लद्दाख में चीन सीमा पर वीरों को प्रोत्साहित करते रहेंगे छत्रपति शिवाजी, सेना ने स्थापित की 14300 फीट ऊंची प्रतिमा
लद्दाख के पैंगोंग झील के किनारे छत्रपति शिवाजी महाराज (Chhatrapati Shivaji Maharaj) की भव्य प्रतिमा का अनावरण किया गया है। 14300 फीट की ऊंचाई पर स्थापित यह प्रतिमा न केवल छत्रपति शिवाजी को श्रद्धांजलि है बल्कि भारतीय सीमा की सुरक्षा के प्रति सेना के मजबूत इरादों का संदेश देती है। यह प्रतिमा वीरता दूरदर्शिता और अटल न्याय की प्रतीक है।

राज्य ब्यूरो, जम्मू। लद्दाख के रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र में छत्रपति शिवाजी भारतीय सेना के वीर जवानों को निरंतर प्रोत्साहित करते रहेंगे। मराठा लाइट इन्फैंट्री ने पैंगोंग झील के किनारे वीर शिवाजी की भव्य प्रतिमा का अनावरण किया।
लेह स्थित सेना की फायर एंड फ्यूरी कोर ने यह जानकारी देते हुए बताया कि 14,300 फीट की ऊंचाई पर स्थापित यह प्रतिमा न केवल छत्रपति शिवाजी को श्रद्धांजलि है, बल्कि भारतीय सीमा की सुरक्षा के प्रति सेना के मजबूत इरादों का संदेश देती है।
डेमचोक और देपसांग में हुआ था समझौता
खास बात यह है कि यह अनावरण हाल में भारत और चीन के बीच हालिया बातचीत के बाद डेमचोक और देपसांग क्षेत्रों में सेना हटाने के समझौते के बाद हुआ है। इसे दोनों देशों में तनाव कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
सेना की 14वीं कोर ने एक्स पर लिखा कि यह प्रतिमा वीरता, दूरदर्शिता और अटल न्याय की प्रतीक है। यह भारतीय शासक अपने साहस और हौसले से पीढ़ियों की प्रेरणा का स्रोत रहे हैं।
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सैन्य शक्ति का प्रतीक है छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा
गुरुवार को प्रतिमा का अनावरण सेना की फायर एंड फ्यूरी कोर के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल हितेश भल्ला और मराठा लाइट इन्फैंट्री के कर्नल ने किया। सेना ने बताया कि छत्रपति शिवाजी की विरासत उनकी अद्वितीय रणनीतियों और साहस में निहित है।
पैंगोंग झील पर उनकी प्रतिमा न केवल सैनिकों का मनोबल बढ़ाती है, बल्कि यह भारत की ऐतिहासिक और वर्तमान सैन्य शक्ति का प्रतीक भी है। यह प्रतिमा स्पष्ट संदेश देती है कि भारत की संप्रभुता और सुरक्षा अडिग और अटल है।
ठंड भी नहीं रोक पा रही सेना के कदम
लद्दाख की खून जमाने वाली ठंड, बर्फीले तूफान, हिमस्खन के खतरे और चीन व पाकिस्तान के षड्यंत्रों के बावजूद भारतीय सैनिक दृढ़ता से सीमाओं पर डटे हैं। लेह के ऊपरी इलाकों में माइनस 20 डिग्री तापमान से नीचे के तापमान में सेना के कांबेट इंजीनियर्स आपरेशनल तैयारियों को धार दे रहे हैं।
कांबेट इंजीनियर्स अभ्यास के दौरान सेना के काफिलों को सीमा तक पहुंचाने के लिए कम समय में पुल बनाने का प्रशिक्षण दे रहे हैं। दूसरी ओर सियाचिन ग्लेशियर व पूर्वी लद्दाख के उच्चतम इलाकों में सैनिक इस समय नियंत्रण रेखा पर विशेष पेट्रोलिंग कर सर्तकता के उच्चतम स्तर का प्रदर्शन कर रहे हैं। युद्ध के मैदान में कांबेट इंजीनियर्स अहम भूमिका निभाते हुए। उनकी जिम्मेदारी होती है कि सेना के सीमा की तरफ बढ़ते कदम में कोई बाधा न आए।
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