल्लाह रक्खा सांबा के घगवाल क्षेत्र के रहने वाले थे और वह भी एक तबला वादक थे। जाकिर हुसैन को जम्मू से काफी लगाव था।
संवाद सहयोगी, सांबा। मशहूर तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन के निधन से जम्मू-कश्मीर का जिला सांबा भी शोक में डूब गया है। जम्मू की डोगरा संस्कृति से जाकिर हुसैन की यादें और जड़ें जुड़ी थीं।
जाकिर हुसैन के पिता उस्ताद अल्लाह रक्खा सांबा के घगवाल क्षेत्र के रहने वाले थे। वह भी तबला वादक थे। उन्होंने अपनी पढ़ाई गांव से पूरी की थी। वर्ष 1947 के बाद अल्लाह रक्खा परिवार के साथ पहले पंजाब, फिर दिल्ली और मुंबई में रहने लगे। वह बीच-बीच में अपने पैतृक घर जम्मू में जरूर आते थे।
दिवंगत जाकिर को जम्मू से था काफी लगाव
दिवंगत जाकिर को जम्मू से काफी लगाव था। सांबा जिले में संगीत से जुड़े और गीतकार जसरोटिया ब्रदर्स के नाम से मशहूर हैप्पी जसरोटिया, यशवीर सिंह और राजवीर सिंह ने बताया कि दिवंगत जाकिर के पिता अल्लाह रक्खा जब कभी किसी डोगरा व्यक्ति से मिलते तो वह भी खुश होते। हमेशा डोगरी में बातचीत करते।
घगवाल के मशहूर संगीतकार एवं कथावाचक वरिंद्र कौशल ने बताया कि यह एक बहुत ही दुःख का क्षण है। जाकिर एक प्रेरणा थे, एक महान व्यक्तित्व थे, जिन्होंने तबले को वैश्विक स्तर पर प्रसिद्धि दिलाई। उनका नुकसान हम सभी के लिए अपूरणीय है।
उन्होंने तबले को भावनाओं, आत्मा और सुंदरता की भाषा में बदला। बताया जाता है कि अल्लाह रक्खा का डोगरा शासकों से विशेष संबंध रहे। डॉ. कर्ण सिंह उनसे कई बार मिले भी हैं। पीएमओ में केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने दुःख व्यक्त कर परिवार के साथ सांत्वना जताई है। सीएम उमर अब्दुल्ला ने दुःख साझा किया। उन्हें महान व्यक्ति बताते हुए कहा कि इससे हुए देश को क्षति पहुंची है।
डोगरों के साथ जुड़ाव को हमेशा ही महत्व दिया: डॉ. कर्ण सिंह
जम्मू कश्मीर के पूर्व सदर-ए-रियासत डॉ. कर्ण सिंह ने तबला वादक जाकिर हुसैन के निधन पर गहरा दुख जताया है। उन्होंने कहा कि जाकिर हुसैन के निधन से दुखी हूं। उनके पिता उस्ताद अल्ला रक्खा जम्मू के पास से ही एक गांव के रहने वाले थे। उन्होंने डोगरों के साथ जुड़ाव को हमेशा ही महत्व दिया है।
उन्होंने कहा कि वह जाकिर हुसैन को तबसे जानते हैं, जब वह बहुत छोटा था। उन्होंने अपने सामने उसे एक प्रख्यात तबला वादक बनते देखा है। वह देश के एक माने हुए तबला वादक थे। जाकिर हुसैन और स्व. पंडित शिव कुमार शर्मा दो ऐसे संगीतकार हुए हैं जो जम्मू ने राष्ट्र को दिए हैं। उनके निधन पर परिजनों को मेरी ओर से सांत्वना।
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