अब बस हरी झंडी का इंतजार... कश्मीर तक रेल लाने के लिए खर्च हुए 37012 करोड़, पढ़ें 10 अहम बातें
कश्मीर को शेष भारत से जोड़ने वाली ऐतिहासिक रेल परियोजना अब पूरी होने वाली है। कटड़ा-रियासी रेल खंड बनकर तैयार है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही इस पर पहली ट्रेन को हरी झंडी दिखाएंगे। यह परियोजना कश्मीर घाटी के सामाजिक-आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। कश्मीर तक ट्रेन लाने के लिए कई प्रकार के जतन किए गए थे। आइए 10 प्रमुख बातें जानते हैं।

अमित माही, उधमपुर। दशकों पुराना कश्मीर को शेष भारत से रेल संपर्क से जोड़ने का देखा सपना अब साकार होने के करीब है। उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक (यूएसबीआरएल) परियोजना की अंतिम कड़ी कटडा-रियासी रेल खंड बन तैयार है।
अब केवल रेल चलाने के लिए कमिश्नर रेलवे सेफ्टी की हरी झंडी के बाद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हरी झंडी का इंतजार है। ऐसा होते ही इस ऐतिहासिक परियोजना का सपना हकीकत में बदल जाएगा।
रेलवे ने इस बहुप्रतीक्षित खंड पर परिचालन शुरू करने के लिए उल्टी गिनती शुरू कर दी है। शनिवार को प्री-सीआरएस निरीक्षण होगा, जो एक तरह से सीआरएस(कमिश्नर रेलवे सेफ्टी) निरीक्षण की फुल ड्रेस रिहर्सल है।
इसके तहत 16.501 किलोमीटर लंबे कटरा-रियासी खंड का निरीक्षण यूएसबीआरएल प्रोजेक्ट के चीफ एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर(सीएओ) संदीप गुप्ता करेंगे।
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प्री-सीआरएस निरीक्षण में उसी सात कोच वाली सीआरएस स्पेशल ट्रेन का उपयोग किया जाएगा, जिसमें 7 और 8 जनवरी को सवार होकर सीआरएस दिनेश चंद्र देशवाल इस खंड का निरीक्षण करेंगे।
यह सीआरएस स्पेशल ट्रेन बीते वीरवार को ही कटरा रेलवे स्टेशन पर पहुंच चुकी है। प्रस्तावित कार्यक्रम के मुताबिक प्री-सीआरएस निरीक्षण सुबह 9 बजे कटरा रेलवे स्टेशन से शुरू होगा। जिसके बाद सीआरएस स्पेशल ट्रेन रियासी, संगलदान, खड़ी होते हुए बनिहाल जाएगी और शाम को वहां से वापिस लौटेगी।
विश्व स्तरीय संरचनाओं का निरीक्षण
निरीक्षण के दौरान ट्रेन विश्व के सबसे ऊंचे चिनाब आर्च ब्रिज और अंजी केबल स्टे ब्रिज सहित कई महत्वपूर्ण सुरंगों और पुलों पर रुकेगी। अधिकारी इन संरचनाओं की तकनीकी और सुरक्षा तैयारियों का जायजा लेंगे। 7 और 8 जनवरी को सीआरएस द्वारा किए जाने वाला अंतिम निरीक्षण इस खंड पर रेल परिचालन की अनुमति के लिए निर्णायक होगा।
कश्मीर घाटी के लिए ऐतिहासिक कदम
अगर सब कुछ योजना के अनुसार होता है, तो 26 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली से कश्मीर तक चलने वाली पहली ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर इस ऐतिहासिक परियोजना को औपचारिक रूप से राष्ट्र को समर्पित करेंगे। यह कदम न केवल कश्मीर घाटी को भारत के साथ निर्बाध रूप से जोड़ेगा, बल्कि क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास में भी अहम भूमिका निभाएगा।
रेल परियोजना से जुड़ी अहम बातें
- यह 272 किलोमीटर लंबी परियोजना 1994-95 में स्वीकृत हुई
- 2002 में इसे राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिया गया।
- इसकी अनुमानित लागत 37,012 करोड़ रुपये है।
- रियासी में मौजूद चिनाब ब्रिज दुनिया का सबसे ऊंचा रेल ब्रिज है
- वर्ष 2009 में 118 किलोमीटर लंबे काजीगुंड-बारामूला खंड पर रेल परिचालन शुरू हुआ।
- वैष्णो देवी के त्रिकुटा पहाड़ पर बनी टी-1 टनल 20 साल में बनकर तैयार हुई है।
- मौजूदा समय में वैष्णो देवी (कटड़ा) तक ट्रेन चलती है, लेकिन अब श्रीनगर तक चलेंगी।
- दिल्ली से श्रीनगर मात्र 13 घंटों में पहुंच सकेंगे।
- कटड़ा से श्रीनगर के लिए एक वंदे भारत और दो एक्सप्रेस ट्रेन चलेगी।
- कटड़ा से श्रीनगर के बीच 7 स्टेशन हैं। इनमें रियासी, सवालकोट, संगलदान, रामबन, बनिहाल, काजीगुंज और बिजबेहरा स्टेशन शामिल हैं।
वर्ष 2013 में 18 किलोमीटर बनिहाल-काजीगुंड रेल खंड और वर्ष 2014 में 25 किलोमीटर उधमपुर-कटरा खंड तथा गत वर्ष फरवरी 2024 में 48.1 किलोमीटर बनिहाल-संगलदान लेल खंड पर रेल परिचालन शुरू किया गया।
बारामूला-बडगाम-बनिहाल खंड पर 19 यात्री विशेष ट्रेनें चल रही हैं। निर्माणाधीन रियासी कटड़ा रेल खंड पर 13 दिसंबर को अंतिम ट्रैक कार्य पूरा कर ऐतिहासिक परियोजना का अंतिम चरण को पूरा किया गया।
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